A NIGHT TO REMEMBER in Hindi Love Stories by Vishesh Gupta books and stories PDF | बात उस रात की

Featured Books
Categories
Share

बात उस रात की

" बात उस रात की "

रोज़ कि तरह आज भी अलार्म घडी कि घण्टी से मेरी आँख नही खुली।।।

मां ने आकर मुझे उठाया घडी में देखा तो जान पड़ा कि मैं कॉलेज जाने के लिए आज भी लेट हो गया

मैं बाथरूम कि तरफ भागा।।।

और जल्दी से तैयार होकर आया ही था कि

मां ने रोज कि तरह आज भी डांट लगाना शुरू कर दिया।।।

"कब बड़ा होगा तू ।।" !

"कभी तो खुद से उठ जाया कर और टाइम पे सब काम कर लिया कर"।।।

दरअसल ये डांट इसीलिए नहीं पड रही थी कि आज भी माँ को मुझे उठाना पड़ा बल्कि इसीलिए पड़ रही थी क्यूंकी।।।

आज भी नाश्ते के नाम पर मैं एक परांठें का रोल बनाकर हाथ में लिए भागा चला जा रहा था।।

बहुत सही कहा है किसी ने।।

" ये जो सख्त रास्तों पे भी आसान सफर लगता है

ये मुझको माँ की दुआओं का ही असर लगता है

एक मुद्दत हुई मेरी माँ नहीं सोई यारो

मेने एक बार कहा था की मुझे अंधेरो से डर लगता है"

कुछ ऐसी ही होतीं हैं माँ.

यही रोज कि मेरी दिनचर्या सी बन गयी थी और भागते दौड़ते कब एक सेमेस्टर बीत गया पता ही नही चला।।

अभी कल कि सी ही बात लगती है जब स्कूल ख़तम हुए थे।।।

मेरी ज़िन्दगी एक खुली किताब थी।।

ओैर उसमे अबतक प्यार का कोई पाठ नहीं था ।।

मुझे याद है मैथ्स का पहला लेक्चर चल रहा था , सेमेस्टर शुरू हुए अभी 5 दिन ही बीते थे।।

क्लास में उस वक़्त 70-80 बच्चे थे ,दरअसल उस वक़्त दो ब्रांच विलय थी एक साथ ,एक सेमेस्टर के लिए ।।।

मैं क्लास की चौथी लाइन में दूसरी बेंच पर बैठा "differential equations " के सवाल हल कर रहा था।।

मेरी नज़र कभी नोटबुक पर थी तो कभी टीचर के सवाल जवाब पर थी।।।

तभी एक दिल छूती हुई मधुर सी आवाज टीचर के सवालों को काटते हुए सुनाई पडी।।।-" Excuse me Mam May I come in ?

अचानक क्लास में सन्नाटा छा गया।।

हैरान तो मैं इस बात से था कि लड़के तो लड़के लड़कियां भी उसे टक टकी लगाये देख रहीं थीँ।।।

टीचर के बुलाने पर उसने धीरे धीरे कदम आगे बढाए ।।

सबके मन में कई सवाल थे।।

कौन है ये?

कहाँ बैठेगी?

शायद ये हमारी क्लास में नयी लड़की आयी है?

पर दूसरे सेम में एडमिशन?

उसके लम्बे बाल कमर को छू रहे थे और

रंग ऐसा मानो कि दूध में किसी ने सिन्दूर घोल दिया हो।।

उसकी आँखों में लगा गहरा काजल मुझे सारी "differential equations " भुला रहा था।।

कुछ युंह समझइये की

"इतना हसीं सा उसका चेहरा था और उसपे शबाब का रंग गहरा था ।।

चांदनी सी थी चमक उसकी जिस पर हजारों तारो का पेहरा था।"

मेैं बेसुध होकर उसकी तरफ देखे जा रहा था।।

उसने कुछ बोलने के लिए अपने होंठ खोले ही थे कि मेरी उँगलियों से जो में पे घुमा रहा था वो अचानक रुक गया और उँगलियों में थामा हुआ वो पे मैंने वहीँ रख दिया।।

उसने टीचर से पूछा कि "मैम ये सेक्शन डी ही है ना "? में कॉलेज में नयी हूं।।

"लेट्रल एंट्री "।

न जाने एक अजीब सी ख़ुशी हुई उसकी इस बात को सुनकर कि वो हमारी क्लास में ही आयी है।।।

चेहरे पे एक हलकी सी मुस्कान थी।।

हां वो अलग बात थी कि वो मेरी ब्रांच कि नही थी बल्कि उस दूसरी ब्रांच से थी जिनके साथ हम इस सेम क्लास बाँट रहे थे।।

हर रोज अब कॉलेज आने कि जल्दी हुआ करती थी

क्लॉस में घुसते ही मेरी नजर उसी पर आकर रुका करती थी।।

उसकी अावाज, उसकी मुस्कराहट हर एक चीज मुझे हमेशा सब भूलने पर मजबूर कर दिया करती थी और मैं कहीं खो सा जाता था।।

एक क्लास में होने के बावजूद कभी सीधे जाकर बोलने की हिम्मत ही नही हुई।।

कभी कैंटीन में तो कभी किसी लैब में सामना हो ही जाता एक बार नजर मिली भी थी और वो मुस्कुराई भी पर कभी बात नही हुई थी।।

हर रोज मुझे यही लगता था कि उसकी ख़ूबसूरती दिन बा दिन बड़ती जा रही है।।।

किसी बाग़ कि काली जैसे वो हर साँझ निखरती जा रही है।

मुझे याद है उस दिन किसी काम से मुझे चंडीगढ़

जाना था रात में मैं सफर कर रहा था और मुझे वो 10-12 घंटे का सफर ऐसा लग रहा था कि इतना दूर क्यों है चंडीगढ़ ।।

करने को कुछ था नही तो मैं यूँ ही उसकी फेसबुक प्रोफाइल चेक कर रहा था उसकी हर एक तस्वीर में मैं डूबता जा रहा था।।

उस वक़्त रात के कुछ 12 बजे थे मुझे भी नींद आयी थी और ना जाने कब रिक्वेस्ट सेंड हो गयी।।

थोडी देर बाद देखा तो एक नोटिफिकेशन आया हुआ था।।

"कशिश राठौड एक्सेप्टेड योर फ्रेंड रिक्वेस्ट "।।

उसको देख कर मेरी आंखें फटी कि फटी रेह गयीं😯 और मेरी सारी नींद उड़ गयी।

मैने मैसेंजर खोलकर देखा तो वो ऑनलाइन थी मैंने बहुत बार लिखा "hi" और मिटा दिया।

पर फिर मैंने आँख बंद करके भेज ही दिया।।

मेरी ख़ुशी का ठिकाना तो तब नहीं था जब मेरे फ़ोन कि लाइट जली और उसपे मैसेज शो हो रहा था।।

"Hello"

तो बातें शुरू हुई हाल चल पुछा पर मन में एक सवाल भी था कही पहले से तो कोई नही है उसकी जिंदगी में।।

समझ नही आ रहा था कैसे पूछू ,तो मैंने मैसेज किया।।

" इतना लेट तक जागी हुई हो , किसी खास से बात कर रही हो क्या? " और मैंने डरते डरते सेंड कर दिया।।

"नही वो नोट्स पुरे कर रही थी इसीलिए जागी हुई थी "

जवाब आया।।

इसको देख कर मुझे बड़ी निराशा हुई क्यूँकि मुझे जानना तो कुछ और ही था।।

इतने में ही दूसरा मैसेज आया।।

"और हां मेरी लाइफ में कोई खास नहीं है"

इसको पढते ही मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी ऐसा लग रहा था कि चिल्लाऊं या नाच लूँ पर।।।

मैने अपने जजबातों को नियन्त्रित किया क्यूँकि उस वक़्त मेरे अलावा बस में और भी 30-35 जन थे अगर वो उठ जाते तो बहुत जूते पडते। 😂

वो रात इतनी खुशनुमा सी बन गयी , पूरी रात हमने बात कि और कब सुबह हुई पता ही नही चला ।।

मैने खिड़की से बाहर नजर घुमाई तो होश आया कि चंडीगढ़ पहुंच गया।

उस दिन पता चला कि चंडीगढ़ इतना दूर भी नहीं है बशर्ते आपके पास कोई हमसफ़र हो, वास्तिविक ही सहि।।।

उसके बाद जब मैं कॉलेज लौटा तो सामने बात हुई पास में बैठना शुरू हुआ ।

जब भी हमारी नज़रें मिलती वो मुझे देख कर मुस्कुरा जाती।।

एक दुसरे के लफ़्ज़ों को तो हम समझते ही थे पर धीरे धीरे एक दुसरे कि ख़ामोशी भी पड़ने लगे।

छोटी छोटी चीजों का ख्याल रखने लगे

उसकी ख़ुशी मेरी मुस्कराहट का कारण हुआ करती थी और मेरे गम उसके ऑंसुओं का सबब बन जाया करते थे।।

अचानक सब कुछ अच्छा लगने लगा था।।

हर मौसम सुहाना और हर रात चांदनी लगने लगी थी।।।

ये प्यार ही तो था शायद या यूं समझिये।

उनसे जुड़े हमारे प्रेम के कुछ ऐसे धागे हुए थे।

सोई हुई थी जब दुनिया तब हम उनके और वो हमारे सपनो में जागे हुए थे।।।

वक़्त के साथ साथ हम एक दुसरे में खोते गए और धीरे धीरे एक दुसरे के होते गए ।।

दिन बीते रातें बीति बहुत कुछ बदला अब चंडीगढ़ भी दूर नहीं लगा करता था।। 😅

हर बार कि तरह आज भी अलार्म कि घण्टी से मेरी नींद नहीं खुल पायी।।।

ओैर में जल्दी जल्दी उठा और दौड़ा।

पर इस बार वो "कालेेज बस " नही बल्कि "स्कूल बस "

थी।।

"हमारा बेटा भी बिलकुल आप पर ही गया है" जनाब ।।

"लेट लतीफ"।।

ओैर आज फिर से उनके लंबे बाल और नशीली आवाज ने मुझे सब भूला दिया और मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया।।।

विशेष गुप्ता