कुछ भी हो जाएं
मुंह मत फेरना ईमान से
निवाला ठुकरा ना मत
मिलता हो जो एहसान से
आडंबरों के बादल छाए है चारो और
ख़ुद को हर कोई बड़ा बता रहा है भगवान से
तुम मिलो न मिलों वो एक ओर बात है
पर मेरे खत पढ़ लेना इतमीनान से
यारों डर उस मालिक का,उस खालिद रखो
खामखां डरते क्यों हो इन हैवान से
मेरा बाप कहो या तुम कहो उसे मेरी मा
बड़ा कोई नहीं है मेरे लिए हिन्दुस्तान से
ख़ुद को खुशकिस्मत समझूं जो मयस्सर हुई ये ज़मीं
अपार मुहम्मत करता हूं जी ओर जान से।
कोशिशें भले ही करें हमें मिटाने की फरेब
तिरंगा लहरा है ओर सदेय लेहरेगा सान से
उल्फत को पहचानो, की क्या होती हैं
मिटाने आए तो ख़ाक हो जाओगे कहता हूं मान से
आज़ाद था इसलिए छोड़ के चला गया
पर मुझे जलन क्यों होती है उस इंसान से।___Rajdeep Kota
साहब में भूखा हूं मुझे खाना नहीं
थोड़ा रहम ही मयस्सर करा दो।
दिए की लौ डगमगाने लगी हैं
मेरी दोस्त से मुलाक़ात पलभर करा दो।
वोही आख़िरी जरिया हैं जीने का कोई
उनकी बातों से यादों से मेरा जिहन तरबतर करा दो।___Rajdeep Kota
जरूरत महसूस हुई थी यारों की
पर खड़े हुए है अपने ही पैरों पे।
सबब ख़ुद ही थे ख़ुद की बर्बादी के
तो इल्ज़ाम क्यों लगाएं गैरों पे।__Rajdeep Kota
बस्ती ला रंग आज फीका फीका क्यों हैं
क्या कोई इसे छोड़ कर चला गया।
मेरे कमरे में मचा रहें हैं सौर सन्नाटे
क्या कोई बिस्तर छोड़ कर चला गया।___Rajdeep Kota