adhuri havas - 22 in Hindi Horror Stories by Baalak lakhani books and stories PDF | अधूरी हवस - 22

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

अधूरी हवस - 22


राज का नशे मे रहने का अब रोज का हो जाता है, ना अपने दोस्त को भी कुछ बताता है, अपने अंदर ही अंदर सब बाते दबा के रखता है, ऑफिस फैक्ट्री सब जगहों पर जाता तो हे पर काम पर ठीक से ध्यान ही नहीं देता, लाख पूछने पर किसीको कुछ नहीं बताता, उसके दिल मे आता तो किसीकी बात का जबाव देता वर्ना सर के इशारे से मुंडी हिला देता.

राज का ऎसा बर्ताव सबको खाए जा रहा था, पर कोई कुछ नहीं कर सकता था, उसने अब डायरी को अपनी सारी बाते बताने लगा था, देर रात तक वोह अपनी डायरी मे कुछ लिखता रहेता था, शायद जो बाते वोह किसीको नहीं कहे पता था वोह सारी बाते डायरी से करता था.

उधर मिताली हनीमून से लौट आयी थी आते ही दूसरे दिन, सुबह सबसे पहले राज को कोल करती है.

मिताली: हैलो केसे हो?

राज : हा हैलो, मे अच्छा हू तुम केसी हो?

मिताली : केसी होनी चाइये?

राज : अच्छी होनी चाहिए और केसी?

मिताली : हा होनी तो चाहिए, और ना हो तो क्या करना चाहिए मुजे? क्या बता सकते हैं आप.

राज : क्यू? क्या हुवा कुछ प्रॉब्लम्स हुवा क्या?तुम हनीमून करके आई हो घूमने के बाद फ्रेश होनी चाहिए.

मिताली : हा, पर एसा कुछ हे ही नहीं कि फ्रेश हो जाऊँ,हाँ झगड़े के मजे लिए हे जितना वहा रहे, उसके हनीमून की तो मेने एसी तेसी करदी.

राज : अब तुमने वहा एसा क्या किया, तुमको कुछ समझ आरहा हे या नहीं. (गुस्से मे बोलता है)

मिताली : गुस्सा मुजे भी है, कितने दिनों से आप पर, और वोह सारा गुस्सा मेने उस पर निकाला, हर रोज झगड़ा ही होता था, वोह वोह तो पूरा इंसान हे ही नहीं, मुजे पता चल गया कि उसको मुजसे एक ही चीज़ चाहिए थी, पर वोह तम्मना पूरी नहीं हुई उसकी, मेने होने ही नहीं दी.

राज : गलत किया तुमने तुम्हें ऎसा बरताव नहीं करना चाहिए, वोह तुम्हारा पति हे, तुम उसकी अर्धांगिनी हो ये खयाल तुम्हें होना चाहिए.

मिताली : फेरे लेने से दुनिया की नज़र मे हे, पर मेरी आत्मा उसे ये हक नहीं देती, मेरी रुह तड़प जाती है, उसके साथ होने से, ये केसे आपको बया करू, आप मर्द लोग समझ ही नहीं पाते एक औरत के मन की दुविधा को. एक गैर मर्द जब आपका हाथ पकड़ता है, हज़ारों मिल दूर आपको कोई सुनने वाला नहीं होता ना चाहते हुवे भी उसके साथ कमरे मे होना, मोत से भी बदत्तर लगता हे, मेने महसूस किया हे ये सात दिनों मे, शायद इसी को दोझत कहते होंगे लोग, लोग मरने के बाद जहंम मे जाते हे, आपने तो हमे जीते जी धकेल दिया, मे आपके साथ किसी भी हाल मे रहने के लिए रेडी थी, पर आप को तो दुनिया की पडी थी, और मुजे फंसा दिया किस जगह पर.

राज : तुम एसा सोचना बंध करो पहेले, तुम इतनी समादर हो हर हालातों को सम्भाल सकती हो मुजे पता हें, पर तुम दूसरे छोर पर अभी सोचती हो, सही छोर जो उसपर सोचकर चलो बहोत आसान हो जाएगा तुम्हारी नई जिंदगी का सफर इतना सुहाना हो जाएगा तुम्हें पता भी नहीं चलेगा.

मिताली :क्या सुहाना, आपको पता है एक भी दिन मेरा रोये बिना गुज़रा नहीं पूरी पूरी रात आपने दी हुई वोह कश्मीरी शोले को लिपट कर गुजरी है, उससे भी दिल नहीं मानता तो मुजे शराब का सहारा लेना पड़ा.

राज : क्या तुमने अपने पति के सामने शराब का सेवन किया, और वोह फिर भी तुम्हें कुछ नहीं कहता, इससे साबित होता है, वोह कितना अच्छा इंसान हे तुम्हारे लिए, पर तुम उसे पहचान नहीं पाती, ऎसा जुल्म मत करो उस पर, और उन्हें वोह सारे हक दो जो वो उनका हकदार है.

मिताली : आपको नहीं पाता पर वोह एक राक्षस ही हे, और उसे मेरा बदन ही चाहिए ये मे अच्छे से समझ गई इतने वक़्त मे. पर मेने ये इरादा कामयाब ही नहीं होने दिया.

राज : ओह ऎसा करके तुम ने बहोत अच्छा काम किया? नहीं इस हरकत से तुमने उसको बहोत ही जलील किया है, और तुम्हें ऎसा करने का कोई हक नहीं. देखो अब तक तुम लोगों मे जो हुवा उधर उसे भूल जाओ, अब घर आ जाने के बाद और लोग भी होंगे घर मे तुम्हारे ऎसे बरताव से परिवार मे बहस होगी उससे पहेले तुम्हें अपनी ये हरकत बदलनी होगी, और खुशी खुशी तुम्हारे संसार को आगे बढ़ाना पड़ेगा, एक ना एक दिन तुम्हें आगे बढ़ना ही पड़ेगा, इतना भी डोर मत खीच के फिर रिस्तों मे गांठ गिर जाए,
मन से नहीं जुड़ सकते तो पहेले तन से जूडो मन अपने आप जुड़ेंगे, और ना जुड़े तो उसकी फ़िक्र मत करो, पर दिखाया ना करना कभी.

मिताली : नहीं होता ऎसा जूठे रिश्ते निभाना मुजसे, और ना ही होगा.

राज : देखो ये फिजूल की बाते मुजे अब नहीं सुननी, अगर मे तुम्हारे लिए कुछ हू या था तो तुम मेने जेसे कहा हे वेसे ही करोगी, तुम्हें मेरी बातों से तकलीफ होती हे तो हो, अगर नहीं होता तो मुजे भूल जाना कोई रिश्ता था भी हमारा, और मुजे कॉल भी मत करना और अगर फिर भी तुम कोल करोगी तो मे अपना नम्बर ही बदल दूँगा, अब फेसला तुम करो तुम्हें क्या करना है.

मिताली : ठीक हे तो मे आज से आपको कोल नहीं करूंगी, खत्म ही करना हे तो ऎसे करना था यू नहीं करना था और आपसे ये उम्मीद नहीं थी कि आप इस तरह मुह मोड़ लेंगे,यह ही सही खयाल रखना अपना.

(रोते रोते कोल काट देती हे, और फोन भी ऑफ करके बेठ जाती है कई दिनों तक मिताली के नहीं आते और राज समज जाता है, हे अब नहीं आयेंगे और आने भी नहीं चाहिए) और राज का वहीं डायरी वाला चालू रहेता हे पूरा नशेड़ी हो चुका होता है.

ऎसा दो महीना चला उसके बाद राज के घर अच्छे समाचार आते हैं, उसके घर बच्चा होने की खुशी आती हे और राज अपना मिताली की तरफ से जो हालत बिगाड़ दी थी उसमे से उभरने लागा था.

हाँ कभी कभी मिताली का कोल आ जाता था हाल चाल पूछने और उसके बेटे की ख़बर पूछने को पर धीरे धीरे ये सिलसिला भी राज मना कर कर के बंद करवा दिया. और दोनों अनजान हो जाते हैं एक दूसरे के हालातों से,
इस तरह दो साल बीत जाते हैं,

और मिताली का कोल राज के ऊपर आता है.

क्रमशः.............