Me aur mere ahsaas - 2 in Hindi Poems by Dr Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 2

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में और मेरे अहसास - 2

में और मेरे अहसास

भाग २

खुद को खुद की कबर मे देखता हूं l
फिर मे तेरी नजर में देखता हूं ll

***

एक लम्हा तो गुजरता नहीं l
लोग कैसे सदियों इतजार करते हैं ll

***

रिसता दिल का
होना चाहिए ना
कि मजबूरी का l

प्यार दिल से
होना चाहिए ना
कि मजबूरी से ll

***

ढूढ़ना है तो
अंदर ढूढ़
बाहर कुछ
ना मिलेगा l

***

खामोशी में शोर छुपा होता है l
मौन में भी शोर छुपा होता है ll

***

ढूंढना नहीं चाहते उसे फिर ।
से मिलने की उम्मीद नहीं करते ll

***

दर्द देने वाले अपने ही होते हैं l
बेगानों को परवाह भी नहीं होती ll

मुहब्बत गुनाह नहीं है l
ये वो पाकीजा शै है l
जो हर किसी को नसीब नहीं होती ll

***

सब मन की स्थितिया है l
कोई सुख दुख नहीं देता ll

***

कमबख्त लगाव है जो जीने नहीं देता l
वर्ना हम किसी से एसे ही नहीं जुड़ते ll

***

रास्ता बदल ने वाले पीछे
मूड के नहीं देखा करते ll
इरादा बदल ने वाले पीछे
मूड के नहीं देखा करते ll

***

रिस्तों की पहचान ही खो गई है l
अब हम उस जहाँ मे रहते हैं ll

***

आंखे चाहत बयान कर देती है l
धड़कने चाहत बयान कर देती है ll

***

ख्याल आने के लिए दस्तक देते रहेना चाहिए l
वर्ना किसीको फुर्सत नहीं के याद भी करे ll

***

अपने कभी साथ छोड़कर नहीं जाते l
जो जाते हैं वो अपने नहीं होते ll

***

आंखे खोलने से कुछ नहीं होता l
नीद से उठकर जागना भी होगा ll

***

कुहरा घना है l
फिर भी सवेरा तो निकलेगा l
चल उठ मुसाफिर तुम्हें चलते रहेना है ll

***

आईना किसीको दिखा के क्या हासिल l

लोगो की फितरत कभी नहीं बदलती ll

***

तुम्हें ही देखना चाहती हैं मेरी नजर l

जब भी, जहां
भी देखे, तुजे ही दिखे ll

***

दूसरों के लिए दुआ
करने वाला ही महान होता है l
खुद के लिए तो
हर कोई
जीता है ll

***

खामोशी की भी जुबान होती है l
जो हर व्यक्ति नहीं सुन सकता है ll

***

आशियाना मेरा तेरे आने रोशन हुआ है l

वर्ना मेरे घर में अंधेरा रहता है ll

***

अंदर से टूटे हुए ही
मुस्कुरा सकते हैं l
कभी कभी खुशी मे
आंखे छलक जाती है ll

***

तेरी यादों मे डूबे हुए हैं l
हमे ना बचाना ग़र डूबे ll

***

मैख़ाने से कोई शोख से दोस्ती नहीं निभाता l
कोई अपनों का ठुकराया होगा या खुद का ll

***

पुस्तक साथी है और सब
से बड़ा. मित्र भी है ll

***

वो क्या दर्द बाटेगा मेरा l
जो खुद सामिल हो बेदर्द मे ll

***

जुदाई की बात ना करो l
जां निकल जाती है ll
जज्बात की किसे परवाह है l
लोग मतलब निकला जाने पर
चहेंरा तक भूल जाते हैं ll

***