suno aisha - 5 in Hindi Fiction Stories by Junaid Chaudhary books and stories PDF | सुनो आएशा - 5

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सुनो आएशा - 5


अम्मी कहने लगी बिना शादी के तुम्हे दादा बनाने का इंतेज़ाम कर दिया है इसने ।। तुम्हारी होने वाली बहु 2 महीने की प्रेग्नेंट है । इसकी सास का फ़ोन आया था मेरे पास।।उनका रो रो के बुरा हाल है।। कह रही है शादी के लिए पेसो का हिसाब है नही अभी।।और इसे कुछ महीने घर में रोका तो फिर मोहल्ले वाले अपने घर मे नही रुकने देंगे।

मेने कहा ये क्या कह रही हो अम्मी आप । ऐसे कैसे हो सकता है।।

अम्मी झाड़ू मेरी सूरत पर फेंक के बोली बेशर्म आजसे मुझसे तेरा कलाम सलाम बन्द।अपनी मनहूस शक्ल मत दिखाना मुझे।।इतना कह के अम्मी रूम से आंखों में आंसू लिए निकल गयी।

अम्मी के जाते ही पापा शुरू हो गए।।कहने लगे हमे तुम पर पूरा भरोसा था। कितनी उम्मीदे थी तुमसे।। तुमने ज़रा भी दो घरो की इज़्ज़त के बारे में नही सोचा।।वो इतनी मासूम बच्ची है।तुम तो समझदार हो।।अगर वो कही बहक भी रही थी तो तुम्हे उसे समझना चाहिए था।।


में फटी फटी सवालियां आंखों से पापा को देखता रहा।।फिर मेने कहा पापा मेने ऐसा कुछ नही किया।।

बेशर्मी ओर झूट की भी हद होती है जुनैद मियां कहते हुए पापा भी रूम से निकल गए।।

अचानक से ये कैसा तूफान आया में आधा घण्टा सदमे में ही पड़ा रहा।फिर कुछ ज़रा नार्मल हुआ तो आयशा को कॉल की।। फ़ोन उसकी अम्मी ने रिसीव किया।। मैंने सलाम करा पर सलाम का कोई जवाब न मिला।। मेने कहा आंटी आयशा से बात करा दीजिये।।उसकी अम्मी ने कहा क्यों कुछ बाकी रह गया है क्या अब भी।।

मेने कहा आंटी ऐसा कुछ नही हुआ जैसा आप सोच रही हो।। उन्होंने कहा यहाँ कॉल करने की ज़रूरत नही है बिल्कुल भी।।कह कर कॉल कट कर दी।।


दो घण्टे बीत गए।। सदमा अपनी जगह ओर भूक अपनी जगह।।हालात कुछ भी हो पापी पेट को तो खाना चाहिए।। नाश्ते को कहने के लिए अम्मी के रूम का दरवाजा खोला।।अम्मी कहते ही फ्लाइंग चप्पल रिसीव हुई।। घबरा के दरवाज़ा बन्द कर के खुद ही सालों बाद किचन में घुसा।। दो रूखे सूखे ब्रेड प्लेट में रखे।।चाय के लिए पानी रखा।। गैस के दूसरे बर्नर पर दूध का भगोना रखा था।। बिना ये देखे के दूध ठंडा है या गर्म।।उस दूध को संडासी(पकड़) से उठा कर चाय की केतली में उलटने लगा।।लेकिन क्योंकि पकड़ से कैसे पकड़ते है नही पता था।।दो किलो दूध सारा छूट के पैरों में बह गया।।


साला आज का दिन ही खराब है सोचते हुए बिना नाश्ता किये बाहर निकल गया।।लेकिन दरवाज़े पर पहुँच के ख्याल आया कि दिन खराब है कही कुत्ता न काट ले ।। सोच के छत पर जाकर बैठ गया।

दोपहर में जब भूक से हालत खराब हुई तो फिर अम्मी के कमरे का रुख किया।। उन्होंने पहले तो मना कर दिया फिर ये सोच कर के कही दूध की तरह सारा खाना न गिरा दु प्लेट में चावल पर दाल डाल कर टेबल पर रख के चली गयी।।अपने ही घर मे मैं मेहमान बन चुका था।। कोई बात करने या सुन ने तक को तैयार न था।।आयशा से भी कांटेक्ट नही हो पा रहा था।।3 दिन इसी तरह मुजरिमो की तरह गुज़रने के बाद में मायूसी के अंधेरो में चला गया।।दिल ने कहा साला जब न प्यार अपना ।न परिवार अपना नही तो जी कर भी क्या करूँगा।।सुसाइड करने का पक्का इरादा कर लिया।। छत पर बैठ के लास्ट टाइम हिरा को फ़ोन किया।।


हिरा ने कहा कैसा है छुटके।। मेने कहा ठीक हु।।
हिरा ने आवाज़ में छुपी मायूसी पहचान ली।बोली सच मे ठीक है।। बस उसका इतना कहते ही में रोने लगा।।

हिरा ने कहा जुनैद क्या हुआ बच्चे? क्यो रो रहा है ?
मेने कहा मेरी समझ नही आ रहा ये सब क्या ओर कैसे हो रहा है।।आयशा प्रेग्नेंट हो गयी है।लेकिन में तो उस से कभी तन्हाई में मिला भी नही ।।घर मे कोई मेरी बात सुन ने को तैयार नही है।।आयशा से कांटेक्ट हो नही पा रहा।।अब मेरा जीने का बिल्कुल मन नही है हिरा।।

हिरा ने कहा तू सच मे उस से नही मिला अकेले में ,?

मैंने कहा तेरी कसम हिरा।

यही तो बात है जो मेरी समझ नही आ रही,,इसलिये मेने इरादा कर लिया है कि अब में इस दुनिया में नही रहूँगा ।

क्या हिरा जुनैद को सुसाइड करने से रोक पाएगी ? या ये सफर यही खत्म हो जाएगा। देखते हैं अगले पार्ट में।