Shaurya Gathae - 5 in Hindi Biography by Shashi Padha books and stories PDF | शौर्य गाथाएँ - 5

Featured Books
Categories
Share

शौर्य गाथाएँ - 5

शौर्य गाथाएँ

शशि पाधा

(5)

अखंड ज्योत

( नायक सूरज भान)

भारतीय दर्शन में दैनिक प्रार्थना-आराधना, जप-पाठ का विशेष महत्व है| हम जीवन में जब भी बहुत प्रसन्न होते हैं या बहुत दुखी होते हैं, अपने -अपने इष्ट देव की शरण लेते हैं | शादी- ब्याह, जन्मदिन, तीज –त्योहार आदि सभी अवसरों पर हम अपने अपने धर्मानुसार पूजा आदि का आयोजन करते हैं |यहाँ तक कि असाध्य बीमारियों के निवारण के लिए भी हम भगवान से ही प्रार्थना करते हैं | हम भारतीयों को उस परम परमेश्वर की शक्ति में इतनी निष्ठा रहती है कि कभी कभी तो हम अपने प्रभु से असम्भव को भी संभव कर देने की प्रार्थना करने लग जाते हैं | शायद यही दृढ निष्ठा और अटल विश्वास हमें हर परिस्थिति से जूझने का संबल भी प्रदान करता है | प्रार्थनाएं हमें बल देती हैं, आत्मविश्वास बढ़ाती हैं एवं हमें पवित्र बनाती हैं। प्रार्थना से मनोबल बढऩे के साथ ही हमारा मन सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है व कार्य करने की और मुसीबतों से जूझने की शक्ति मिलती है।

अपने दैनिक जीवन में हर समय युद्धनीति के दांव पेज समझने, विभिन्न प्रकार के घातक अस्त्र- शस्त्रों के संचालन में प्रशिक्षण लेने में ही हमारी भारतीय सेना का अधिकाँश समय व्यतीत होता है | जैसे कि एक डाक्टर रोगी की चिकित्सा की शिक्षा लेता है, एक इंजिनियर निर्माण करने में दक्ष होता है, वैसे ही एक सैनिक शत्रु को परास्त करने और स्वयं को शत्रु के वार से सुरक्षित रखने की विभिन्न प्रणालियों में प्रशिक्षण प्राप्त करता है | यही उसका कर्म होता है और यही उसका धर्म | किन्तु अपने ३५ वर्ष के सैनिक जीवन में मैंने एक विशेष बात देखी कि युद्ध के समय शत्रु पर घातक प्रहार करने वाला प्रत्येक सैनिक शान्ति के समय में एक आदर्श नागरिक के समान जीवन व्यतीत करते हुए सेवा और त्याग की भावना से देश सेवा में संलग्न रहता है |

दैनिक पूजा सैनिक जीवन की विशेष दिनचर्या है | भारतीय सेना की छावनियों में हर स्थान पर सर्व धर्म स्थल बने रहते हैं जहां हर संध्या को भजन कीर्तन होते हैं | हर रविवार को यूनिट के सभी सदस्य ऐसे धार्मिक स्थान पर एकत्रित होकर पूजा आराधना करते हैं | ऐसे समागम में धार्मिक प्रतिनिधि भूतपूर्व वीरों की प्रेरक गाथाएं सुना कर सैनिकों को अपने कर्तव्य के प्रति आगाह करते रहते हैं | जहाँ भी सैनिक टुकड़ी होगी वहीं उनके भगवान भी होंगे | सुदूर सियाचन हिम पर्वत (भारत पाक सीमा का उत्तरी भाग) के शिखरों पर, नागालैंड के बीहड़ जंगलों में, तथा सीमा रेखा के पास भूमिगत बंकरों में भी सैनिक अपने इष्ट देव की स्थापना करते हैं और प्रतिदिन प्रार्थना में बैठते हैं| यहाँ तक कि यद्ध क्षेत्र में भी ऊँचे स्वर में जयघोष ( सैनिक भाषा में “जयकारा”) करते हुए ही शत्रु पर प्रहार करते हैं | यानी उस परीक्षा की कठिन घड़ी में भी ईश्वर उन्हें शक्ति प्रदान करता है |

आज मैं आपको एक ऐसी अविस्मरणीय घटना से परिचित कराती हूँ जहाँ प्रभु के प्रति सैनिकों के अटल विश्वास की झलक मिलती है| जैसा कि सभी जानते हैं अस्सी और नब्बे के दशक में भारत के उत्तरी क्षेत्रों में आतंकवाद अपनी चरम सीमा पर था | प्रतिदिन हिंसा की घटनायों ने आम जनता में दहशत फैला दी थी | कहीं रेल की पटरी पर बम विस्फोट, कहीं बसों में आग धमाके आदि -आदि कितने ही रूप में विनाश का तांडव नृत्य हो रहा था| ऐसी परिस्थिति में भारतीय सेना की चुनी हुई यूनिटों को आतंकवादियों के अड्डों को नष्ट करने के लिए कई प्रान्तों में भेजा गया ताकि भारत में आन्तरिक शांति बनी रहे और आम भारतवासी सुख चैन का जीवन व्यतीत कर सके |

ऐसे ही एक अभियान में आतंकवादियों के साथ भयंकर लड़ाई में स्पेशल फोर्सिस के कुछ सैनिक घायल हो गये थे | उन्हें उपचार हेतु भारत के विभिन्न अस्पतालों में भेजा गया था | हमारी यूनिट को यह सूचना मिली कि उन घायलों में एक जवान; जिसका नाम सूरजभान था, इतनी बुरी तरह से घायल था कि उसके बचने की आशा बहुत कम थी| वो ‘कोमा’ की अवस्था में था और जीवन रक्षक मशीनों की सहायता से (life support system) डाक्टर उसका उपचार कर रहे थे| हम सब यूनिट के सदस्य उन दिनों हर रोज़ मन्दिर में बैठ कर अपने घायल सैनिकों के स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना करते थे | जैसे ही सूरजभान की गंभीर अवस्था का समाचार आया, हम सब ने निश्चय किया कि उसके स्वास्थ्य के लिए मंदिर में अखंड ज्योत जलाई जाए तथा एक दिन की विशेष प्रार्थना केवल उसी के नाम से की जाए | समाचार मिलने के दूसरे दिन सभी अधिकारी, जे सी ओ, और जवान अपने-अपने परिवार सहित मंदिर के प्रांगण में एकत्रित हो गये | उसी सुबह यह भी समाचार आया था कि सूरज भान की गंभीर स्थिति के विषय में उसके परिवार को भी सूचित कर दिया गया था | हम सब अशांत और विचलित तो थे ही किन्तु अब हमारे पास पूजा- आराधना ही एकमात्र विकल्प रह गया था | अस्पताल में तो गुणी डाक्टर जी जान से उसे बचाने का प्रयत्न कर ही रहे थे|

मंदिर में सूरज भान के नाम से दो दिन से अखंड ज्योत जल रही थी | सारे दिन के भजन और विशेष पूजा अनुष्ठान के बाद जैसे ही पंडित जी आरती-वंदना के लिए खड़े हुए, मंदिर के कोने में रखे वायरलेस सेट की घंटी बजने लगी | सिगनल के किसी जवान ने आते हुए उस सन्देश को सुना और पास खड़े एक अधिकारी को सूचित कर दिया | हम सभी आरती के लिए खड़े थे | पंडित जी भी ज्योत हाथ में ले कर खड़े थे कि उस अधिकारी ने मेरे पति; जो कि उस समय उस यूनिट के कमान अधिकारी थे, के पास आकर कुछ विशेष बात की | मेरे पति ने कुछ आगे बढ़ कर पंडित जी के हाथ से माईक अपने हाथ में ले लिया और बहुत ही संयत तथा उत्साह पूर्ण वाणी में कहा, “ अभी- अभी अस्पताल में सूरजभान की चिकित्सा में लगे डाक्टर ने सूचना दी है कि उसने आज पहली बार अपना हाथ हिलाया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि उसके होश में आने की आशा की जा सकती है|” यह सुन कर मंदिर का पूरा प्रांगण प्रसन्नता से भर गया | सभी ने एक दूसरे के गले लग कर खुशी प्रदर्शित की | पंडित जी ने भी पूरे उत्साह के साथ जैसे ही आरती आरम्भ की, हर कंठ में आह्लाद और प्रभु के प्रति कृतज्ञता के ऊँचे –ऊँचे स्वर थे | हम सब की निष्ठा की द्योतक अखंड ज्योति भी भगवान की मूर्ति के समक्ष अपनी पूरी आभा के साथ जगमगा रही थी|

लगभग दो महीनों के बाद सूरज भान पूरी तरह स्वस्थ हो कर यूनिट वापिस आ गया | उसे देख कर सभी बहुत प्रसन्न हुए और एक बार फिर से मंदिर में पूजा- आराधना का आयोजन हुआ जिसमें सभी सैनिक परिवारों ने नतमस्तक हो कर प्रभु को धन्यवाद किया |

कुछ दिनों बाद सूरज भान हमसे मिलने हमारे घर आया | औपचारिक बातचीत के बाद उस ने मेरे पति से कहा, “ साहब, अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूँ | जैसा कि आप जानते हैं मेरी टीम तो अभी भी सीमा क्षेत्र में आतंकवादियों को नष्ट करने में लगी हुई है | मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप फिर से मुझे उस टीम में सम्मिलित होने के लिए सीमा पर जाने की अनुमति दें|”

ऐसे आग्रह के लिए अनुमति कैसी ? यह तो सैनिक का धर्म और कर्म है | मेरे पति ने सहर्ष उसे सीमा के क्षेत्र में जाने की अनुमति दे दी | और मैं भावविह्वल सी उन दोनों के वीरोचित निर्णय की साक्षी बनी भगवान् से सूरजभान एवं अन्य सभी सैनिकों के जीवन रक्षा की प्रार्थना करती रही |

ऐसे साहसी एवं कर्त्तव्य निष्ठ भारतीय सैनिकों की अपनी मातृभूमि की रक्षा के प्रति अक्षुण्ण समर्पण एवं बलिदान की भावना को देख कर ऋणी देशवासियों का हृदय सदैव गर्व से परिपूर्ण रहेगा|

***