Bhayankar Yaad - 2 in Hindi Horror Stories by Sohail K Saifi books and stories PDF | भयंकर याद (मध्य )

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भयंकर याद (मध्य )

खेर कईसे तइसे हम लोगन ने वहाँ का करीब करीब आधा काम पूरा कर दिया था
के एक रात किसी बात पर हमरी साथियो से मुँह जोरी हो गई
मैं और छुटकू एक तरफ और बाकी सब एकइ पाले मे होगये थे
खुन्दक मे छुटकू और हम रसोई मे अकेले सोने लग गये रसोई का किवाड़ भी भीतर से बंद कर लिया हम दोनों लोगन के पैर किवाड़ की ओर थे आधी रात को हमें छुटकू की सिसकियाँ और पुकारो की आवाज आई तो हम उठ बैठे छुटकू ने रोते हुए बोला भईया देखो ना कमीनो ने कैसा मजाक किया हैँ पैर पर कुछ बाँध कर बहार से खींच रहे हैँ
ऊ अपना पैर पकड़ रोनी अवाज मे हमसे बोल रहा था पहिले हमने रसोई के लाइट का खटका दबाया पर रौशनी नाही हुई फिर हमने किवाड़ भीतर से खोला तो पता चला बाहिर से भी किसी ने कुण्डी लगा दी थी इसके बाद हमने वो तार जो लोहे की थी पूरा जोर लगा कर खींची पर कौनो फरक नाही पड़ा
वो तार छोटू के पेरो से हो कर किवाड़ के ऊपर वाले मोकळे मे से बाहिर को कोई खींचे जा रहा था
छोटू को दर्द से कररहते देख हम अपना आपा खो कर किवाड़ पर धाई धाई से लातन बजाये रही और गन्दी गालिया बकने लगे हमरा शोर सुन कमरे और आंगन की बत्ती जल गई और उन लोगन ने सकपका कर किवाड़ खोल दी और भीतर आकर पूछने लगे का हुवा का हुवा
इसी बिच छुटकन के पेरो की तार भी ढीली पड़ गई और वो बेहोश हो गवा
हमरी तो गुस्से मे मति मारी गई थी तो काहे उन बकलोल की बात सुनते गुथ पड़े हम उनसे मगर ऊ लोगन ने समझदारी से काम लिया और हमको यकीन दिलाया ये उन मे से किसी का काम नाही हैँ
फिर हम लोगन ने छुटकू के पैर खोल उसको कमरे मे ले गये
कमरे की रौशनी मे हम लोगन ने देखा छुटकवा का पैर खून से लतपत हुआ पड़ा था
फिर हम अपने दो साथीन के संग बहार आ कर उस तार का एक सिरा पकड़ दूसरे सिरे की खोज मे निकले जो मकान से बाहिर जा रहा था
वो सिरे की खोज हमको उस पीपल के पेड़ पर ले गई उसका दूसरा सिरा पीपल के पेड़ पर उसकी टहनीयों मे उलझा हुआ था हम पहले ही थक गये थे तो अब उसको निकालने के लिये भोर का तय कर तार को वही फेक कर घर के भीतर आ गये
अगली सुबह तड़के हम सब ने उठ कर छुटकन की हालत देखि दो उसको बड़ा तेज बुखार हो गया था तो हम सब ने तय कर एक साथी को उसके साथ तत्काल गाड़ी से गॉव भेज दिया
जब हम और हमरे दो साथी टेशन से वापिस आ रहे थे तो हमने देखा ऊ पीपल के पेड़ पर बँधी तार गायब थी हम लपक कर घर के भीतर गये और बाकी लोगन से पूछने लगे किसने वो तार खोली हैँ तो हमरी बातन को सुन वो लोग हम से भी ज्यादा सकपका गये बोले का कहवत हो भईया हम लोगन को कुछु ना बुझाई ई हम मे से कौनो का काम ना ही हैँ तनिक हमको भी तो बतलाई दो का हुवा