Gumshuda ki talash - 36 in Hindi Detective stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | गुमशुदा की तलाश - 36

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गुमशुदा की तलाश - 36


गुमशुदा की तलाश
(36)



रॉकी ने ऐलेक्ज़ेंडर की हत्या कर बड़ी चालाकी के साथ पहले उसके कारोबार फिर उसकी हर एक चीज़ पर कब्ज़ा कर लिया। इन सब में जैसमिन उसकी भागीदार रही।
रॉकी ने अब ड्रग्स के कारोबार में उस मुकाम को दोबारा पा लिया था जहाँ से उसे सब कुछ छोड़ना पड़ा था। लेकिन उसके मन को अभी तसल्ली नहीं मिली थी। वह भारत आकर अपने दो दुश्मनों से बदला लेना चाहता था।
एक था एसटीएफ ऑफिसर सरवर खान
दूसरा कारोबार में उसका प्रतिद्वंदी जॉर्ज डिसूज़ा
भारत आकर उसने दोनों के बारे में जानकारियां जुटानी शुरू कर दीं।
उसने जब सरवर खान के बारे में पता किया तो पता चला कि उसकी गोली लगने से उनको अपनी एक टांग गंवानी पड़ी। पर उन्होंने अपने हौसले से खुद को एक डिटेक्टिव के तौर पर स्थापित कर लिया है।
"खान साहब....मुझे लगा कि इस आदमी में तो मेरे जैसा ही लोहा है। इसलिए इससे बाद में बराबरी की टक्कर लूँगा। इसलिए मैंने अपना ध्यान उस समय जॉर्ज डिसूज़ा की बर्बादी पर लगा दिया।"
जॉर्ज डिसूज़ा को बर्बाद करने के बाद रॉकी ने सरवर खान के ऊपर नज़र रखवानी शुरू कर दी। वह उस मौके की तलाश में था जब उन्हें अपने जाल में फंसा सके।
रॉकी उन जगहों के बारे में पता करता था जहाँ उसके ड्रग्स के कारोबार को बढ़ावा देने के अच्छे अवसर हों। उसे सूचना मिली कि पंजाब और राजस्थान में ड्रग्स लेने वालों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। उसने पंजाब में राजस्थान के बार्डर के पास स्थित धनवंत्री इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज़ से कुछ दूर पर ईगल क्लब की स्थापना की।
ईगल क्लब में दिखावे के लिए लड़के लड़कियां डांस कर दिन भर काम की थकान मिटाते थे। कानून के दायरे में रह कर वहाँ शराब परोसी जाती थी। लेकिन इस सफेद पर्दे के पीछे ड्रग्स का काला कारोबार होता था।
एक बार रॉकी की मुलाकात एक पार्टी में धनवंत्री इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर दीपक वोहरा से हुई। रॉकी की नज़रें सामने वाले के मन की गहराइयों में झांक लेती थीं। प्रोफेसर दीपक वोहरा से बात कर उसने जान लिया कि यह शख्स बहुत महत्वाकांक्षी व पैसों का लालची है।
रॉकी ने उससे कहा कि क्या वह अपने ज्ञान का प्रयोग कर ऐसा नशा तैयार कर सकता है जो बहुत प्रभावशाली व लागत में कम हो। यदि प्रोफेसर दीपक वोहरा ऐसा कर सका तो वह उसे मालामाल कर देगा।
प्रोफेसर दीपक वोहरा इस विषय में विचार करने लगा। उसी समय बिपिन ने उसे अवसाद की दवा बनाने के अपने सपने के बारे में बताया। प्रोफेसर दीपक वोहरा ने उसे इस विषय में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
प्रोफेसर दीपक वोहरा जानता था कि अवसाद का एक कारण सेरोटोनिन हार्मोन का कम उत्पादन होना है। यदि इस हार्मोन को किसी बाहरी वस्तु से प्राप्त कर दवा के रूप में दिया जाए तो अवसाद के रोगी को लाभ हो सकता है। किंतु सेरोटोनिन की मात्रा कितनी हो यह महत्वपूर्ण है। इसको एक खास मात्रा में लिया जाए तो नशे का काम करता है। अतः उसने तय कर लिया कि वह बिपिन को मोहरा बना कर अपने हिसाब से चाल चलेगा। इस काम में उसने आंचल की मदद ली।
प्रोफेसर दीपक वोहरा बिपिन का इस्तेमाल कर रहा था। जबकी रॉकी प्रोफेसर दीपक वोहरा का। इस तरह रॉकी बिपिन के काम को अपने लाभ में प्रयोग करना चाहता था।
रॉकी जैसमिन को लंदन में उसी पेंट हाउस की मालकिन बना कर छोड़ आया था जिसमें ऐलेक्ज़ेंडर ने उसे कैद कर रखा था। वह बिपिन की खोज का अपने फायदे में प्रयोग कर और अधिक दौलतमंद बनना चाहता था। उसके बाद वह जैसमिन से शादी कर दुनिया की हर खुशी देना चाहता था।
रॉकी ने जैसमिन को भारत बुला लिया। उसने उसे भी एक नया नाम दिया दीप्ती नौटियाल। हरीश लालवानी की मदद से दीप्ती ने सायरस मिस्त्री का फ्लैट किराए पर ले लिया।
दीप्ती के नाम से जैसमिन बिपिन को ह्रदयनाथ की सेक्रेटरी बन कर मिली। बात ना बनने पर उसने बिपिन को रॉकी से मिलवाया। फिर बिपिन की किडनैपिंग में रॉकी की सहायता की।
रॉकी ने उसे इस हिदायत के साथ वापस लंदन भेज दिया कि जब वह बुलाए तभी वह उसके पास भारत आए। तब से जैसमिन वहीं थी।
बिपिन की माँ उसकी गुमशुदगी का केस लेकर सरवर खान के पास गईं। जब इसकी सूचना रॉकी को मिली तो वह बहुत खुश हुआ। अब वह केस के सिलसिले में सरवर खान को उलझा कर अपने पास बुला सकता था।
"खान साहब....मैंने आपको अपनी तरफ खींचने का जाल बुनना शुरू किया। प्रोफेसर दीपक वोहरा के ज़रिए कार्तिक को संदेश भिजवाया। उससे कहा कि जब आपका सहायक रंजन उससे मिले तो वह उसे बिपिन और मुझे एक साथ देखे जाने की बात कहे। कार्तिक ने कहा कि उसके दोस्त ने मुझे स्कोडा कार में बिपिन के साथ देखा है। उसने मेरी पहचान भी बताई। मेवाराम गार्ड ने मेरे कहने पर ही लंबी लड़की का ज़िक्र किया था। उसने सफेद स्कोडा कार की बात भी बताई थी।"
"पर किसी ने ईगल क्लब के बारे में नहीं बताया था। फिर तुम कैसे जानते थे कि मैं तुम्हें खोजते हुए वहाँ पहुँच जाऊँगा।"
"आपकी क्षमता पर मुझे पूरा यकीन था खान साहब। मैं जानता था कि मेरे हुलिए के ज़रिए आप कैसे ना कैसे मेरा पता कर लेंगे। मेरा पता यानी ईगल क्लब का पता। बात बस समय की थी। मैं उसी की राह देख रहा था। आपने भी मुझे मायूस नहीं किया।"
"मुझे अपने पास बुलाने के लिए इतने झंझट करने की क्या ज़रूरत थी। तुम मुझ पर नज़र रखे हुए थे। कहीं भी अपना बदला ले सकते थे।"
"लेने को तो मैं भारत आते ही अपना बदला ले सकता था। पर अब आपको आपके काम में नाकामयाब कर इस कमरे के अकेलेपन में घुटता हुआ देखने का मज़ा ही कुछ और होगा। अब आप यहाँ से बाहर नहीं जा पाएंगे।"
रॉकी ने सरवर खान की तरफ उंगली उठा कर चेतावनी दी। सरवर खान हौले से मुस्कुराए।
"रॉकी मेरा ईमान मुझे ताकत देता है। मैं घुट कर नहीं मरूँगा। यहाँ से बाहर निकल कर अपना केस पूरा करूँगा।"
"बहुत खूब खान साहब। आपमें फौलाद सा हौसला है। आपको तोड़ कर मज़ा आएगा। अब चलता हूँ।"
कह कर रॉकी कमरे से चला गया। सरवर खान फिर उस कमरे की नीली दीवारों के बीच अकेले रह गए।
रॉकी के शब्द उनके कानों में गूंजने लगे।
'आपको आपके काम में नाकामयाब कर इस कमरे के अकेलेपन में घुटता हुआ देखने का मज़ा ही कुछ और होगा। अब आप यहाँ से बाहर नहीं जा पाएंगे।'
रॉकी के यह शब्द सरवर खान को एक चुनौती की तरह लग रहे थे। वह कभी भी चुनौतियों से पीछे नहीं हटे थे। जैसे जैसे ये शब्द उनके दिमाग में चोट कर रहे थे। वह और अधिक दृढ़ता के साथ उन्हें झूठा साबित करने के लिए प्रतिबद्ध हो रहे थे।
सरवर खान ने उस कमरे के एकांत में पूरी ताकत से चिल्ला कर रॉकी को ललकारा।
"कुछ भी कर लो तुम....मुझे तोड़ने का आनंद मैं तुम्हें नहीं लेने दूँगा। मैं यहाँ से बाहर निकल कर तुम्हें जेल की सलाखों के पीछे भेजूँगा।"
वह अच्छी तरह जानते थे कि एक भी शब्द रॉकी के कानों तक नहीं पहुँचेगा। पर यह उनके अपने आत्मबल को बढ़ा रहा था।
सरवर खान उस स्थान से निकलने के बारे में सोंचने लगे।
एक ही व्यक्ति था जो दिन में तीन बार उनके लिए खाना लेकर आता था। इसका मतलब था कि रॉकी के अलावा केवल उसके पास ही कमरे का दरवाज़ा खोलने की चाभी होगी।
सरवर खान बहुत ध्यान से सोंचने लगे कि रॉकी और उनके लिए खाना लेकर आने वाला व्यक्ति किस तरह दरवाज़े को खोलते हैं। उनके अंदर आते ही दरवाज़ा लॉक हो जाता है। बाहर जाने के लिए दोनों एक कार्ड दरवाज़े पर लगी मशीन में स्वाइप करते हैं। एक क्लिक की आवाज़ आती है। फिर वो दरवाज़ा खोल कर बाहर निकल जाते हैं।
सरवर खान सोंचने लगे कि यदि वह खाना लेकर आने वाले व्यक्ति से कार्ड प्राप्त कर लें तो आसानी से बाहर जा सकते हैं।