wo ladki - Upsanhar in Hindi Horror Stories by Ankit Maharshi books and stories PDF | वो लडक़ी - उपसंहार

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वो लडक़ी - उपसंहार

ये कहानी है जैसलमेर के सबसे रहस्यमयी स्थान कुलधरा के बारे में ... 84 से 85 गांवों का एक ऐसा समूह जहां जाते ही पेरानॉर्मल अन्वेषकों के रेडियो और मोबाइल अजीब बर्ताव करने लगते थे । वहां रात को पार्क की गई गाड़ियों पर बच्चे और औरतों के हाथों के निशान मिलते थे। वहां का तापमान सामान्यतः 4 डिग्री ज्यादा मिलता था। उस जगह पर रेडियो टीवी रडार आदि अच्छे से काम नहीं करते थे, पर पिछले कुछ सालों में वहां की पेरानॉर्मल एक्टिविटी में काफी गिरावट आई है । इंवेटिगेटर्स को सेम गेजेट्स के साथ उन्ही जगह पर अब बहुत कम एक्टिविटी देखने को मिलती हैं, तो उस स्थान पर उन सैंकड़ों आत्माओ का क्या हुआ जो पहले थी..??
आज कुलधरा इतना शांत कैसे है जबकि पहले कुछ पेरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन में सैंकड़ों आत्माओ के सिग्नल रेकॉर्ड हुए थे??
18 वी शताब्दी में पालीवाल अपने इतने सम्पन्न गांवों को छोड़ कर क्यों चले गए जो स्थापत्यकला का बेजोड़ नमूना थे???

तर्कशास्त्री बताते हैं कि 18 वी शताब्दी में ककणी नदी पूरी तरह सूख गई थी और उधनसर तालाब में भी पानी की किल्लत रहने लगी थी इसलिए पेयजल की समस्या के कारण पालीवाल ब्राह्मण वहां से गए थे, क्योंकि आने वाले समय मे अनावृष्टि का उन्होंने पूर्वानुमान लगा लिया था, अब कुलधरा में ज्यादा सम्भावना नहीं लगी इसलिए किसी दूसरी जगह उन्होंने बसना ठीक समझा।
हालांकि सभी शोधकर्ताओं का एकमत इस सिद्धांत को लेकर नहीं है, क्योंकि उन वर्षों में किसी बड़े अकाल या लगान में छूट के कोई दस्तावेज किसी ग्रन्थ में नहीं मिले हैं।

सबसे ज्यादा प्रचलित थ्योरी यह है कि स्वरूप सिंह मेहता (माहेश्वरी) जो कि जैसलमेर के रावल मूलराज सिंह का एक भ्रष्ट और षड्यंत्रकारी प्रधान था, उसके भ्रष्टाचार से पूरी जैसलमेर रियासत में असंतोष व्याप्त था। एक बार भरी सभा मे उनका षडयंत्र साबित होने पर राजकुमार रायसिंह ने उनकी वहीं दरबार मे उनकी हत्या कर दी थी। जिसके बाद राजकुमार को जैसलमेर रियासत की उफनती राजनीति थामने के लिए जैसलमेर छोड़ना पड़ा। तब सालिम सिंह मेहता भी वहीं था लेकिन उसकी आयु केवल 11 वर्ष थी। रियासत के नियमानुसार प्रधान का पुत्र प्रधान घोषित किया गया और मात्र 11 वर्ष की आयु में सालिम सिंह ने प्रधान/दिवान पद को अनोपचारिक रूप से संभाला। सालिम सिंह के मन मे बदले की आग बहुत ज्यादा थी और लालच तो शायद उसे अपने पिता से मिला था।
चूंकि राजपूतों की ताकत के सामने वो कुछ नहीं था इसलिए उसने भी अपने पिता की तरह षडयंत्र रचने शुरू किए। जैसलमेर रियासत के मंत्री सांप काटने से , जहर पीने से , या जंगल मे हत्या होने से मरने लगे। वह जिन जिन को अपनी पिता की मौत का जिम्मेदार मानता था उन सबको उसने षड्यंत्र से हटवा दिया।
अपने से बड़े पद वालों के सामने उसका व्यवहार अत्यंत ही शिष्ट सभ्य और शालीन था पर उसकी शातिरता को आसानी से भांपा जा सकता था। जबकि खुद से कमजोरों के लिए अत्यंत क्रूर था। वासना के अंधे सालिम सिंह के 6 विवाह के उल्लेख मिलते हैं साथ ही उसके कामुक , अश्लील और वासना के गंदे खेल के भी किस्से प्रचलित है।
पालीवाल ब्राह्मण 13 वी शताब्दी में जैसलमेर बसे थे। वे शासक वर्ग के ब्राह्मण थे, ब्राह्मण गुणों के साथ साथ उनमें वैश्यों की तरह अर्थ प्रधान व्यवहार कुशलता , क्षत्रियों के समान युद्ध कौशल और कृषि कर्मो में भी आगे थे। उनकी वैज्ञानिक विधियां उन्हें सम्पन्न बनाती गई और 18 वी शताब्दी की शुरुआत में वे अत्यंत स्थाई अवस्था मे थे, तालाब बावड़ियां उन्होंने सभी गांवों में इस कदर बनाई कि सिंचाई और पेयजल की समस्या को वो हल कर चुके थे। जैसलमेर की शुष्क भूमि में जिप्सम की परत वाली भूमि की पहचान करके उसे हरा भरा बनाया और बंजर समझे जाने वाले धोरों में से सम्पन्नता की नई नदी बहाई।
कहा जाता है इतनी सम्पन्न और वीर जाति एक दीवान से डर गई !! जिससे केवल सेनापति मिला हुआ था ,,, बाकी पूरी रियासत उसके खिलाफ थी। पालीवाल अपनी बच्ची को सालिम को सौंपना नहीं चाहते थे जिस पर सालिम अपनी गन्दी नज़र डाल चुका था और 84 गांव के सारे लोग एक रात में वहां से पलायन कर गए और जाते जाते उस गांव को श्राप दे गए कि यहां कोई नहीं बस पायेगा।


कुल मिलाकर दूसरी थ्योरी भी सही नहीं लगती है, मतलब एक व्यक्ति के डर से 84 गांव खाली हो जाये, वो भी संपन्नतम गांव , वो भी कभी शासक रह चुकी जाती के गांव,, ये कम हज़म होने वाली थ्योरी थी। अगर पालीवालों के श्राप में इतना ही दम था तो वे सालिम सिंह को श्राप देते अपने ही बनाये घरों को क्यों देते??
पर सभी ऐतिहासिक तथ्य इसी थ्योरी के पक्ष में हैं , इसलिए इसे सही माना जाता है।

सालिम सिंह की हवेली बेहद खूबसूरत है जैसलमेर में उसे देखा जा सकता है और भी कई आलीशान घर और हवेलियां उसने बनवाई थी। रेगिस्तान में ऐसी हवेलियां उसकी लालच की हद को बताती है। लालच ही पर्याप्त नही है , उसे क्रूर होना भी जरूरी था। पर सालिम सिंह के वंशजों के अनुसार सालिम सिंह एक बेहद कलाप्रेमी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ट दिवान यानी कि प्रधानमंत्री थे। सालिम सिंह के चित्र जो उनके द्वारा वास्तविक बताए गए हैं उनमें वो बिल्कुल शांत स्वभाव के प्रतीत होते हैं। उनके वंशजो का कहना है कि उनके पूर्वज हमेशा से दिवान जैसे पदों पर प्रतिष्ठित थे तो भला धन की कोई कमी हो ही नहीं सकती । इसीकारण स्थापत्य कला के कई बेजोड़ नमुने उन्होंने बनाये।

पर सच क्या है ये कोई नहीं जानता...


इन सब असमंजस को देखते हुए एक कहानी दिमाग मे आई। जिसमे मैंने सेनापति और प्रधानमंत्री एक ही व्यक्ति को बनाया , ओर उसकी शक्तियां साधारण हो ही नहीं सकती क्योंकि उसके खोफ से एक रात में 84 गांव एक साथ खाली हुए थे। इसलिए उसे कुछ चमत्कारिक शक्तियां देना जरूरी था। तन्त्र मन्त्र काला जादू ये सब पाठक पढ़ चुके होंगे इसलिए मुझे satanism को अपनी कहानी में शामिल करना सही लगा। मैं कुछ फ्रेश लिखना चाहता था जो पहले किसी ने नहीं लिखा हो।
अब दुविधा ये थी कि इस कहानी को पाठकों तक कैसे पहुंचाए, मैं as a first person लिखना ज्यादा अच्छा महसूस करता हूँ इसलिए शेष कहानी का ताना बाना सामने आया और नए किरदार गढ़े गए।
पर इससे कहानी एक अलग ही ट्रेक पकड़ने लगी और मुख्य कहानी मुख्यधारा से बाहर हो गई और मैं भी कहानी के साथ बहता हुआ कहानी को आपके सामने वर्तमान स्वरूप में ले आया। सोमू , सौरव , हरि , महंत जी , प्रोफेसर राममूर्ति , राकेश ..... कब अपने से लगने लगे ये पता ही नहीं चला।
पर शायद ये कहानी झूठा ही सही , इस बात का जवाब देने में सक्षम है कि 84 गांव एक रात में खाली कैसे हुए?? एक इंसान से पालीवाल इतने क्यों डर गए..?? शुरुवात में कुलधरा में जितनी पेरानॉर्मल गतिविधियों को रिकॉर्ड किया गया अब वैसा क्यों नहीं हो रहा है??

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इस कथा ने अपने प्रकाशन के एक वर्ष के भीतर हज़ारों पाठकों के दिल में अपनी जगह बनाई है।आपने इतना प्यार दिया जितनी मैंने उम्मीद में नहीं की थी
मैंने अपनी तरफ से कहानी एक सीधी रेखा में बनी थी परंतु फिर भी कई पाठकों के मन में सवाल रह गए थे उन्होंने समय-समय पर सवाल पूछे और मैंने उन्हें जवाब भी दिए। परंतु जब एक जैसे सवाल बार-बार पुनरावृति होने लगे तो मुझे लगा की सभी सवालों का जवाब एक साथ प्रकाशित कर देना चाहिए ताकि पाठकों के मन में कोई भी सवाल हो तो उनको जवाब मिल जाए।
प्रमुख सवाल निम्नलिखित है जो पाठकों ने पूछा और मैंने जवाब दिए

प्रश्न-1 :- क्या यह कहानी सच्ची है क्या आपके साथ में सचमुच ऐसा हुआ था।
उत्तर :- कोई भी कहानी सच्ची झूठी अच्छी या बुरी नहीं होती है कहानी बस कहानी होती है जिसे लिखने से पहले लेखक हजारों बार और पढ़ते हुए पाठक एक बार जीता है। कहानी काल्पनिक जरूर है पर शत-प्रतिशत काल्पनिक नहीं है।

प्रश्न-2:- क्या सच में आप कभी आत्माओं की दुनिया में गए हो या केवल आपने इसे कल्पना से लिखा है।
उत्तर :- इस दुनिया में हर कोई न्यायधीश बन फैसला सुनाने को तैयार बैठा है अगर मैं इसे सच बताऊंगा , तो मुझे पागल करार दिया जाएगा । अगर मैं झूठ बताऊंगा , तो उजुल फिजूल बातें लिखने का दोषी करार दिया जाऊंगा। बस इतना कह सकता हूं कि मुझे अपनी कल्पनाओं की दुनिया भी उतनी ही वास्तविक लगती है जितनी आपको यह दुनिया लगती है।

प्रश्न-3:- आपकी कहानी वो लड़की The Horror Mistry में अंतिम स्पेलिंग गलत है। Mystery सही होता है।
उत्तर:- आभार इस प्रश्न को पूछने के लिए ,, मैंने सोचा था कई लोग इसे पूछेंगे । वास्तव में मेरा यह मानना है कि केमिस्ट्री से बड़ी कोई दूसरी मिस्ट्री नहीं है इसलिए केमिस्ट्री की स्पेलिंग के अंतिम 6 अक्षरों को उठाया है और मिस्ट्री शब्द बनाया है मैं केमिस्ट्री पढ़ता हूं और पढ़ाता हूं इसी को ध्यान में रखकर इस स्पेलिंग को चुना गया।

प्रश्न 4 :- क्या सच में आपको सपने में चोट लगने पर निशान हकीकत में आते हैं?
उत्तर :- ऐसा तो नहीं होता पर जब यह कहानी मैं लिख रहा था तब सपनों में काफी चिल्लाता था ओर हकीकत में भी चिल्लाते हुए आंख खुल जाती थी।

प्रश्न-5:- क्या जिनको परिवार का मोह नहीं होता है वह पितर नहीं बनते हैं??
उत्तर :- भारतीय दर्शनों में आत्माओं की अलग-अलग गति बताई गई है यदि कोई आत्मा अपने पूर्व कर्मों के आधार पर पिशाच प्रेत या किसी अन्य योनि में चली जाती है तो भी उसे विधान के आधार पर पितर योनि में मिलाया जा सकता है। इस बारे में आप किसी भी आम पंडित से बात कर सकते हैं।

प्रश्न-6:- आपने जैसलमेर के राजा गज सिंह और मूल सिंह , इनका नाम समान रखा ..... पुजारी जी का भी वही रखा परंतु सालिम सिंह का नाम बदलकर जालिम सिंह क्यों कर दिया इसी तरह गौरव तिवारी का नाम बदलकर सौरभ क्यों कर दिया?
उत्तर :- यह कहानी काल्पनिक है कुछ ऐतिहासिक घटनाओं को आधार इसमें बनाया गया है परंतु उनमें काल्पनिकता का समावेश जरूरत से अधिक है । सालिम सिंह का किरदार समान नाम के साथ नहीं दिया जा सकता था क्योंकि किसी भी ऐतिहासिक ग्रंथ में ऐसा उल्लेख नहीं है कि वह काला जादू या शैतानीजम जैसा कुछ भी करते थे, इसलिए उनका नाम बदला गया । गौरव तिवारी को मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता हूं । मैंने उनके केस पढ़े, वीडियो देखें .... तो उनसे मिलता जुलता या प्रभावित किरदार मेरे मन में बस गया। इसलिए मैंने सौरभ नाम का किरदार डाला जो कुछ हद तक उनसे प्रेरित था परंतु यह बिना किसी आधिकारिक अनुमति के किया था इसलिए इस नाम को चुना गया।

प्रश्न-7:- छी...कल्पना की भी कोई हद होती है कितनी बकवास कहानी है इसे पढ़ने में मेरे 4 घंटे बर्बाद हो गए।
उत्तर:- जी माफी चाहता हूं कि कहानी आपकी अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी परंतु मेरा यह मानना है कि कल्पनाओं की कोई हद नहीं होती है।

प्रश्न-8:- आपने भाग 4 में लिखा है जहां पर विज्ञान खत्म होता है अध्यात्म वहीं से शुरू होता है, इस कथन को समझ नहीं पाया थोड़ा विस्तार से समझाए
उत्तर:- हम जब आंख खोलकर चारो तरफ अनन्त विस्तारित ब्रह्मांड को देखते हैं, तो जिज्ञासा का जन्म होता है। हम अस्तित्व को जानने की कोशिस करते हैं .....समग्र अस्तित्व को किसी निश्चित नियम से बांधने की कोशिस करते हैं .... ओर यही विज्ञान है, जो अस्तित्व आंखे खोलने पर दिखाई देता है उसी की पहचान करना विज्ञान है। पर विज्ञान की सीमा है, ... उस सीमा को देखने की काबिलियत उसी शख्स में है जो आंखे बन्द कर स्वयं में पूरा ब्रह्मांड देख सके। जब मनुष्य आंखे बन्द कर स्वयं के अंतर्मन की गहराइयों में झांकता है तो उसे पता चलता है कि ऐसा ही समग्र ब्रह्मांड वह स्वयं में समाए हुए है। हम सभी वास्तव में उसी ब्रह्मांड के स्वरूप हैं , जो आंखे खोलने पर दिखाई देता है, पर बाहरी ब्रह्मांड के नियम जितने आसान ओर सार्वभौमिक हैं, अंदरूनी तौर पर उतनी ही अधिक अनिश्चितता है... विज्ञान के सभी नियम वहां दम तोड़ते प्रतीत होते है , इसलिये उसे समझना विज्ञान से परे है। हमारा नज़रे ... या कहे नज़रिया ही आध्यात्म और विज्ञान को अलग करता है। इसीलिए कहा की जहां पर विज्ञान खत्म होता है वहीं से आध्यात्म शुरू होता है।

प्रश्न-9:-मैने आपकी वो लड़की ओर मेरा हिस्सा कहानी पढ़ी, मेरा हिस्सा में आपने कच्चा कलवा को सबसे ताकतवर शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया था, मेरा सवाल ये है कि सबसे ताकतवर तन्त्र शक्ति कौनसी होती है?
उत्तर :- अगर एक बूढ़े बीमार शेर की लड़ाई किसी तगड़े कुत्ते से हो तो कुत्ता भी शेर से जीत सकता है। हर एक तन्त्र शक्ति जिसकी आराधना नियमानुसार की जाए, समय पर भोग का अर्पण किया जाए ओर साधक द्वारा विश्वास दिखाया जाए , तो वो अपने आप में महाबलशाली है। मैंने किसी प्रकार की साधना नहीं की है पर लोग बैताल को सबसे शक्तिशाली तन्त्र शक्ति बताते हैं ।

प्रश्न-10:- अगर किसी दिन सच में भूत आपके सामने आ गया तो आप क्या करेंगे??
उत्तर:- शायद नमस्कार..... बाकी पता नहीं ... जो करना है वो भूत को ही करना है??

प्रश्न-11 :- विलियम का क्या हुआ, उसे कैसे सज़ा मिली... दोषी तो वो भी था... इसबारे में भी बताए।
उत्तर :- इस विषय में एक अन्य कहानी Nightmare में बताया जाएगा जो तत्कालीन जैसलमेर की राजनीति और वर्तमान में पुनर्जन्म की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालेगी।

प्रश्न-12:- शैतान को आत्मा समर्पित करने के बाद अंकित में कोई परिवर्तन आया या नहीं।
उत्तर:- भगवान आपको सबकुछ देते हैं और बदले में इतनी सी उम्मीद करते हैं कि आप सही रास्ते पर चले। पर शैतान के यहां कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता, अगर शैतान ने अंकित की मदद की तो अंकित को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी ,वो भी बहुत भारी... ये इस अंकित की जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी जो उसे उस वक्त करनी ही पड़ी। आगे आने वाली कहानियां अंकित पर शैतान के प्रभाव को स्पष्ट करेगी। बस ये समझ लीजिये अंकित अकेला नहीं, शैतान के साये में है।

प्रश्न -13 :- क्या आपको अब भी सोमू की याद आती है??"
उत्तर :- सोमू कभी न भुलाया जाने वाला किस्सा है
वो मेरी यादों का हिस्सा है.. अब भी उन गलियों में कोई बेग लेकर घूमती हुई कुछ कुछ उसके जैसी बच्ची दिखे तो किसी न किसी बहाने बात करके कन्फर्म जरूर करता हूँ कि ये सोमू है या नहीं।

प्रश्न-14:- क्या आपने अपनी कहानी में शैतान का महिमामंडन कुछ ज्यादा ही नहीं किया है कहानी के अंत में अंकित भगवान की मदद भी ले सकता था या सौरभ के हाथों भी जालिम का अंत हो सकता था पर आपने शैतान की मदद से जालिम का अंत किया यह कुछ कम समझ आया।
उत्तर:- इस प्रश्न के जवाब के लिए मुझे आपको भगवान और शैतान के विषय में कुछ मूलभूत बातें बतानी पड़ेगी। भगवान सर्वशक्तिमान है वह बिना मांगे ही हमें सब कुछ देते हैं उन्होंने हमें बिना मांगे ही यह जिंदगी दी और इतने सारे उपहार दिए भगवान बदले में हमसे कुछ भी नहीं चाहते हैं बस इतनी सी उम्मीद करते हैं कि हम सही रास्ते पर चलें भगवान हमारी मदद विशेष तौर पर तब करते हैं जब अपने सबसे बड़े दुश्मन को भी माफ करने का एक पवित्र हृदय हमारे अंदर हो अगर मैं किसी की मदद करना चाहूं तब भगवान जरूर मेरा साथ देंगे लेकिन प्रतिशोध से भरे हुए मस्तिष्क से भगवान दूर चले जाते हैं उस वक्त अंकित गुस्से से भरा हुआ था उसे जालिम से प्रतिशोध लेना था वह जालिम को मरने के बाद भी हजारों मौतें मारना चाहता था जब किसी को लेकर मन में इतना गुस्सा हो उस स्थिति में भगवान हमारी मदद नहीं करते हैं क्योंकि ऐसा विक्षिप्त मनुष्य मस्तिष्क भगवान की देन नहीं है परंतु शैतान को एसी विक्षिप्त का पसंद है उसे प्रतिशोध से भरे हुए अहंकार से भरे हुए मनुष्य अच्छे लगते हैं ऐसी स्थिति में एक शैतान ही था जो अंकित की तुरंत मदद कर सकता था

और दूसरी चीज यह भी मैं आपको बताना चाहता हूं कि जिस जालिम ने शैतान की 200 से भी अधिक वर्षों तक पूजा अर्चना की ......बली अर्पण की ..... वह शैतान अंकित के मिलते ही तुरंत उसके खिलाफ हो गया , यानी कि शैतान से किसी प्रकार की उम्मीद करना बेवकूफी है । शैतान अपने ही भक्तों को किसी अनजान को शक्ति दे कर मरवा भी सकता है । अगर आपको यह शैतान का महिमामंडन लगता है तो अवश्य ही लेखन में मुझसे कुछ चूक हुई है।

अगर सौरव के हाथों जालिम की अंत दिखाया जाता तो अंकित और सोनू दोनों किरदारों के साथ न्याय नहीं होता उन भावनाओं का क्या जो अंकित के सीने में ज्वालामुखी की तरह धड़क रही थी इसलिए सौरव को आत्माओं की मुक्ति का जरिया बताया और अंकित द्वारा जालिम का अंत किया गया।


प्रश्न-15:- अंकित जी मैंने आज ही आपकी कहानी को पड़ा हालांकि इसे प्रकाशित हुए लगभग 1 साल होने को आए हैं पर मुझे लगा कि आप की कहानी के बहुत से दृश्य अन्य रचनाकारों ने हूबहू उतारे हैं शुरुआत में मुझे लगा कि आपने नकल की है पर जब प्रकाशन दिनांक आपकी देखी तो पता चला कि आप की कहानी पहले प्रकाशित हो चुकी थी, आप की कहानी के दृश्य और शैली कोई दूसरा प्रयोग करें तो क्या आपको बुरा नहीं लगता?
उत्तर:- जी उन कहानियों को मैंने भी पढ़ा है फाइव स्टार रेटिंग भी दी है और सुधार के लिए कुछ निर्देश भी दिए हैं अगर कोई मेरी कहानियों से कुछ दृश्य प्रभावित होकर लिख रहा है तो मेरी नजर में इसमें कोई बुराई नहीं है मैंने भी अपनी कहानी को लिखने के लिए सैकड़ों संदर्भ ग्रंथ पड़े कहानी में एक बड़ा हिस्सा ऐतिहासिक घटनाओं का भी है तो क्या उनको भी मैं कॉपी का नाम दूं हकीकत में एक लेखक हमेशा एक अच्छा पाठक भी होता है इसीलिए जो उसे अच्छा लगता है उसका थोड़ा बहुत प्रभाव आना कोई बड़ी बात नहीं है।

प्रश्न-16:- क्या सोमू सुरक्षित गर्भ लोक तक पहुंच गई थी और आप सौरभ का क्या हुआ?
उत्तर:- जी सौरभ ने सोमू को सुरक्षित गर्भलोक तक पहुंचा दिया था जालिम का अंत हो ही चुका था , विनीत और महिपाल शैतान की कैद में हमेशा हमेशा के लिए जा चुके थे, तिलिस्म थोड़ा जा चुका था तो यह स्पष्ट था कि असुरक्षित जैसी कोई बात ही नहीं थी । सोमू आसानी से पुनर्जन्म को प्राप्त हो गई।

प्रश्न:-17 --- ऐसी कल्पनाएं लाते कहाँ से हो भाई..?
उत्तर:- अगर आपको बताऊंगा तो आप भी ले आएंगे , बाद में मेरी कहानी कौन पढेगा ?? जी मजाक कर रहा था,, ये आप सभी पाठकों का प्यार है , जिसके कारण आपको साधारण कल्पनाएं भी विशेष लगती है।

प्रश्न-18:- अंतिम भाग सजा में सोमू किसी चश्मे वाली की बात कर रही थी वह चश्मे वाली कौन है क्या आप उसका नाम बताएंगे?
उत्तर:- चश्मे वाली और उसका नाम दोनों ही सीक्रेट हैं उनके विषय में मैं कुछ नहीं बताऊंगा बस इतना बता सकता हूं कि आप अगर चश्मे वाली को और भी करीब से जानना चाहती हैं तो आपको मेरी एक अन्य कहानी दो लम्हें और एक कविता मेरा प्यार पढ़नी चाहिए आप कुछ कुछ समझ जाएंगी उसे .....बाकी मेरी जितनी भी प्रेम कविताएं हैं वह सभी के सभी उसी चश्मे वाली के लिए हैं , आप उन्हें भी पढ़ सकती हैं विशेष तौर पर 'कैसी सी है वो' और 'कितना तुमसे प्यार करूं।'

प्रश्न-19:- भाई मैंने यह कहानी पढ़ी और मुझे बहुत पसंद आई लेकिन जब मैंने तुम्हारी फोटो देखी तो लगा शायद तुमने कहीं से यह कहानी कॉपी की है क्योंकि यह कहानी तो कोई अनुभवी आदमी ही लिख सकता है कोई बाबा टाइप का , कम से कम कोई तुम्हारे जैसा लड़का तो यह कहानी नहीं लिख सकता है तो मैं यह पूछ रहा था तुमने किसकी कहानी कॉपी मारी मुझे भी बताओ।
उत्तर:- आपकी समीक्षा पढ़ने के बाद जब मैंने आपकी फोटो देखी तो मुझे भी घोर आश्चर्य हुआ कि यह आदमी पढ़़ कैसे सकता है !!!.....और मोबाइल भी चला सकता है ..!! इस तीखे मजाक के लिए माफी चाहता हूं पर मेरी 6 महीनों की मेहनत को कॉपी का नाम न दें । अगर कोई इंसान केवल शक्ल देखकर यह बता दे कि मैं क्या कर सकता हूं या क्या नहीं .......तो मुझे उससे मिलवाये ,, यह गुप्त विद्या मुझे भी सीखनी हैं।

प्रश्न-20:- आपने हॉरर कहानियां लिखना कैसे शुरू किया क्योंकि आमतौर पर लोग सामाजिक कहानियां और प्रेम कहानियां पढ़ने के और लिखने के शौकीन होते हैं।
उत्तर:- किसी और का तो मालूम नहीं , लेकिन मैं हॉरर कहानियां पढ़ने का हमेशा से शौकीन था । पिछले साल फरवरी में मैंने प्रतिलिपी इंस्टॉल की थी । तब हमेशा हॉरर कहानियां सर्च किया करता था । पर लोग कहानियों के नाम पर कुछ भी उल्टा सीधा लिख रहे थे ,,, पता नहीं बरगद वाला भूत ....स्कूल वाला भूत... खण्डर का जिन्न , चुड़ैल के पैर , तालाब का भूत , हाईवे की चुड़ैल .....कुछ भी अनाप शनाप लिखा हुआ था प्रतिलिपी पर ।। इन लोगों को मैं फाइव स्टार देकर समीक्षा में तीखी आलोचना दिया करता था। इससे नाराज होकर कुछ लेखकों ने मुझे यह लिखा था कि आलोचना करना तो बहुत आसान होता है , पर किसी कहानी को रचना अपने आप में उतना ही कठिन होता है। आप अपनी तरफ से एक लाइन नहीं लिख सकते लेकिन आलोचना में आप सैकड़ों लाइने लिख सकते हो। यह बात मेरे दिल पर लग गई और मैंने एक व्यंग्य लिखा "अजब गटर की गजब कहानी" उसके बाद वो लड़की कहानी को लिखना शुरू कर दिया।
हकीकत में लिखना कोई मुश्किल कार्य नहीं है, आप भी शुरू कीजिये ओर शुरुआत यहीं से कीजिये .. समीक्षा में।


अनुग्रह

प्रिय पाठकों???
एक लम्बे अंतराल बाद पुनः हॉरर लेखन में सक्रिय हुआ हूँ। बेहद ही व्यस्त दिनचर्या में लेखन हेतु समय निकाल पाना मेरे लिए सम्भव नहीं हो पा रहा था।
आज में आपको उन कहानियों के बारे में बताना चाहता हूँ जिन्हें लिखना मेरी ख्वाइश है। साथ ही कभी उनकी समयरेखा (timeline) के बारे में विस्तार से चर्चा होगी।
मेरी जिन कहानियों में किरदार का नाम समान है वो कहानियां भी उसी एक ही किरदार की है। जैसे दो लम्हे तथा वो लड़की The Horror Mistry दोनो के मुख्य किरदार एक ही है। अंकित की कई कहानियां ओर कविताएं मेने प्रस्तुत की थी पर कुछ ओर कहानियां भी है जिन्हें मैं आप तक लाना चाहता हूँ । अंकित की होरर सीरीज की कहानियां निम्न है
1. वो लड़की- the horror mistry ।।।। इस कहानी के बारे में आप सब जानते हैं इसकी टाइमलाइन मई 2016 और जुलाई तथा अगस्त 2017 की है , दृश्य सीकर, झुंझुनू तथा जैसलमेर से सम्बंधित है।
2. रुक्मणी - ये 15 may 2018 से लेकर 12 जून 2018 के मध्य सीकर के हर्ष गांव में घटा मेरा पहला पेरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन केस है। जिसमे मैने कुछ नई ओर विशिष्ट शक्तियां खोजी थी। ये प्रेम , दशहत , दर्द और ख़ौफ़ की ऐसी दास्तान है जिसे मैं केवल तभी लिखूंगा जब इतना सक्षम हो जाऊं की 1 साल की छुट्टी लेकर लिख सकूं।
3. Nightmare - रात कब खत्म होगी - ये कहानी 220 साल पुरानी प्रेमकथा हैं। एक पिता पुत्र के रिश्ते की कथा है, पुनर्जन्म का बड़े ही तार्किक ढंग से विश्लेषण आपको इस कथा में मिलेगा। साथ ही विलियम का अंत कैसे हुआ था ये जानने का पाठकों को मौका मिलेगा।प्राचीन रियासतों की राजनीति ओर प्रशासन के बारे में करीब से जानने को मिलेगा।
4. "डाकण कुणसी" :- डायन प्रथा पर आधारित ये कहानी महिला प्रताड़ना, डायनों के नाम पर हो रहे षडयंत्र पर प्रकाश डालेगी। तथा वास्तविक डायनों के टोनेटोटके , वुडू , काला जादू इत्यादि विषयों की समझ बनाते हुए आगे बढ़ेगी।
5. "12- The horror Journey" त्राटक, तन्त्र , स्तम्भन जैसी मानसिक शक्तियों पर आधारित ये कहानी आपको सम्मोहन के गुर सिखाएगी और उनसे बचने की तकनीके भी बताएगी। गरुड़ पुराण की गहराइयों पर चिंतन भी इस कहानी में मिलेगा। 1 अगस्त 2018 से 12 अगस्त 2018 के दौरान किये गए एक विचित्र पेरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन को मैं आपके साथ बांटना चाहूंगा जिसमे मैने अपनी डायरियां ओर कुछ समय के लिए यादास्त को खो दिया था।
6. मेरा गुनाह - The horror Justice :- ऐसा पहली बार हुआ की किसी दुष्ट शक्ति के निशाने पर मैं खुद था। मेरा ही कोई गुनाह इंसाफ मांगने आ गया। 25 अगस्त 2018 से 9 जनवरी 2019 के मध्य का ये घटना क्रम है।



इनमें से सबसे छोटी कहानी मेरा गुनाह है, जो अगले हफ्ते से आपके सामने आएगी। इनके अलावा भी बहुत सी कहानियां है जो पाठकों तक मैं पहुंचाना चाहता हूँ। लेकिन आर्थिक प्रधान इस युग में केवल शौकिया लेखन करना बेहद मुश्किल है। इसलिए साल भर में अधिकतम दो कहानियां ही आप तक पहुंच सकती है।

मेरी कोशिस रहेगी कि मेरा गुनाह के सभी 6 भाग आप तक वक्त पर पहुंचे पर मैं इस विषय में वादा नहीं कर सकता। उम्मीद है 8 से 10 दिन के अंतराल में आपको नया अध्याय पढ़ने को मिल जाएगा। आपको मेरा गुनाह का शुरुआती अध्याय धीमी गति का लग सकता है क्योंकि उस अध्याय में मैंने बीते 2 वर्षों में अंकित के जीवन में क्या फर्क आया उसे दर्शाने की कोशिस की है।

आशा है आप मेरी मजबूरियां समझेंगे और बेवजह 1 स्टार की hate rating नहीं देंगे जो कि आजकल बहुत ज्यादा मिल रही है।