Wo ladki - Pardafash in Hindi Horror Stories by Ankit Maharshi books and stories PDF | वो लडक़ी - पर्दाफाश

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

Categories
Share

वो लडक़ी - पर्दाफाश

Disclaimer:- "इस कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक है, इस कहानी का उद्देश आत्माओं और पेरानॉर्मल विज्ञान के संदर्भ में पाठकों में जागरूकता ,, वो भी मनोरंजन के साथ करना मात्र है। लेखक किसी भी पंथ, सम्प्रदाय या किसी भी परम्परा से दुर्भाव नहीं रखता है।

उस रात हुई खतरनाक आहट मुुझे ले गई एक ख़ौफ़नाक दुनिया में , जिससे भ्रम का पर्दा उतरा और बेपर्दा हो गया ख़ौफ़ का राज जिसके कारण मैं पहुंच गया आत्मालोक में, वहां से आने पर कई राज हुुए पर्दाफ़ाश 

मंदिर में ही बने आरामगाह में नहा धोने के बाद अपनी डायरी लेकर लिख रहा था । हालांकि मेरा पूरा बदन दर्द से कप कपा रहा था ,फिर भी लिख रहा था ,मालूम नहीं किस्मत आगे कौन सा रंग दिखा दे।
"अंकित भाई अगर तैयार हो तो महंत जी से मिल लो एक बार..." दरवाजे पर मोबाइल हाथ में लिए सौरव खड़ा था। मैंने उससे कहा 
"हां चलो चलते हैं" 
उसने मुझसे पूछा "रास्ता को याद है ना.."
  मैंने कहा "क्यों...? तुम साथ नहीं चल रहे हो क्या...? और यह कहते हुए मैं कमरे से बाहर आ गया । 
  
सौरव ने बताया "महंत जी ने हमें दूसरी जिम्मेदारी सौंपी है इसलिए तुम्हें अकेले ही उनके कक्ष तक जाना है"
   मैंने कहा -"कोई बात नहीं है भाई रास्ता याद है मुझे।"
   प्रोफेसर राममूर्ति और महंत जी उस पुस्तकालय जैसे कक्ष में पहले ही मौजूद थे । प्रोफेसर राममूर्ति लैपटॉप पर शायद गूगल मैप्स चला रहे थे। जबकि महंत जी ने राजस्थान का एक बड़ा सा नक्शा हाथ में ले रखा था । मैं बिना अनुमति के ही चुपचाप अंदर चला गया। 
   ओर मुझे देखकर महंत जी हाथ मे पेंसिल लिए चहलकदमी करते हुए मुझसे बाते करने लगे
   "अरे अंकित..!! आ गए तुम..वेसे ठीक तो हो ना तुम,,जब उस दुनिया मे चोट लगती है तो पीड़ा इस दुनिया मे भी भुगतनी पड़ती है...."

तब मैंने कहा "जी मैं बिल्कुल ठीक हूँ"
उन्होंने कुर्सी पर बैठने का इशारा करते हुए कहा

"अंकित .....! प्रोफेसर ने बताया कि जब उस लड़की की आत्मा पहली बार तुमसे मिली तो उसने तुम्हें भैया कहा था....ओर हो न हो उस लड़की से तुम्हारा भावनात्मक जुड़ाव हो चुका है,,, तभी तुम्हे उसका दर्द खुद का दर्द मालूम पड़ता है,,, तभी तुम उसके लिए इतने खतरे उठाने को तैयार हो गए,,,,,,,,अब एक छोटा सा काम तुम्हे ओर करना है.."

मैं कुर्सी से खड़ा होकर थोड़ा झुकके  बोला -"आप आज्ञा दीजिए... मैं जरूर करूँगा"

महंत जी बोले "उस लड़की की आत्मा को शक्तियां प्रदान करने के लिए एक यज्ञ किया जाएगा,,, उसके परिवार को तो हम ढूंढ नही सकते,, तुम ही उसके परिवार की जगह यज्ञ को पूर्ण करो"
इस काम मे भला किसी को क्या आपत्ति हो सकती है, तो मैने भी हां कह दी।
"हां जरूर,,पर इस वक्त वो कहाँ है"

"बताया था ना,,वो विश्रांति काल मे है।कल अमावस है,, कल दोपहर को एक विशेष यज्ञ किया जाएगा जिसमे उस लड़की की आत्मा को शक्तियां दी जाएगी,,इसके बाद जब तक उसे मुक्ति नहीं मिल जाएगी तब तक वो तुम्हारे साथ रहेगी,,,,याद रखना उसके सम्मान में कोई कमी नहीं आये,,इसके बाद छोटी बहन की तरह ही उससे पेश आना।" महंत जी ने समझाया। पर मेरे दिमाग मे जो चल रहा था वो पूछने से मैं खुद को रोक नहीं पाया।

"मुझे सच में बिल्कुल भी समझ में नहीं आया कि मैं कहां पहुंच गया था और वहां पर क्या हो रहा था आप मुझे कृपया बताइए इन सब के पीछे रहस्य क्या है ....कौन है वह जो इतनी सारी आत्माओं को कैद करके रखता है .....उन काली दीवारों और उन पर जो तारे जैसी आकृतियां बनी थी उन सब का रहस्य क्या है।"

महंत जी :- "अंकित इस बात की उम्मीद तो मुझे भी नहीं थी कि हम इतनी खतरनाक आत्मा से मुकाबला कर रहे हैं ...लेकिन इसी मुकाबले के कारण हमने एक 200 साल पुरानी दुर्घटना का पर्दाफाश कर दिया है। "

महंत जी की बात सुनकर मैं चौंक गया,  "मैंने पूछा 200 साल पुरानी घटना !!!कहां की है यह घटना..??"

महंत जी ने नक्शा दिखाते हुए कहा ,  "आज से 200 साल पहले राजस्थान की जैसलमेर रियासत में एक खाबा नाम का गांव था । यह गांव कुलधरा गांव के ही नजदीक हुआ करता था। इस गांव के ही एक सिरे पर जैसलमेर रियासत के दीवान जालिम सिंह की हवेली थी । नाम की तरह ही जालिम सिंह स्वभाव से भी जालिम था ।जैसलमेर रियासत में बसे हुए पालीवाल ब्राह्मणों के खूबसूरत नगर कुलधरा से उसे बेहद जलन हुआ करती थी । वह हमेशा उनको परेशान करने के नए-नए हथकंडे ढूंढा करता था। वह अंग्रेज अफसरों से मिलकर पालीवाल ब्राह्मणों को लगान के बोझ नीचे दबा कर रखना चाहता था पर उन ब्राह्मणों की पहुंच ऊपर तक थी। लेकिन जालिम सिंह भी कोई साधारण इंसान नहीं था। वह तंत्र-मंत्र काली और रूहानी शक्तियों का ज्ञाता भी था। एक बार विलियम नाम के एक अंग्रेज अफसर को जैसलमेर रियासत की प्रशासनिक जिम्मेदारी दी गई। विलियम शैतान का उपासक था । दक्षिण अफ्रीका में उसने वूडू व्हिच क्राफ्ट जैसी काली शक्तियों का गहन अध्ययन किया था। वह शतानीक चर्च को जैसलमेर में स्थापित करना चाहता था।  ताकि वह अपनी शैतानी शक्तियों को बढ़ा सकें । विलियम और जालिम सिंह दोनों ही स्वभाव से बेहद ही घिनौने प्रकार के आदमी थे । जालिम सिंह की कमजोरी जहां लड़कियां और औरतें हुआ करती थी वहीँ विलियम अपनी हवस छोटे बच्चों पर उतारता था।इन दोनों शैतानो की दोस्ती हो गई।
विलियम के प्रभाव में आकर ज़ालिम सिंह भी satinism को मानने लगा। इससे जालिम सिंह की शक्तियों में जबरदस्त उफान आया ओर उसकी बढ़ती ताकतों के कारण महाराज मूलराज सिंह ने उसके अधिकारों में कटौती करने की कोशिश की पर जालिम सिंह ने षड्यंत्र करके महाराज मूलराज सिंह ओर उनके पुत्र युवराज गज सिंह के मध्य फुट डाल दी। परिणामस्वरूप गज सिंह नए राजा बने जो ज़ालिम की हर बात को आंख मूंद कर माना करते थे।अब जालिम ओर विलियम का रुतबा जैसलमेर रियासत में महाराजा के बराबर का हो चुका था।
पर satanism में लिप्त रहने के कारण दोनों में एक विक्षिप्तता सवार रहती थी।जालिम को जो भी औरत पसन्द आती उसे वो शैतान की पसन्द मानकर उससे शादी कर लेता ओर उस पर कई प्रकार की शतानिक क्रियाओं को सम्पन्न करता था।ऐसे ही एक दिन की बात है।जालिम कुछ लठैतों के साथ लगान वसूली पर गया हुआ था।
"अरे यो तो हरिया को ही गांव है ना..." मूंछों पर ताव देकर कड़कती आवाज में जालिम बोला।
"जी हुकुम " एक लठैत बोला।
घोड़े को लठैतों की तरफ घुमाता हुआ जालिम बोला,"हरिया नज़र ना आ रहा कुछ दिनों से,,,,है कहाँ वो??"

"हुकुम हरिया का ब्याव हुआ है अभी कुछ दिनों पहले,,, हफ्ते भर बाद फिर से काम पे आ जायेगा।" गर्दन नीची करते हुए दूसरा लठैत बोला।

"हरिया ज़ालिम के यहां काम करता है,,, ओर ज़ालिम इतना ज़ालिम भी नही की अपने आदमी को ब्याह की बधाई न दे सके....आज पहले हरिये को बधाई देणी है ,,,फिर लाग (लगान)  लेणी है...चालो रे..." ज़ालिम ने सभी लठैतों को आदेश दिया और वो उसके साथ हो लिए।

हरिया ज़ालिम को घर आता देख कर हक्का बक्का रह गया। उसे समझ नही आया कि वह खुश हो या दुखी । बस अपनी माँ को कहकर नए बर्तनों में पानी मंगवाया।

"अर हरिया..!! कुछ तो शर्म रख..ब्याह होण के बाद भी अपणी माँ से काम करा रहा है,,, बहु के बिठाने वास्ते लाया है.."  फिर हरिया की माँ की तरफ देखकर ज़ालिम बोला.....अजी माई,,, थे आराम ले लो अब,,,,बहु जो आ गई है।" कुटिल मुस्कान छोड़ता हुआ ज़ालिम बोला,, माँ चुपचाप अंदर चली गई,,,और अब हरिया की नई नवेली  दुल्हन पानी के साथ हाजिर थी।
किसी वहशी की तरह उस लड़की का हाथ सूंघते हुए पानी लिया और गले से सोने की एक लड़ (आभूषण) थाली में रखकर बोला,,, "उन लठैतों की फिक्र ना करो,,, उनको प्यास नही लगती है, प्यासे तो यहां हम ही हैं... अहहहहहह " अपनी बड़ी बड़ी लाल आंखों में हवस तैराता हुआ वह बड़े भद्दे तरीके से हंसा।

हरिया भी समझदार था उसने अपनी पत्नी को इशारे से जाने के लिए कहा।उसके चले जाने पर वो बोला "हुकुम ...!! म्हारे पूरे खानदान ने थारे यहां चाकरी की है,, मुझे ओर उसे बख़्श दो।" हरिया गिड़गिड़ाया।

"अर तू तो म्हारा काम का आदमी है,,, लाग तो वसूल करवा दे गांव म " खाट से खड़ा होकर बाहर की तरफ मुँह करके ज़ालिम बोला तो हरिया की जान में जान आयी।
सब लठैतों के साथ मिलकर ज़ालिम वसूली पे निकल गया।
लगान पिछली बार से 4 गुना अधिक थी। पूरी प्रजा में असंतोष था पर ज़ालिम के सामने किसी की हिम्मत नही बनती थीं।
आज हरिया कुछ ज्यादा ही जोश में था। "4 गुना हो गई तो 4 गुणा भुगतनी पड़ेगी। हुकुम की बात टाली तो मेरे लट्ठ को देख ल्यो।" कहता हुआ वो जबरन वसूली करवा रहा था। और जालिम देखकर हंस रहा था।
शाम को नशे में धुत्त ज़ालिम हरिया से बोला ,"पूरे गांव ने इतना भुगता है थोड़ा तो तू भी भुगत ले"
"मैं कुछ समझा नहीं हुकुम.."
"तुम भी भुगतोगे.....तुम भी भुगतोगे..." ये बोलते हुए छोटे खंज़र से हरिया की गर्दन और पेट पर ताबड़तोड़ वार किए। हरिया का शरीर कमकम्पा कर शांत हो गया।लठैत मूक दर्शक बन कर देख रहे थे।
रात को हरिया नहीं हरिया की कटी फ़टी लाश पहुंची, इस सन्देश के साथ कि हरिया की बहू की शादी दीवान जालिम सिंह के साथ परसों होने जा रही है। सहयोग करें या फिर भुगतें।
पापिनी, डायन,कुलनाशिनी, हत्यारन ओर भी पता नही क्या क्या उपाधि उस बेचारी नई नवेली दुलहन को मिल चुकी थी।उसकी मनोदशा तो वो ही जाने पर तीसरे दिन वो दीवान की हवेली पर थी। उसकी विधिवत शादी की गई वो दीवान जालिम सिंह की सातवी पत्नी बनी।
रात भर हवेली से गूंजने वाली दर्दनाक चीखो से ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था कि उस लड़की पर क्या बीत रही है।दूसरी शादी के दूसरे ही दिन उस लड़की को satanic अनुष्ठान में शामिल कर दिया गया। अपने ही पति  को मुर्गों के खून से नहाते देख वो पागल सी हो गई,,,जैसे तैसे कपड़े लपेट कर ,, खुद पर गहने लाद कर,,, पीछे के दरवाजे तक पहुंची और दरवाजे पर ही विलियम मिल गया।वो भोली लड़की विलियम को अंग्रेजी पुलिस अफसर समझकर बोली,"हुकुम ....हमें बचा लो !!!..हुकुम... हमें बचा लो.!! साहैब पे शैतान चढ़ गया है वह हमारी जान ले लेंगे।"
विलियम बड़ी ही कुटिलता से मुस्कुरा दिया।फिर जोर से उसके पेट मे एक लात मारी ओर वो हवेली के बीचों बीच जा गिरी। अनुष्ठान में उस लड़की के ना मिलने पर गुस्से से पागल चुका ज़ालिम उस लड़की की बलि शैतान को तय चुका था।उसने उस लड़की के गले पर  ताबड़तोड़ वार किए जब तक उसकी गर्दन अलग नहीं हो गई फिर अपने satanic अनुष्ठान में व्यस्त हो गया।
इधर विलियम ने ज़ालिम की 5 साल की बच्ची को देखा और अपने घिनोने इरादों को रोक नही पाया, ओर ज़ालिम से पूछ ही लिया कि क्या वो उस बच्ची को शैतान को भेंट कर सकता है।शायद कोई औऱ बाप हो तो जान से मार डाले पर वो दरिंदा हंसते हुए बोला शैतान को मेरी तरफ से भेंट चढ़ा दो। और वो बच्ची उस दरिंदे से बचने के लिए चीखती चिल्लाती हुई हवेली के एक कमरे से दूसरे कमरे में दौड़ती रही।उस छोटी सी बच्ची ने यहां वहां छुपने की बहुत कोशिश की पर अंत मे विलियम की दरिंदगी का शिकार हो ही गई। विलियम ने उस बच्ची की बलि स्नानघर में शैतान को देदी। हरिया की बीवी ओर ज़ालिम की बेटी अपनी मौत को स्वीकार ही नहीं पाई,,,आज भी हर रोज़ वह इस मंज़र से गुजरती है,, हर रोज़ इस दर्द को सहती है,,, जब तक उन्हें यकीन न हो जाये कि वो मर चुकी है ,,,,,तब तक इन्ही लम्हो से उनकी आत्माएं गुज़रती रहेगी। हर रोज अपनी मौत को बार बार जीती रहेगी।

मैं बीच कहानी में ही बोल पड़ा,,"ज़ालिम सिंह एक रियासत का दीवान था,लोगो को उसके बारे में पता कैसे नहीं चला?"

ज़ालिम सिंह ने अपनी हवेली रियासत से दूर रेगिस्तान में बनाई थी।वहां पर नोकर चाकर भी नहीं रखे थे, उसकी 6 पत्नियां ही उसको सम्भालती थी। अपनी पत्नियों को भी उसने टोने टोटके से वश में कर रखा था।वो अपना काम निपटाने के बाद चुपचाप अंधेरो में चली जाती। उसकी सबसे बड़ी पत्नी से एक लड़की थी।वो तो satanic अनुष्ठान को पूजा माना करती थी और ज़ालिम के अनुष्ठान में शामिल भी होती थी।क्योंकि वो उसी माहौल में बड़ी हुई थी। बाहर की दुनिया उसने कभी देखी ही नहीं।
फिर विलियम का क्या हुआ मैंने पूछा,

विलियम को कुछ साल बाद बाल दुराचार में अंग्रेजी सरकार द्वारा गिरफ्तार कर ब्रिटेन मुकदमे के लिए भेज दिया गया।जहां उसने आत्महत्या कर ली।मगर कुछ शैतान शरीर के खत्म होने पर नही मरते हैं । वो nightmare बनकर कई मासूम बच्चों की जिंदगी के साथ सपने में खिलवाड़ करता रहा।फिर कुछ शक्तिशाली पादरियों के द्वारा हमेशा के लिए लंदन की किसी चर्च में कैद कर दिया गया।
 
ज़ालिम का क्या हुआ??

सन 1820 से 1822 में ज़ालिम पर एक अलग ही सनक सवार हो गई।उसे पालीवाल ब्राह्मणों के 84 गांवों में होने वाली तरक्की से चिढ़ होने लगी।उसने तय किया कि वह 15 लाख की लगान वसूल कर उनकी कमर तोड़ देगा।पर उसका अंदाजा गलत निकला, 14 लाख की लगान वसूलने के बाद भी उन सम्पन्न ब्राह्मणों पर कोई फर्क नहीं पड़ा, बल्कि उनकी पहुंच अंग्रेजी हुकूमत तक होने के कारण जांच ज़ालिम सिंह तक आ गई थी।इसलिए वो उनको सताने के नए नए तरीके इज़ाद करने लगा।
पर जो भी हो विलियम की गिरफ्तारी के बाद ज़ालिम की ताकत कम हुई।ज़ालिम की खुन्नस पालीवालों के लिए बढ़ती गई।नतीजा ये निकला कि ज़ालिम ने अपनी हवेली को काली शक्तियों की आराधना कर के एक तिलिस्म में बदल दिया।जहां कभी दरवाजे होते थे वहां अब बलि दिये गए जानवर ओर लड़कियों के अवशेषों से बनी दीवारे निर्मित कर दी गई।जिन पर पर्दे लगा दिए गए। शैतानी दुनिया मे आने जाने के लिए उनके उपासक तारे जैसे हल्के सफेद निशान वाली गहरी काली दीवार का उपयोग करते हैं। कुछ लोग तस्वीरों के माध्यम से भी शैतान से सम्बंध रखते हैं।
1825 में खाबा के पड़ोसी गांव काठोरी में रहने वाली एक पुजारी की लड़की पर बुरी नज़र ज़ालिम ने डाली।हमेशा की तरह इस बार भी अपनी पसंद को शैतान का आदेश समझ कर उसने मुखिया को फरमान भिजा दिया कि 2 दिन बाद उसकी शादी पुजारी की लड़की से होगी।
एक तो ज़ालिम सिंह की सात पत्नियो के बारे में भी किसी को कुछ पता नही था कि वो ज़िंदा है या मुर्दा ,,,ऐसे में पुजारी अपनी फूल सी नाजुक बच्ची के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहता था।इनकार करने का मतलब मौत था।
पुजारी ने अपने शाकाहारी होने वास्ता देकर हवेली से बाहर मिलने का वक्त मांगा।
ज़ालिम को इस बात का अंदाजा नहीं था कि ये ब्राह्मण कृषि और व्यापार के अलावा युद्ध कौशल भी जानते हैं तो उसने मिलने के लिए हां कह दी।
आगे रेगिस्तान में पुजारी , पुजारी के लड़के और मुखिया ने मिलकर ज़ालिम को जलाकर मार डाला जिसे तुम स्वप्न में देख चुके हो।
पर जब वो वापस गांव आये तो मंज़र बेहद डरावना था।पुजारी जी के घर ख़ौफ़ की एक नई कहानी लिखी जा रही थी।
उनकी बेटी का रंग नीला पड़ने लगा था।वो मुँह कसकर बन्द करके अजीब सी आवाजे निकाल रही थी।पूरा बदन अकड़ रहा था।चेहरे पर बेहद ही कठोर भाव।आंखों में तपन लाल रंग से दिख रही थी।जब तक पुजारी जी पहुँचे तब तक वो मुङ कर धनुष जैसी हो गई थी।

"आध्या,,, बेटी क्या हुआ तुझे...आध्या..."
पुजारी जी की आवाज सुनते ही उसका शरीर शांत हो गया।पुजारी जी उसका सर थपथपाकर उसे होश में लाने की कोशिश कर रहे थे।आध्या का बदन तेज़ बुखार में झुलस रहा था।पानी के छींटे मारने पर उसे होश आया और वो पुजारी जी से लिपट कर रोने लगी।
"रो मत बेटी,,,तेरा बापू सब ठीक कर देगा"

अचानक रोने की आवाज बेहद भारी हो गई जैसे 8 - 10 आदमी रो रहे हों,,, उसी मर्दाना डरावनी आवाज में आध्या बोली,""क्या सोचा था तूने,, मैं मर जाऊंगा ओर सब खत्म ,,,अहहहहहहह,,,गलत किआ तूने,,,तेरी गलती अब तेरी बेटी भुगतेगी हहहहहह ,,तुम सब भुगतोगे ,,,किसी को नहीं छोडूंगा मैं,,, अहह हहहहह " ये कहते हुए आध्या अपने ही दाएं बाजू को बड़े ही डरावने ढंग से चाटने लगी।खुद को बड़े अजीब तरीके से सूंघ रही थी । उसकी सांस बेहद तेज़ चल रही थी।बाल बिखर गए थे।चेहरे पर दरिंदगी दिख रही थी। फिर अचानक उसने अपने बाजू को इतनी जोर से काटा की हाथ से माँस का एक हिस्सा मुँह में चला गया ओर एक दांत हाथ मे ही अटक गया।उसका मुंह ओर हाथ लहूलुहान हो चुका था। और अपने ही मांस को वह चप चप की आवाज के साथ खा रही थी।उसकी पथराई आंखें ओर भयानक हंसी देखकर दिलेरों के भी दिल कांप जाए।पुजारी जी बचपन से ही मां महिसासुर मर्दनी के भक्त रहे थे।उन्होंने माँ को भक्ति का वास्ता देकर अपनी बेटी की रक्षा करने की प्रार्थना की ओर माँ के गले से माला निकालकर आध्या को पहना दी जब वह खुद के मांस के स्वाद में मस्त थी।माला गले मे गिरते ही वो तड़फने लगी।
पुजारी ये क्या किया तूने....ये मत सोच मैं हार जाऊंगा।अब तो पूरे 84 गांव भुगतेंगे। काठोरी हो या खाबा हो या कुलधरा....तुम सब भुगतोगे...कोई नहीं बचेगा,,,हहहहह...कल फिर आऊंगा...सुना तुमने...कल फिर भुगतोगे हहहहहह" 
ये बोलते हुए आध्या का पूरा शरीर हवा में झूल रहा था।उस शैतान ने उसको मरोड़कर लगभग हर हड्डी को चटक दिया था।फिर धड़ाम से बिस्तर पर निर्जीव सी आध्या गिरी।वैद्यो द्वारा उसकी चिकित्सा शुरू कर दी गई।
पालीवालों के गांव कुछ इस तरह बसाये गए थे कि हवा के साथ एक गावँ से दूसरे गांव तक थोड़ा जोर से बोलकर ही सन्देश पहुंचाया जा सकता था।सन्देश दिया गया कि सभी पालीवाल परिवार 1 महीने का राशन ओर सारी अमूल्य वस्तुएं, सोना चांदी लादकर काठोरी पहुच जाए। महापंचायत में आज भविष्य तय किया जाएगा। रात होने तक हज़ारों पालीवाल काठोरी में पहुच गए। सेना का मुकाबला पालीवाल कर सकते थे पर शैतान का नहीं।फिर तय किया गया कि वे उत्तर पूर्व और दक्षिण पूर्व में दो दलों में जाएंगे।रेगिस्तान खत्म होने के बाद आने वाले हर सम्पन्न शहर में कुछ पालीवाल ठहरेंगे और बाकी आगे बढ़ जाएंगे।कोई भी दो पालीवाल परिवार साथ साथ नहीं रुकेंगे क्योंकि इससे उस शैतान को खोजने में आसानी होगी।
पूरा कुलधरा, खाबा ओर उसके चारों तरफ के सारे गांव एक रात में ही खाली कर दिए गए।ऊँटो पर सारा सामान लाद कर पालीवाल एक बार फिर पलायन कर गए।इस तरह भारत के सबसे सम्पन्न ओर उन्नत वास्तुकला वाले गांव एक रात में ही खण्डर बन गए।
वो ब्राह्मण अन्वेषक थे, कृषक थे ,  व्यापारी भी थे,,,पर किसी भी कर्मकांड से दूर थे।वो बेचारे तो ढंग से आशीर्वाद देना भी नहीं जानते थे फिर भी पूरी दुनिया मे न जाने क्यों ये अफवाह फैली हुई है कि पालीवालों के शाप से कुलधरा वीरान हुआ । जबकि उन्होंने अपनी बुद्धि से रेगिस्तान को आबाद किआ था।

आध्या का क्या हुआ?? मैंने जिज्ञासा वश पूछा।

आध्या ने अपनी पूरी जिंदगी माँ कामख्या की शरण मे बिताई।एक साध्वी का जीवन जिया।

आप इतना सब कैसे जानते हैं?? मेरी जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी।

क्योंकि मैं स्वयं कुलधर गोत्र का पालीवाल हूं।  हमारी पीढियां इस सच्चाई को सँजो कर रख रही है।

फिर लोगो को ज़ालिम की सच्चाई के बारे में पता कैसे नही चला?

ज़ालिम अपनी मौत के 10 साल बाद भी लगान वसूलता रहा।लोगो मे उसका भूत उसके ज़िंदा होने के अहसास को भरता रहा। फिर धिरे धीरे उसकी शक्तियां कम हुई और वो आत्मा रूप में आ गया। आत्मा रूप में आने के बाद उसका एक ही जुनून है। उसे किसी भी तड़पती हुई...रोती हुई...स्त्रियों की आत्माएं मिल जाती है तो वो उन्हें अपने सैटेनिक तिलिस्म में पर्दो के पीछे कैद कर लेता है। फिर उन पर जुल्म कर के उनकी चीखो से सुकून महसूस करता है। अभी तक सेंकडो आत्माओ को वो कैद कर चुका है।जो कुलधरा के ही खण्डरों में किसी आभासी पर्दो में बंधी हुई है।जिनकी कमजोर आवाजे रात को वहां सुनी जा सकती है।

"Satanism के बारे में सुना भी है ,पढ़ा भी है, लूसिफ़ेर के बारे में भी जानता हूँ पर उस ज़ालिम को इतनी ताकत satanism से मिली इसका यकीन नहीं होता है।,बहुत सी हस्तियां भी इसे मानती है,,, शायद satanism तो इतना बुरा नहीं है।" मैंने बड़ी ईमानदारी से अपने मन की बात कही।

जवाब में महंत जी ने सवाल किया,"क्या तुम्हारे घर कोई नवरात्रि, शिव की या भैरव की उपासना करता है।"

मैंने कहा हां क्यों नहीं लगभग सभी करते हैं मुझे छोड़कर।

पूरा तन्त्र जिसमे विभिन्न सिद्धि साधको को मिलती है वो भी केवल दुर्गा, भैरव ओर शिव की आराधना पर आधारित है।अलग अलग संकल्प ओर अलग अलग विधि से की गई समान देवताओं की उपासना फल भी अलग अलग देती है। satanism ने उन सभी विधियों को स्वीकारा है जो नकारात्मक शक्तियों को जगाती है।उन विधियों को satanism की साधारण पुस्तको में पाना असंभव है।यही कारण है कि अज्ञानवश कुछ लोग satanism का समर्थन कर देते हैं।

"ओर जो सैकड़ों आत्माएं कुलधरा में कैद हैं उनको आज़ाद करने के लिए हम कुछ नहीं कर सकते?????" मैंने पूछा।


महंत जी नक्शे को समेटते हुए बोले"केवल कोशिस कर सकते हैं,, बाकी उन आत्माओं की मुक्ति कोई ईश्वर द्वारा चुना हुआ इंसान ही करेगा। मैंने ज़ालिम की आत्मा का स्तम्भन(कुछ समय के लिए निष्क्रिय)  करने के लिए कुछ तन्त्र उपाय सौरव के साथ भेजे हैं ।"

कुछ और सवाल भी थे मेरे "वो लड़की उस शैतान के चंगुल में कैसे आयी???"

महंत जी , "ये तो वो खुद ही बताएगी।इंतज़ार करो।"

मैं, ""मुझे satanism के बारे में ओर जानकारी चाहिये, वो कहाँ मिलेगी?"


महंत जी , "उस तरफ किताबे हैं satanism की ,,तुम चाहो तो पढ़ सकते हो।" इशारे करते हुए महंत जी ने कहा।मैंने कुछ किताबें उठाई और अपने कमरे में चला आया।पूरी रात मैं उन किताबो में उलझा था
1 The Satanic Bible and The Satanic Rituals
by Anton Szandor LaVey.
2 The Satanic Witch
Anton Szandor LaVey
3.The Devil's Notebook
Anton Szandor LaVey
4.The Secret Life of A Satanist
Blanche Barton
5The Satanic Witch
Anton Szandor LaVey

इन पांचों किताबो को थोड़ा थोड़ा पढ़कर कुछ समझ satanism के प्रति मैंने बनाई।मुझे सच मे satanism में कोई बुराई नहीं लगी।पर इनके अनुष्ठान, और अन्य विधियों के बारे में नही जान पाया। सुबह 04:30 पर सो गया क्योंकि यज्ञ में भी बैठना था।

प्रिय पाठकों??
                                 कैसी लगी कहानी, समीक्षा में जरूर बताएं। पसन्द आने पर 5 स्टार रेटिंग दे।  मेरा एक अन्य और उपन्यास पूरा हो चुका है जो जेंडर डिस्फोरिया बीमारी पर आधारित है। सेक्स परिवर्तन, समलैंगिकता , यौन शिक्षा जैसे विषयों पर आधारित ये कहानी आपको प्रेम की एक अलग परिभाषा बताएगी। अगर दो चार अध्याय पढ़ कर अश्लीलता का ठप्पा कहानी पे लगे तो मेरा प्रयास विफल हो जायेगा। लेकिन आप थोड़ा धैर्य रखें तो एक अद्भुत कथा पाठकों तक पहुंचेगी। क्या आप तैयार हैं ऐसी कहानी को पढ़ने के लिए??
और हाँ मेरी एक अन्य कहानी  मंजिल प्यार की को जरूर पढ़ लीजिये। वो कहानी    पाठकों को तरस रही है।
धन्यवाद।