Mera bhai in Hindi Classic Stories by PAWAN KUMAR books and stories PDF | मेरा भाई

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मेरा भाई

मेरा भाई ..

कभी कुछ बताने के लिये बहुत कुछ होता है तो कभी जितना बताओ ऊतना काम हो जाता है पर हम किसी को जानना नही छोडते तोह कभी किसी

को पढना पाना ये अपने जरुरत से हो जाती है तोह हम किसी की बारे मै जान्ना नही चाहते एक बच्चे से लगे रहते है जैसे कोई गलत काम कर क परेशान होना तोह कभी मन का टूट जाणा यही लग रहा था कि कोई नही है अपना बस म अपने भाई के साथ रहना चाहता हू पर मेरे भाई से मेरे बनती हि नही दोनो भाई सुभा श्याम लंडना खेळना कुंदना बस यही चल रहा था अपना लैकीन अपने से जादा म अपने बडे भाई को समझना चाहता हू प्यार से बोलना चाहता हू पर किसी वजह से बात नही कर पा रहा था स्कूल म भी वो बात नही करता है पर कोई मुझ से कुछ कहता है तोह लड जाता है लेकिन मेरा दिल कहता है कि भाई प्यार करता है म देख नही शकता पर मेरा भाई है ना पर मेरा बडा भाई मोहन कभी नही पुछता है कि आप लोग कैसे हो पर कोई बात नही मे भगवान से प्रार्थना करता हू कि हमेशा खुश रही लेकिन इसी तरह मेरे माँ 'पापा भी पयार करते है पर जो वो लोग सामने बात करते है म भी बता शकता हू लेकिन जो मन म क्या है नही बता शकता लेकिन जो भी चल रहा था वो अचछा नही था मेरे माँ पापा दोनो साम को लढते चिलाते है रोज कुदना बस यही चल रहा था अपना लेकिन अपने से जादा म अपने आनंद भाई को समझना चाहता हू प्यार से बोलना चाहता हू पर किसी वजह से बात नही कर पा रहा था स्कूल म भी वो बात नही करता पर कोई मुझ से कुछ केहता है तो लड जाता है लेकिन मेरा भाई प्यार करता है म देख नही शकता पर मेरा भाई है ना पर मेरा बडा भाई मोहन कभी नही पुछता है कि आप लोग कैसे हो पर कोई बात नही म भगवान से मनात व प्रार्थना करता हू कि हमेशा खुश रहे लेकिन इसी तरह मेरे माँ पापा भी प्यार करते है पर जो वो लोग सामने बात करते है म वही बता शकता हू लेकिन जो मन म क्या है नही बता शकता लेकिन जो भी चल रहा था वो अच्छा नही था मेरे माँ पापा दोनो साम को लाडते रोज चिलाते रोज म भी चाहता था कि सब के माता पिता कि तरह हसे बाते करे .लेकिन वो सपने भी नही देखना चाहिये जो टुट जाये लेकिन म खुश था कि पास तोह था सय्यद नही बात भैया को खायी जा रही थी मेरे सबसे बडा भाई मोहन कभी घर नही आता सय्यद साम का म माँ पापा का यु लडना इसी वजाह से परेशान हो चुका था और समय का साथ धीरे धीरे से हम बडे हो रहै थे आज स्कूल गया तो गिटार क्लास गया तो बॅचचे चिढा रहे थे मुझे धक्का मारा तो म गीर गया मुझे चोट लग गयी म रोने लगा शोचा भाई को बतओ लेकिन डर गया ऐसा मेरे साथ रोज होता था जब म क्लास गया तो मुझे रोज के तरह धक्का मारा तोह म गीर गया म रोने लगा जाकर टीचर को कहा पर टीचर को सब बच्चे झूठ बताया कहा के हम ने धक्का नही मारा फिर क्या मुझे टीचर ने डाट कर भगा दिया कि झूट मत बताओ अब मेरे साथ रोज होने लगा था मुझे क्लास नही जाने का मन होता माँ पापा को खुद से फुरसत नही थी क्लास से आता तो चूप जाकर बैठं जाता ये सब रोज का हो चुका था म मेरा भाई आनंद हमेशा सोचते थे कि इन कि लडाई कब खतम होगी पर कभी कुछ बाते हम से बता क नही होते वैसे ही मेरा भी हाल था म क्लास नही जाना चाहता पर आज आनंद भाई ने जबरजस्ती से कहा आज जा ना होगा 2 दिन से नही गया पर उसे क्या पता था कि मुझे गिटार क्लास म लाडके मारते है लेकिन भैया का बताउ को मना नही कर पाया और निकाल गया जब क्लास गया तो बच्चों ने कहा आ गया आज लगता है कि भूला नही फीर दोबारा बताना पडेगा चल बताता हू जैसे ही ऊस ने हाथ लगाया आनंद भाई कि ऊस कि हाथ पकड लिया और सबको पिटा मारा भाई केहने लगा कि बता नही शकता था कि बच्चे परेशान करते है तो बता नही शकता था म रोता रोता भाई क गले लग गया और रोने लगा फिर मेरा हाथ पकडा और ,मॅडम क पास ले गया मॅडम को भी समझया कि बच्चे नही सांभाळे जाते तोह पडाना बंद कर दो अपने भाई को दुसरे जागह दाखला करा दुगा मॅडम ने माफी मॅगी तोह भाई हसने लगा तोह आनंद भाई ने कहा आगर अब परेशान करे तोह बताना और भाई चलागया आज म बहुत खुश था बच्चे मुझे परेशान नही कर रही थे और सब साथ दे रही थे म खुशी से पागल सा हो गया था घर पे गिटार बजा ही रहा था कि पापा और मा कि लडाई सुरु हो गयी मी पापा और भाई माँ को सांभाळता लकीन आज पापा ने माँ को कहा कि तलाक चाहीये मुझे माँ ने कहा मुझे भी चाहिये माँ पापा दोनो चले गये दोनो को बहुत समझया पर नही माने माँ चाले गये और पापा सो गये हम लोग माँ को रोकने कि कोशिश कि पर नही रुकी और चली गयी पर कहता हू क्या मिला उन्हे ऐसा कर के क्या पा लिया माँ पापा को केहता हू आगर दोनो एक दुसरे को समझा नही शकते थी तो शादी क्यूं कि आज माँ को गये 7 दिन हो गये और पापा आज ही पी कर आये है रोज रात को देर से आते है और वैसे ही सो जाते है आज 10 दिन हो गये थ रोज रात देर से आते और केहने पर मारते कळ भाई को बहूत मारा था भाई आनंद बैठं कर रो रहा था आज मुझे भी मारा लेकिन माँ को हमारी याद नही आती क्या 16 दिन हो गये पर आज तक 1 फोन भी नही किया क्या इसी दिन के लिये हमे जन्म दिया था क्या फिर आज भाई खाना ले के गया तोह खाना गिरा दिया और भाई को गलिया दि भाई रो रहा था अगळे दिन पापा जल्दी कपडे लेकर निकाल रहे थे तो भाई ने कहा क पा पा कहा जा रहे हो तोह पापा ने भाई को फिर मारा और कहा दुबारा पूछा तोह जान से मार दुगा अपना काम कर चला जा यहाँ से ओर पापा चले गये आज 1 महिना हो गया था ना माँ ना पापा ने ना भाई मोहन ने याद किया कि कैसे हो आप लोग भाई ने फोन करने कि कोशिश कि मगर पापा माँ और भाई मोहन का फोन नही लग रहा था कि सब लोग भूल गये हो हमे जैसे हमै वो जनते ही नही सारे पैसे खतम हो गये थे आज टीचर पैसे मांग रही थी और आनंद भाई के स्कूल के पैसे के लिये केह रही थी और काम बाली भी पैसे माग रही थी और कहा कि कळ से नही आयेगी और वो चली गयी आज साम को खाना खाया पर कळ खाने को पैसे सामान ही नही था ना आटा ना चावलं दाल कुछ भी नही था शुभह हुई तो पापा को खोजने निकाल पडा पर उनका फोन भी नही लगा और जाने क लिये पैसे भी नही थे आज म पैदल निकला जाते शाम हो गयी वहा भी नही पता चला कि कहा है और धूप बहुत जादा थी पास मं पैसे भी नही था भूख भी बहुत लग रही थी पर क्या करता पास मं पैसे हि नही था और एक बात तोह समझ गया था भाई अब कोई नही पुछने के लिये कोई नही था अपना समझ गया था फिर मं घर आया आते हि मैने आनंद भाई से पुछा कैसे आया घर और मैं आनंद भाई को देख कर रोने लगा और पुछा की भाई क्या हुआ माँ पापा का पता चला क्या और मैने कहा कि भाई 'पापा के पास पैसे नही थे इस लिये 'पापा ने कहा है कि कळ आये गे तू चिंता मत कर आज पानी पी कर सो गये पर निंद कहा से आये पैंट मे खाना हि नही था तो कैसे शुभह हुई और भाई निकल गया और बोला की भाई कही नही जाना मै आता हू आज पुरा बाजार घूम चुका था सब जगह देख लिया कोई काम नही देना चाहता था और भूख भी बहुत लगी थी मुझे बहुत रोना आ रहा था मी एक पेड के पास जा कर बैठा और रोने लगा तोह देखा एक माँ को अपने लडके बच्चे की लिये वो चल के पास आये और कहा कि कुछ दे दो खाने के लिये मेरे पास वैसे हि कुछ नही था और चला नही जा रहा था उसे कहा मेरे पास पैसे नही हे मै खुद भुखा हू तोह कहा उसने तेरे पास हाथ है दिमाग है तुझे काम जरूर मिलेगा और ऊसकी बात सून कर एक होसला मिला और मै घर निकल पडा घर के बाहर भाई को खाना मांगते देखा तोह मै अंदर से मर गया मुझे समझ नही आ रहा था क्या करू तभी भाई को धक्का मार दिया भाई गिर गया मै रोने लगा मैने भाई को उठाया और भाई को खडा किया भाई ने ऊस दुकानदार को गलिया मारा और भाई को बाद मै कहा कि अगर पालने कि ओकत नही है तोह सडक पर बोलो भिख मागे मै समझ नही पा रहा था क्या करू भाई को घर ले आया और भाई ने मुझे कहा भाई मुझे बहुत भूख लगी है मैने कहा कोई नही देखाता हू तभी छोटे भाई ने कहा भाई मै तोह देख नही शकता और मै अंधा हू मै भिख माग लेता हू भाई ये शब्द बोला तो तुझे बहुत मारूगा लेकिन पर मेरा भाई था मुझे समझ नही आ रहा था भूख तो मुझे भी लगी थी पर मै किस से कहता बस यही सोच रहा था और तभी मेरा दोस्त कि आवाज आई तो मैने बुलाया और सारी बात बता दि अरुण को तोह अरुण ने कहा कोई नही मेरे साथ चल उसने मुझे सामान दिलाय और उशी दुकान पर काम दिला दिया और अरुण मै दोनो घर आ गये खाना बनाया खाया और अरुण ने कहा कि कोई बात हो या जरूर मुझे बता देना सही असली भगवान ये कहो भगवान का दूत बन के आया था तभी अरुण घर चला गया और दुसरे दिन मै काम पर जाने लगा और सब धीरे धीरे ठीक हो रहा था आज मुझे 30 दिन हो गये थे और मुझे पेह्ली सेलरी पैसे मिळे थे मै हसतैं और भाई की लिये खाने के लिये आ चीजे लै लिया था कि मै बहुत खुश था कि अपने पैसे से अपने छोटे भाई के लिये सामान ले जा रहा था कि रस्ते मै कुछ लोग मेरा पिच्छा करने लगे कुछ दुर चला कि उन्होने मुझे से पैसे लेने कि कोसिस कर रहे थे पर मेरे मेहनत कि कमाई है और देने से मना कर दिया और वो लोग मुझे मारने लगे 5 लोग थे और में अकेला मुझे बहुत मारा और सडक के किनारे एक पुराना घर था वहा ले गयी और मुझे वहा भी मारा में उनके हाथ जोड रहा था चिला रहा था कि मुझे छोड दो उनके पेर पकडे हाथ जोडे और कहा मेरा भाई घर पर अकेला है उसका कोई नही है भैया छोड दो आप पैसे ले लो छोड दो भैया पर उसने मेरे टांग पे एक बडा सा पठर गिरा दिया में चिलाने लगा और उन्होने मुझे पठरं से मुझे बहुत मारा में चिलाते रहा मेरा भाई घर पर इंतजार कर रहा है मुझे छोड दो पैसे ले लो पर उन्होने नही छोडा मुझे मेरे हाथ पर और तोड दिया था और मेरे पेट में चक्कू मार दिया था और वो लोग चले गये पैसे लेकर में ऊस पुराने घर मे पडा चिला रहा था रो रहा था भगवान अगर कुछ हो गया तोह मेरे बिना मेरे छोटे भाई कि रक्षा करना हे और मे दर्द से चिल्ला रहा था 1 घंटे हो गये थे कि एक भाई आकर मुझे देखा और मेरे पास भाई का सामान था उसके लिये नये कपडे थे लेकरं चला गया मुझे ऐसे हि चिल्ला ता देख कर चला गया उसके जाने के बाद एक अंकल आई और मुझ से पुच्छ कि किस ने किया ये और उन्होने मुझे हॉस्पिटल लेकर गये मुझे पता तो लग गया था कि मे नही बचुगा और मैने डॉक्टर को कहा कि मेरे आंखे मेरे छोटे भाई को दे देना मेरे भाई को आंखे दे दिया और मेरा छोटा भाई देखने लगा मे इतना खुश था पर दुःख भी था कि में अपने छोटे भाई सामने नही रहूगां और में दुनिया छोड चुका था छोटा भाई मेरे पास आ कर रो रहा था पर आशु पोचने के लिये में था थी अब इस दुनिया कि सारी दुनिया देख शकता था मेरे छोटा भाई एक जगह रो रहा था कि तभी मेरे पापा और माँ भाई मोहन भी आ गये और पुछने लगे कि क्या हुआ मैने कहा अब ये असू मुझे मत दिखाओ मेरे किसी काम का नही है तभी मेरे माँ पापा और मोहन कहने लगे चल मेरे साथ तोह मैने कहा कि ये जीवन मेरे भाई ने आनंद ने दिया है तुम लोगो कि अब जरुरत नही और आप लोग चले जाओ और उन्होने अपने बेटे को देखा तक नही क्या ऐसे भी माता पिता भी होते है बस मेरे पास एक हि जवाब था कि मेरे भाई मेरे दिल दिमाग मेरे आंखे है मेरा भाई तुम लोग भूल गये पर वो मेरे आंखो मे है वहा से निकल पडा एक अच्छे रस्ते पर जहाँ मेरे भाई आनंद कि यादे हो और म हू बस
ये थी मेरे भाई और मेरे कहानी........................