Jinnat ki dulhan-12 in Hindi Horror Stories by SABIRKHAN books and stories PDF | जिन्नात की दुल्हन -12

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जिन्नात की दुल्हन -12

रात काफी गहरी थी !
हवाएं सहमी हुई थी!
कच्ची सड़क पर बहुत ही संभलकर ड्राइव कर रहे अमन ने देखा कि दोनों साईडो पर लगी वृक्षों की लाइन इस तरह से झोले खा रही थी जैसे एक दूसरे से गले मिल रही ना हो..!
रास्ता अच्छा नहीं था वरना अमन तो चाहता था कि बार बार मिरर में दिख रहे जिया के मुख कमलको देखा करें..!
वह बात और थी की जिया ने उसके प्रेम को ठुकराया था!
मगर !
अमन उसकी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता था.!
जिया कुछ सोच में उलजी हुई थी !
काफी परेशान थी!
और उसके एक कॉल पर अमन चला आया था.!
क्योंकि इसके प्रति लगाव ऐसा था की अगर वह जिंदगी भी मांग लेती तो खुशी खुशी वह दे देता..!
और अक्सर हमने देखा है ,
कि जिसके दिमाग में ..!
दिल में ..!
प्रेम का भूत सवार होता है वह किसी और की भावनाओं को समझ नहीं सकता है.!
अपने मतलब के लिए किसी के दिल को ठेस पहुंचाने या किसी की भावनाओं से खेलने में झिझगता नहीं है !
बल्कि जब समझ में आता है कि कोई उससे इस कदर मोहब्बत करता है तो इंसान अपने मतलब के लिए उसे यूज़ करने तक की धृष्टता करता है !
आज जिया ने भी वही किया.!
मगर अमन इस वक्त जिया के कुछ काम आया!
इस बात को लेकर काफी खुश नजर आ रहा था.!
उसके जेहन में पास्ट में डूबे कुछ पलछीन झिलमिल होने लगे!
जीया की सादगी पर वह मरता था!
काफी दिनों से दिल में उठी बात से जिया को अवगत कराना था!
दिन बीत रहे थे !
ऐसे उसे लग रहा था वह जिया को कुछ नहीं बता पाया तो पागल हो जाएगा!
मर जाएगा!
एक दिन हिम्मत जुटाकर लाइब्रेरी में बैठी जिया के पास जाकर जा बैठा!
काफी दिनों से जिया देख रही थी कि अमन हर जगह नजर आता था!
मगर उसने कुछ कहा नहीं था क्योंकि वह जानती थी कि काफी लड़के शरीर के बाहरी सौंदर्य के दीवाने हो जाते हैं.! वैसे ही अमन भी आकर्षित होगा.!
जब.
अमन ने कहा कि
"जिया मैं तुमसे कुछ बात करना चाहता हूं!"
तो जिया ने चेहरे पर रूखापन बनाए रखते हुए कहा..
" क्या है..?"
"प्लीज आप गुस्सा मत होना !
मुझे अपनी बात कहने का मौका दो..!
"बोलो..!"
शायद जिया समझ गई थी कि वह क्या बोलने वाला है!
मैं तुम से प्रेम करने लगा हुं..!
मगर मैं यह नहीं कहता कि तुम भी मुझ से प्रेम करो..!
बस तुम्हें बताना चाहता था !
क्योंकि कल मेरा जमीर मुझे यह न कहें की तूने अपने दिल की बात जाहिर ही नहीं की थी!
और पट्ठा जिंदगी भर तड़प को भुगतता रहा!
उस वक्त..!
जीया के मन में खलील था !
दूसरे किसी के बारे में वह सोच भी नहीं सकती थी!
अलबत उसने अमन से इतना ही कहा.!
तुम यह सब बातें छोड़ दो अमन !
और पढ़ाई में ध्यान दो !
मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं.!"
उस वक्त अमन को बहुत ही झटका सा लगा था!
मगर वह गम खा गया!
आँखें भर आई थी.!
झिलमिल हो रही भीगी आंखों से जिया को देखते हुए वह बोला था.!
"तुम्हारा कोई दोष नहीं है जिया!
मेरी ही किस्मत खराब है..!
मगर तुम यह मत सोचना कि मेरे दिल से तुम्हारे लिए जो भावनाएं हैं वह खत्म हो जाएगी!
नहीं !
जब तक सांसे रहेगी यह दिल तुम्हारे नाम से ही धड़केगा..!
मेरी जरूरत पड़ने पर जब भी पुकारोगी!
मैं चला आऊंगा !
किसी भी वक्त!
किसी भी हाल में होउंगा..! "
न जाने क्यों जिया को भी भीतर कुछ चुभ रहा था! जैसे उसको लगा उसने अमन के मन को ठेस पहुंचाई है..!
मगर वह क्या करती ?
उसका दिल भी तो अपने बस में नहीं था!
अपने ही दिल पर कंट्रोल नहीं था.!
एक भी शब्द बोले बगैर वह लाइब्रेरी से निकल गई थी.!
फिर वह जानबूझकर अमन से नजरें चुराती रही थी.!
मगर आज हालातने जिया को उस मोड़ पर लाकर पटक दिया था जहां उसके साथ खड़ा हो सके ऐसा अमन के अलावा कोई और नजर नहीं आया !
उसे..
क्योंकि दादी ने उसकी बात सुनकर साफ कह दिया था.!
इस हालत में डॉक्टर उसे छुट्टी नहीं देंगे !
और ना ही बाहर जाने की इजाजत..!
शायद डॉक्टर ने खलील को जबान दी थी!
जब तक जीया ठीक नहीं हो जाती उसका
ख्याल रखा जाएगा..!
मगर जिया भी अपने प्यार को परवान चढ़ता देख रही थी.!
चाहे कुछ भी हो जाए गुलशन को बचाने मैं अगर जान भी चली जाए तो कोई गम नहीं था!
वह चाहती थी उसकी सांस छूटे तब उसका सर खलील की बाहो मे हो..!
तब..!
खलील के चेहरे पर जिया को बचाने की अदम्य तड़प हो..!
उस वक्त सुकून से आंखें बंद हो जाए तो परवाह नहीं थी
पहली कॉल उसने गुलशन की मां को लगाई !
अस्सलाम वालेकुम आंटी जी..!
वालेकुम अस्सलाम बेटी..!
सामने से हडबड़ाई हुई सायरा जी की आवाज आई
मैं जिया आंटी जी...!
कुछ भी करके गुलशन को बचाना चाहती हुं !
आप मुझे बताएं उस शैतान का पीछा छुड़ाने मैं किसकी मदद ले सकती हूं..?
डरी सहेमी हुई आवाज में सायरा जी बोली.!
"तू अपनी जान की क्यों दुश्मन बनी है बच्ची..?
जानबूझकर मौत से उलझना अच्छी बात नहीं है..!
जिद छोड़ दे कुछ भी नहीं हो सकता मैं खुद हार चूकि हुं..!
अपने पति को अपनी नजरों के सामने तड़पता हुआ दम तोड़ते देखा है मैंने..!
रहने दे उसको...!
कोई बचा नहीं सकता..!
जिन्नात से बगावत मतलब जान बूझकर साँप के बील मे हाथ डालना है..! "
"आप सिर्फ मुझे इतना बताएं कि मैं किसकी मदद ले सकती हुं..?
चाहे कुछ भी हो जाए मेरी जान ही क्यों ना चली जाए !
उस शैतान को मैं उसके शरीर से निकाल कर ही दम लुंगी..!
मै उन दोनों की जिंदगी तबाह होते नहीं देख सकती.
ठीक है जब तुम मरना ही चाहती हो तो मै क्या कर सकती हुं..!
सिर्फ बताओ.. कुछ रास्ता..! "
सूनो फिर...
भैरोघाटी पर शिव मंदिर मे एक बाबा रहेते है..!
काफी सूना है उनके बारे मे..! किसी औरत से नही मिलते वो..
मगर तु किसी को साथ लेकर वहीं पहोच जा..!
अगर खुदाने चाहा तो सब ठीक होगा..!
"शुक्रिया आन्टी जी!!"
कोल फोन रखते ही उसने दादी से निगाहे मिलाई. !
दादी समज गई थी कि जिया जब अपनी मनमानी पर उतर आती है तो किसी की नही सूनती.!
वह ईतना ही बोली..!
"क्या करना है..! "
रात का वक्त है..!
मैने दवाई भी ले ली है अब नर्स आने वाली नही है!
फिलहाल मेरी बेड पर आप लेट जाना दादी..!
मै बहोत जल्द वापस लौटूंगी.. !
दादी ने उसका फोरहेड चुमा!
मेरी बच्ची खुदको संभालना..!
मैने अमनको फोन कर दिया है..!
आता ही होगा..!
बहोत अच्छा लडका है..!
मुजे आँच बी नही आने देगा..!
उसे अच्छी तरह मै जानती हुं..!
दोनो बात कर रहे थे की तभी बाहर गाडी का होर्न सूनाई दिया..!
वो आ गया दादी.. !
आप संम्हाल लेना..
अब डॉक्टरको कुछभी बताने की कोई जरूरत नही..!
मै जल्द लौटूगी..!
...... .... ........ ......

हॉस्पिटल के सामने अमन ने कार रोकी!
उसका दिल धाड़ धाड़ करके पसलियों से टकरा रहा था!
समझ नहीं पा रहा था की प्रिया ने आखिर उसे हॉस्पिटल क्यों बुलाया है?
जब अपना मुंह बांधकर जिया को हॉस्पिटल से निकलते देखा तो वह देखता ही रह गया!
उसके शरीर में काफी बदलाव नजर आए!
वह बहुत जल्दी मे थी!
"चलो अमन!! भैरोघाट पर चलना है..?"
"भैरोघाट पर इस वक्त..?"
अमन ने चमकते हुए पूछा.!
"क्या बात है मैं जान सकता हूं जिया..?"
"मेरा शिव मंदिर के बाबा से मिलना जरूरी है..!
वह किसी औरत से नहीं मिलते इसके लिए तुम्हें साथ लेना जरूरी था!
रात का वक्त था मुझे अकेले वहां जाना ठीक न लगा.!
उसने अपने चेहरे पर से दुपट्टा हटा लिया..!
"तुम इतनी मोटी कैसे हो गई ?
तुम्हारी आंखों में बहुत सूजन लगती है..?"
उसकी फिक्की हंसी अमन को चुभ रही थी!
कोई तो बात थी जो वह छुपा रही थी!
"थोड़ी सेहत खराब थी फिकर ना करो अब ठीक हूं मैं..!"
अमन ने उसके मन को ज्यादा कुरेदना ठीक ना समझा.!
तेजी से कार भैरव घाटी की तरफ भाग रही थी..!
बहुत कम लोग इस रास्ते पर गाड़ी से आते थे!
इसलिए रास्ता ठीक नहीं था.!
सलीके से अमन ड्राइव कर रहा था.!
जिया के करीब बैठकर आज उसका मन रोमांच से भर गया था!
पूरे शरीर में हल्की सी सिरहन दौड़ी थी!
ऐसी क्या बात है जो शिव मंदिर के बाबा से इतनी रात को मिलना जिया ने जरूरी समझा..?
किसी बात को लेकर वह परेशान थी! अमन को समझ में नहीं आ रहा था की कैसे उसको पूछे..!
किसी के पर्सनल मैटर में दखल देना ठीक भी तो नहीं था!
चिंताओं ने उसे घेर रखा था!
मगर!!!
मन में उठे खयालो को रौंदकर वो चुपचाप गाड़ी ड्राइव कर रहा था!
10 मिनट बाद दोनो भैरो घाट पर थे!
साइड पर गाड़ी पार्क करके वह नीचे उतरा.!
तेजी से कार का दूसरी साइड का गेट खोला.!
जिया संभलकर नीचे उतरी.!
शरीर टूट रहा था उसे नजरअंदाज करती रही.!
"शिव मंदिर यहां से कुछ दूरी पर है गाड़ी पर हमें चल कर जाना होगा अंधेरा है! मोबाइल की टॉर्च ऑन कर देता हूं..!
ठीक है चलते हैं..!
रास्ता सही नहीं है!
चलने में परेशानी होगी!
तुम्हें कोई एतराज ना हो तो मेरा हाथ पकड़ लो..!
एक भी शब्द बोले बगैर जियाने अमन का हाथ पकड़ा!
हवाएं तेजी से चल रही थी !
छोटे-छोटे वृक्ष ऐसे लहरा रहे थे!
जैसे नर कंकालो को कोई हवा में लहरा रहा हो!
कुछ ही दूर चले थे की एकाएक रास्ते में कोई बड़ा सा भारी कद का पक्षी अपने पंख फड़फड़ाए कर उडा.!
ओहहह...!
जिया की जान निकल गई..!
होश ही उड़ गए..!
अमन संभल गया था!
शायद वह पहले से ही तैयार था !
जानता था की रात के वक्त कहीं भी कुछ भी अचानक हो सकता है..!
कहीं दूर तक जंगलों में भेडियो की आवाज में गूंज रही थी.!
निशाचर पक्षी दोनों के कदमों की आहट सुनकर शोर मचाए हुए थे!
कौए जैसा एक काला पक्षी था!
जो बिलकुल ही दोनों के साथ ऊपर उड़ रहा था!
उसकी कर्कश आवाज डरा रही थी!
तेजी से चलते हुए दोनों पहाड़ी की चोटी पर पहुंच गए.!
थकान से जिया का बुरा हाल था!
पर उसने जाहिर नहीं होने दिया!
मंदिर के आगे एक चौखट बनी हुई थी.!
आसपास तरह तरह के पौधे लगे हुए थे!
रात रानी की खुशबू महक उठी थी!
पीपल के नीचे एक समथल पत्थर पर बाबा समाधि में बैठे थे!
जिया को वही बैठने का इशारा करके अमन बाबा के पास गया.!
अमन का मन बिल्कुल शांत हो चुका था! काफी सुकून मिला उसे यहां आकर..!
बाबा के शांत तेजोमय चेहरे को देखते हुए अमन ने दो हाथ जोड़कर प्रणाम किए!
बोला-
"क्षमा करना बाबा..!
मैं आपकी स्थितप्रज्ञ ता को तोड़ने की गुस्ताखी कर रहा हूं!
वह लड़की आपसे बात करना चाहती है..!
बाबा का हाथ हवा में उठा था.!
उनकी आंखें बंद थी!
अमन हैरान था!
इस ज्ञानी पुरुष की दृष्टि असीमित थी!
बैठे-बैठे ही दूर तलक देख सकता था वह!
उनके होठ फफडे..!
तुम लोगों से पहले एक इंसान यहां आकर गया है..!
वाकया यही था!
मैंने अपना काम तो उसी दिन से शुरू कर जिया !
दूर बैठकर भी बाबा की आवाज को साफ सुन रही थी!
"काफी खतरनाक हो चुका है वह!
मैं समझ गया हूं दिन-ब-दिन वह उस लड़की को अपनी और खींच रहा है पूरी तरह उस पर कंट्रोल कर चुका है!
अपनी दुनिया में ले जाने के लिए उतावला हो गया है.!
उसकी इस मंशा को सफल होने नहीं दूंगा मैं..!
उसके लिए मुझे उसके भूतकाल में तह तक जाना पड़ा!
जोधपुर जिले के एक छोटे से गांव में फार्म हाउस पर इकबाल रहता था!
जिन्नात उसका दोस्त हुआ करता था!
एक रात इकबाल की बीवी पर बुरी नियत डाली.!
उसी रात को इकबाल और उसकी बीवी ने मिलकर उसे छत पर से नीचे फेंक दिया.
तडप पकड़ वह मर गया था!
किसी को इस बात की भनक तक ना लगे इसलिए दोनों ने मिलकर खेत के पिछले हिस्से में रातों-रात गड्ढा बनाकर उसे दफना दिया..!
रुह तो तभी शरीर से अलग हो गई थी जब वो मरा था !
अपने घर और खेतों में अभिमंत्रित कीले लगवा दी!
जिससे उसकी आत्मा भटकती हो तब भी इस इलाके को छोड़कर चली जाए!
किले सिर्फ ईसलिये लगवाई गई थी की रूह कही भी हो हमला ना करे.. क्यो कि रूह को केद करना उनके बस की बात नही थी..
वही हुआ था !
जिन्नात स्कूल के पीछे रहे बंद कमरे में रहने लगा!
जो पहले से पोस्टमार्टम रूम हुआ करता था!
मौका देख कर इकबाल और उसकी बीवी को बुरी मौत मारा उसने..!
अब तुम दोनो को किसी भी हाल में वहां पहुंचना जरूरी है हो सके तो इसी रात में!
" कहां जाना होगा हमें..?" अमन ने पूछा
जोधपुर जिले के एक छोटे से लखनपुर गांव में जाना है
अमन एकचित होकर बाबा की बात सुनी
उसकी समझ में अब कुछ कुछ आ रहा था.
मगर हम लोग कहा ढूंढेंगे उस को कहा दफनाया गया है..?
बाबा ने सफेद कपड़े में लिपटी हुई कोई चीज अमन के हाथ में थमा दी
इसे रख लो
लखनपुर गांव जाकर जमीन पर रख देना यह खुद-ब-खुद तुम्हें अपनी मंजिल पर ले जाएगा..!
"जान सकता हूं यह क्या है..!"
अमन का हाथ बुरी तरह कांप रहा था.
घबराओ मत कंकू में भिगोया हुआ नींबू है.
अभिमंत्रित है तो उस की करामात तुम देखोगे.
"कब्र पर पहुंचकर हमें क्या करना है..?"
"पहले तो एक साफ जगह देखकर नई कब्र बनानी है.. !"
"नई कब्र क्यू..? "
क्योकि जहा उसे दफनाया गया है वहां उस पर मिट्टी डालते वक्त उन दोनोने अंजाने में सुवर की हड्डियाँ उसकी बोडी पर डाल दी थी!
जिस की वजह से वह काफी तकलिफ मे है.. !
सिर्फ उसके कंकाल को निकाल कर दूसरी कब्र में दफना ना है!
संभलकर उपर की एक भी हड्डी उसके कंकाल मे मिले न उस बात का ख्याल रखना है वरना..!
वो तुम दोनो को भी वहीं खत्म कर देगा..
ठीक है..!
हम चलते है..!
लखनपुर जल्द पहुंचनाभी है!
याद रहे ईतना आसान काम नही है जितना तुम समज रहे हो..!
कभी भी वो आ धमकेगा..! "
उससे कैसे बचना है वो तुम जानो.
मै बस ईतना कर सकता हु..!
ये लो..!
केहकर बाबा ने अमन को पंचधातु की दो अंगुठीयां दी..!
इसे तुम दोनों अपनी -अपनी उंगली में धारण कर लो.!
तुम दोनों पर वह वार नहीं कर पाएगा.!
ठीक है बाबा समझ में नहीं आता आपका शुक्रिया कैसे अदा करें..?
जाओ और अपने कार्य में सफल हो..!"
एक आवेग मय आदेश था फिर वही अवस्था में लीन हो गए बाबा..!
जिया ने चुपचाप सारी बातें सुनी थी.!
वह जानती थी कि बाबा ने उस की हाजरी को भांप लिया था !
शायद परिस्थिति की गंभीरता वह समझ गए थे!
"अमन अपने पास एक ही रात है इसी रात में लखनपुर पहुंचकर कार्य पूर्ण करना है..!"
काफी तेजी से दोनों पार्क की हुई गाड़ी की ओर ढलान उतरने लगे.!
जिया अपने दुख को भूल चुकी थी!
उसे याद था तो बस इतना ही की जिन्नात को अपने मकसद में वह कामयाब नहीं होने देना चाहती थी!

(क्रमश:)
कहानी के बारे मे अपनी राय जरूर दे..
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