Jindagi in Hindi Drama by Raaj books and stories PDF | जिंदगी

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जिंदगी

जिंदगी

की

कविता

By

Udit Ankoliya

आओ दोस्तों छोड़कर सब काम

सुनाता हूं एक जिंदगी की दास्तान ।

2 जुलाई की है ये बात,

1997 थी उसकी साल ।

थी वो अंधेरी घनी रात,

माँ के पेट मे मेने मारी लात ।

पता चला मेरे पापा को,

फोन किया दो - चार को ।

सबको बताई इस बात को,

हो रहीथी बारिश आधी रात को ।

सब लोग पहुचे अस्पताल में,

भाई-बहन भी थे साथ में ।

तनाव था सबके दिमाग मे,

डॉक्टर भी आ पहुचे रात में ।

आकर डॉक्टर ने स्टेथोस्कोप लगाया,

मा को मेरी ऑपरेशन थिअटर पहुचाया ।

देखकर सबकुछ मेरा भाई घबराया,

बहन और पिताजी ने उसको समजाया ।

ऑपरेशन थिअटर की लाइट हुई बंध,

सबकी धड़कने हो गई थी थम ।

डॉक्टर कहेंगे क्या सोच रहे थे हम,

खबर होगी खुशी की या होगा कोई गम ।

डॉक्टर आकर हँसते हुए बोले,

बधाई हो आपको, बेटा हुआ हैं ।

सुनकर ये बात भाई बहन भी डोले,

माँ के पास पहुचे, सब होले होले ।

रिस्तेदारों ने दी माँ को बढ़ाई,

सब लोगो की मुझपर नजर आई ।

खुश होकर बहन थोड़ा चिल्लाई,

भाई के साथ वो मेरे पास आई ।

बारी बारी से सबने मुजे उठाया,

रोता था मैं मुजे चुप करवाया ।

कानमे मेरे कुछ सुनाया,

समज में मेरी कुछ न आया ।

इतनेमे पूरी रात कट गई,

बारिश जो होरही थी वो भी रुक गई ।

रोशनी की किरण से सुबह खिल गई,

भाई बहन कोभी मेरी यारी मिल गई ।

सुबह होते ही पापाने मंगाई मिठाई,

आते ही मिठाई सबको खिलाई ।

डॉक्टर ने भी दी सबको विदाई,

अब घर चलने की बारी थी आयी ।

रिक्शा में बैठकर हम पहुँचे घर,

लगा था ताला दरवाजे पर ।

ताला खोला बहन ने चाबी लगाकर,

पहुंचे सब घर के अंदर ।

था हमारा वो छोटासा घर,

दो कमरे ओर एक रसोईघर।

फिरभी था वो बहुत सुंदर,

रखा बिस्तर पर मेने सर ।

भाई बहन की खुशियों का नहीथा ठिकाना,

पास आके मेरे सुनाया एक गाना ।

आया ना समज में मुझे वो गाना,

उतने मैं पड़ोसी लाये खाना ।

पड़ोसी ने फिर मेरे बारेमे जाना,

मुह धोकर बैठे सब खाने खाना ।

भाई-बहन ने खत्म किया सुनाना गाना,

माँ ने फिर सुरु किया लोरी सुनना ।

लोरी सुनकर माँ की मुजे नींद आई,

उतने में खाना खाके बहन भी आई ।

पास आकर मेरे थोड़ा चिल्लाई,

सससस कहकर माँ ने उसे चुप कराई ।

खा कर खाना सब सो गए,

सपनो की दुनिया में कही खो गए ।

रोने की आवाज से मेने आलार्म बजाया,

गहरी नींद मेसे सबको जगाया ।

माँ ने उठकर मुजे दूध पिलाया,

भाई बहन ने फिरसे वो गाना दोहराया ।

खुशियों का उनका कोई नही था ठीकाना,

प्यार था वो उनका मेने भी अब जाना ।

भाई बहन थे मेरे सबसे प्यारे,

संस्कार ऐसे की सबका कहा माने ।

समज नही आती थी उनकी बात,

पर लगता था अच्छा मुजे उनका साथ ।

बहन थी हम में सबसे बड़ी,

बाते भी करती थी बड़ी बड़ी ।

पास मेरे रहती थी वो हर घड़ी,

देखती ही रहती मुजे खड़ी खड़ी ।

छोटा था भाई उससे एक साल,

उम्र थी उसकी करीब 5 साल ।

सर पर थे उसके भूरे बाल,

खिंचती थी बहन कभी उसके गाल ।

पहला दिन ऐसे हुआ पूरा,

उसदिन सबने मुजे बहुत घूरा ।

पापा को याद आया काम था अधूरा,

करने निकल गए उसे पूरा ।

प्यार था परिवार में साथ साथ थे हम ,

भाई बहन की भी खुशिया ना थी कम ।

फिरभी था मैं रोता,जैसे हो कोई गम,

लगता था सबको मुझे आ रही शरम ।

ऐसे करते हुए दूसरी रात आई,

मम्मी ने मेरे ऊपर चादर लगाई ।

घर मे थी बनी खीर सब लोगोने खाई,

रिस्तेदार चले गए कहके बाई बाई ।

बीते दिन पाँच ऐसे खेलते खेलते,

छठा दिन आया मुजे झेलते झेलते ।

सोच में पड़ गए सब के सब,

नाम क्या रखे मेरा अब ।

उतने में मेरी बुआ चली आई,

छठी की रसम उसने निभाई ।

नाम रखने की अब बारी थी आई,

कान में मेरे एक नाम चिल्लाई ।

नाम था रखा मेरी बुआ ने राज,

करना था मुझको भी दुनिया पे राज ।

आये थे लोग छोड़कर सारे कामकाज,

जाना उन्होंने भी मेरे नाम का राझ ।

बिता ऐसे ही पूरा एक साल,

आई मेरी पहली साल गिराह ।

लम्बे हो गए थे मेरे बाल,

केक लगाई भाई ने मेरे गाल ।

एक और साल भी बिता ऐसे,

समजता खुदको में राजा हो जैसे।

सिख चुका था मैं चलना और बोलना,

मुश्किल हो गया था मुजे चुप करना ।

सुरु होगई अब मेरी शैतानी,

शैतानी के आगे मम्मी पापा ने हार मानी ।

सब सीखने लगा था मैं तेजी से,

फिर दो साल बीत गया जट से ।

उम्र हो गई मेरी चार साल,

सर पर मेरे थे घुंघराले बाल ।

बहन मेरी कभी खिंचती गाल,

कभी में भी मार देता उसके गाल ।

अब आयी थी बारी मेरी पढनेकी,

पढ़कर लिखकर बड़ा बननेकी ।

सुनकर में ये हुआ लाल-पिला,

भाई की स्कूल में मुजे मिला दाखिला।

चौथी मैं था तब मेरा बडा भाई,

जूनियर के जी की मेरी बारी आई ।

उठकर जल्दी मेने आधी रो टी खाई,

स्कूल ना जाने के लिए की मेने लड़ाई ।

लड़ाई में उसदिन में ना जीत पाया,

माँ ने तैयार करके यूनिफॉर्म पहनाया ।

जबरदस्ती करके मुजे स्कूल पहुचाया,

सोचकर होगा क्या में भी घबराया ।

माँ मुजे लेकर पहुच गई स्कूल,

स्कूल के बगीचे में थे गुलाब के फूल ।

माँ ने बोला मुजे करना ना भूल,

टीचर की बात सब करना कबुल ।

माँ मुजे देखकर बोली बाई बाई,

छोड़कर माँ को मेरी आँखें भर आईं ।

पीछे से टीचर ने मेरी पीठ थपथपाई,

पहले ही दिन मुजे A B C D सिखाई ।

ट्रिन ट्रिन करके फिर बजा बेल,

नास्ते में दी गई सबको भेल ।

नास्ते के बाद हम खेले एक खेल,

माँ के बिना स्कूल लगी एक जेल ।

बिता एक दिन मेरा स्कूल में ऐसे,

मिला फिर माँ से बिछड़ा हो जैसे ।

माँ ने पूछा मुजे कितना मजा आया,

फिरसे माँ को मैने गले लगाया ।

जाकर घर मेने मा को बताया,

स्कूल में टीचर ने क्या क्या सिखाया ।

नॉट में मेरी मुजे क्या क्या लिखाया,

नास्ते में मैने फिर क्या था खाया ।

स्कूल के चक्कर मे बिता एक दिन,

फिरसे हुई लड़ाई मेरी अगले दिन ।

पसंद नही था मुजे रोज स्कूल जाना,

माँ ने सुरु किया मुझको समजाना ।

माँ की बात को मैने फिर माना,

उसदिन स्कूल में सुनाया एक गाना ।

फिर खाया मेने पेटभर खाना,

सुरु हो गया सब मुजे पसंद आना ।

अगले दिन में खुशी से स्कूल गया,

उसदिन मुजे एक दोस्त मिल गया ।

नाम था जय वो था निर्भय,

मिलके उसे मेरा दिन बन गया ।

दोस्ती हमारी गहरी बन गई,

मुसीबत सारी मेरी टल गई।

हिम्मत भी थोड़ी मेरी बढ़ गई,

जानकर ये मेरी माँ भी खुश हुई ।

जय और में पढ़ते साथ साथ,

घर पे होमवर्क में भी बढाते हाथ ।

स्कूल में हमारे पड़ते ठाठ,

बड़ी मजबूत हमारी यारी की गांठ ।

जिंदगी ने फिर एक मोड़ लिया ऐसा,

अगला चैप्टर भी है इसके जैसा ।

पढ़ना फिर उस अगले चैप्टर को,

रिव्यु भी दे दो अब इस चैप्टर को ।

To be continue...