Ras Rang - 1 in Hindi Poems by Dhaval Kachhia books and stories PDF | रस रंग

Featured Books
Categories
Share

रस रंग

(१)

ज़िंदगी मेरी हसीन हो जाये...

ज़िंदगी मेरी हसीन हो जाये...

कहते है जिसे, वो चाहत हो,

दिल में मेरे, राहत हो,

राहों में ना रुकावट हो।

ज़िंदगी मेरी हसीन हो जाये...

सपने मेरे पूरे होते हो,

बीज नई दुनिया का बोते हो,

हँसते हँसते ना रोते हो।

ज़िंदगी मेरी हसीन हो जाये...

लिपटी हम पे खुशियाँ हो,

खुशियोंमें भी खूबियाँ हो,

खूबियों में ना कमियाँ हो।

ज़िंदगी मेरी हसीन हो जाये...

याद रहे वो हर लम्हा हो,

कहने को जिसे मुझे अरमाँ हो,

कोई भी दिन ना तन्हा हो।

ज़िंदगी मेरी हसीन हो जाये...

ज़िंदगी का दाम किफायत हो,

ज़िंदगीकी मुझपे इनायत हो,

ज़िंदगीसे कोई ना शिकायत हो।

ज़िंदगी मेरी हसीन हो जाये...

(२)

ज़िंदगी.... हसीं....

ए ज़िंदगी, तू कितनी हसीं

तुझे इस तरह, पहले देखा नहीं;

चाल तेरी अजब की,

बात तेरी गज़ब की।

ए ज़िंदगी, तू कितनी हसीं

तुझे इस तरह, पहले देखा नहीं।

तूने हरदम साया किया,

करुँ तेरा मैं शुक्रिया;

चैन तूने मुझको दिया,

शुक्राना भी मुझसे ना लिया।

ए ज़िंदगी, तू कितनी हसीं

तुझे इस तरह, पहले देखा नहीं।

जान से प्यारी तू,

लगने लगी दुलारी तू;

यादों की सवारी तू,

दुनिया मेरी है सारी तू।

ए ज़िंदगी, तू कितनी हसीं

तुझे इस तरह, पहले देखा नहीं।

(३)

जागी है.. ज़िंदगी।

सोई थी, जागी है...

अब ये मेरी ज़िंदगी,

करता था जिसका इंतज़ार...

आई है वो घडी।

बेकरारी अब मिट जायेगी,

सूर नया कोई वो ले आयेगी;

जैसा सोचा था वैसा होने लगा,

रास्ता ये नया दिखने लगा।

सोई थी......

हमसफ़र की ज़रूरत थी सफ़र में,

रात ही थी मेरी हर एक सहर में;

मिल ही गया वो सब एक पल में,

बीता दिया उस ज़िंदगी को कल में।

सोई थी, जागी है...

अब ये मेरी ज़िंदगी,

करता था जिसका इंतज़ार...

आई है वो घडी।

(४)

धडकन

सुन ले ज़रा, क्या कहती है ये धडकन,

देख तो ज़रा, मेरा दिल है एक दरपन।

ज़हन में हर पल दिखता है तेरा चेहरा,

असर किया है इसने बडा ही गहरा।

डालकर तूने रंग, दिल पे जादू किया,

चल पडा तेरे संग, दिल बेकाबू किया;

शुरु होती तुझसे मेरी हर बात है,

तेरे ही तसव्वुर में मेरे दिन-रात है।

सुन ले ज़रा.....

सोचकर तुझे ही बस गुनगुनाता हूँ,

चाहकर भी सनम नहीं रह पाता हूँ;

आँखें मेरी करे सिर्फ तेरा ही दीदार,

यही मैं चाहूँ जब मिले तू हर बार।

सुन ले ज़रा.....

(५)

कह दो ना

कह दो ना,

मेरी हो ना!

बिन तेरे, मेरे रात-दिन

कटे ना...

तू है तडप मेरी बनी,

है तेरे लिए, ज़िंदगी;

पा के तुझे कर लूँ यकीं,

के तू मेरे दिल में बसी।

ये दूरी, मेरा ये दिल

सहे ना...

तू आई तो छाई खुशी,

मेरे दिल की प्यास बुझी;

ना रह पाऊँ मैं रह कर भी,

बिना देखे तुझे कभी।

हम दोनों, कोई हाल में

बिछडे ना...

कह दो ना...

(६)

जाने तू है कहाँ

जाने मेरा दिल क्यूँ रहा, पुकार.. पुकार,

जाने मेरा दिल क्यूँ हुआ, बेकरार.. बेकरार,

जाने तू है कहाँ, जाने तू है कहाँ।

साँसों में जैसे खुश्बू रहती है.. रहती है,

नज़रों में जैसे दुनिया बसती है.. बसती है,

आओगे तुम एसे, जैसे कलियाँ खिलती है.. खिलती है।

जाने तू है कहाँ, जाने तू है कहाँ।

जाते है लम्हें आगे निकल-निकल,

तेरे लिए जाते है अरमाँ मचल-मचल,

चले हम कैसे, कदम संभल-संभल।

जाने तू है कहाँ, जाने तू है कहाँ।

(७)

आपका नज़ारा

आपका नज़ारा देखा, मैंने जब पहलीबार,

दिल की धडकन बढ गई और हो गया बेकरार,

क्या करूँ क्या ना करूँ, कैसी हालत हो गई है यार।

नई मौसम का है नया सवेरा,

दिल में मेरे हुआ आपका बसेरा;

मेरी दुनिया में जादू सा छा गया,

मैं एक ही पल में ज़िंदगी को पा गया।

आपका नज़ारा.....

सपनों के जहाँ की दुनिया आ गई,

छेड के आपको हवा लहरा गई;

बेचैन रातों का अब जी भर गया,

आपका चेहरा एसा काम कर गया।

आपका नज़ारा.....

(८)

मेरी नज़रों से

मेरी नज़रों से देखने की कोशिष करो,

एक पल के लिए भी मुझे समझने तुम ठहरो;

सपना बनके मेरी पलकों पे छाई बस तुम हो,

अब तुम्हें क्या मैं बताऊँ, क्या मेरी तुम हो।

हसीन है नीली आँखें और तेरे बाल काले,

ये ज़िंदगी है अब तुम्हारे ही हवाले;

हाँ एसे ही होते है सब प्यार करनेवाले,

कहता है मेरा दिल इसे अपना बना ले।

मेरी नज़रों से...

अदायें दिखाकर करती हो दीवाना,

पास आ के चली जाती हो करके बहाना;

तुम से सीखा है मैंने दिल का लगाना,

तुम भी मुझे चाहती हो, गाता है दिल ये गाना।

मेरी नज़रों से...

छुप-छुप के प्यार करना क्यूँ है तुम्हें पसंद,

मौसम बदल जाता है, लो आ रहा है बसंत;

छुपाओ ना दिल की बात कह भी दो जानेमन,

पता चलता है मुझको, जब हँसती हो मंद-मंद।

मेरी नज़रों से...

(९)

आशिक बनाया

साँसों को तूने बहकाया,

आशिक मुझको बनाया;

तेरी आँखों का नशा,

मुझ पर बस छाया।

हुस्न का तेरा नज़ारा,

मुझ पर ही आज़माया;

कर लूँ मैं एसी खता,

ओढ लूँ सर पे तेरा साया।

तुम्हारी लत मुझे पड गई है,

धडकनें दिल की मचल गई है;

भटका हुआ मैं हूँ यहाँ,

मेरी तो अब राह भी बदल गई है;

चल चलें हम इसी राह पे...

समझ में ना आये वो बेचैनी होती है,

बेमतलब इसे कयूँ सहनी होती है;

अनजान रह के भी यहाँ,

सारी बात बिना बताये कहनी होती है;

चल इसी बात को हम कह दे...

(१०)

मंज़ूर है

तू जिस रूप में मुझे मिले,

तू जिस हाल में मुझे मिले,

मंज़ूर है, मंज़ूर है।

खुदा तुझे हम समझ चूके,

सजदे में तेरे ये सर झुके,

तू ही हुज़ूर है, हाँ हुज़ूर है।

मेरी आँखों में तू देख, समझ प्यार की गहराई,

तू खुश्बू बन के मेरी साँसों में है लहराई;

मैं तन्हा-तन्हा,

दिल मजबूर है, मजबूर है।

सोच में ही क्या! नस-नस में शामिल हो,

सोचना ही क्या! तुम मेरी काबिल हो,

सोच ही लिया! तुम मुझे हासिल हो,

मैं बहका-बहका,

दिल तुझ में ही चूर है, चूर है।

है बेपनाह तेरा मुझसे राबता,

ख्वाबों तले चल रहा है कारवाँ,

मिटा दे मेरी बेताबी का समा,

मैं सहमा-सहमा,

और तू मशहूर है, मशहूर है।

तू जिस रूप में मुझे मिले,

तू जिस हाल में मुझे मिले,

मंज़ूर है, मंज़ूर है।

(११)

कैसी ये खुदाई

कहीं ना कहीं तू मुझमें समाई है,

कोई भी न जाने कैसी ये खुदाई है;

तेरे पहलू में मेरे अश्कों की गहराई है,

कोई भी न जाने कैसी ये खुदाई है।

तेरी खुश्बू में मेरी शामों सुबह है,

मेरे अरमानों की तू ही वजह है;

हर लम्हें को तेरे सजदा करूँ,

मेरी रूह भी तुझको अदा करूँ;

मेरे प्यार की इंतेहा कहाँ तूने आज़माई है।

इरादों में मेरी ना है कोई खता,

मेरी साँसों पे है बस तेरा ही पता;

अब तेरे लिए ही वफा करूँगा,

तेरी यादों को कभी ना रिहा करूँगा;

ये यादें तेरी अब मेरी परछाई है।

कहीं ना कहीं तू मुझमें समाई है,

कोई भी न जाने कैसी ये खुदाई है;

तेरे पहलू में मेरे अश्कों की गहराई है,

कोई भी न जाने कैसी ये खुदाई है।