Farvari 2018 ki kavitae in Hindi Poems by महेश रौतेला books and stories PDF | फरवरी २०१८ की कविताएं

Featured Books
Categories
Share

फरवरी २०१८ की कविताएं

फरवरी 2018 का लेखन

१.

दिखी थी तरुणाई तुमको

काँटे पाँव के नहीं दिखे,

दिखा था आँखों का आँचल

दुख का सपना नहीं दिखा।

दिखा था यौवन तुमको

संघर्ष उसका नहीं दिखा,

दिखी थी ऊँचाई सुन्दर

गिरता पसीना नहीं दिखा।

दिखे थे प्यार के लम्हे

उसके रोड़े नहीं दिखे,

दिखे थे मंजिल पर यात्री

उनकी यात्रा नहीं दिखी।

२.

प्यार की बातें ईधर भी हैं उधर भी हैं

प्यार की आवाजें ईधर भी हैं उधर भी हैं

कोहरे का अंधेरा ईधर भी है उधर भी है

लोगों में शान्ति ईधर भी है उधर भी है।

३.

सुनता ऊनी टोपी, ऊनी मोजे बुन

नये नये डिजाइन में

तुमने नया नया सौंदर्य गढ़ा था।

ओह, अब बात पुरानी हो गयी है

बिल्कुल फटे कुरते की तरह

या टल्लीदार पैंट की तरह

पर आँसू वैसे ही नमकीन हैं

आवाज उज्ज्वल, साफ,सरल

मानो यशोधरा गौतम बुद्ध से पूछ रही हो-

तुमने क्या पाया

बुद्ध कहते हैं-

आलोक ,ज्ञान

यशोधरा कहती है,ये क्या होता है?

बुद्ध समझाते हैं

यशोधरा कहती है जो तुमने पाया

दुनिया उसे जानेगी,

लेकिन जो मैंने सिद्ध किया उसे जान न पायेगी।

५.

जहाँ कहते कहते झट चुप हो जाता

वहीं तो मेरा प्यार खड़ा था

जहाँ चलते चलते झट रुक जाता

वहीं तो मेरा प्यार विरल था,

जहाँ बैठे बैठे दिन चले थे

वहीं तो मेरा प्यार बिखरा था,

जहाँ कहने को कुछ नहीं था

वहीं तो प्यार का एहसास मिला था,

जहाँ मुड़कर पीछे देखा

वहीं तो प्यार की अबूझ प्यास थी।

६.

उसे कितना ही नकारो

उसे नकार नहीं सकते,

विचार की तरह उछालो

वह वापिस आ जायेगा,

गेंद की तरह फेंको

फिर हाथ में आ जायेगा,

पहाड़ के उस तरफ ले जाओ

फिर इस ओर आ जायेगा,

उसे कितना ही नकारो

उसे नकार नहीं सकते।

७.

जहाँ से मैंने तुम्हें पुकारा

वहीं मेरा देश खड़ा है

जहाँ हमारी आवाज खुली है

वहीं से मेरा देश शुरु है।

जहाँ नदियों ने तीर्थ दिये

वही राष्ट्र तो हमारा है

जहाँ पर्वतों पर देवस्थल हैं

वही देश तो मेरा है।

८.

इस शहर में बहुत बातें हैं

ईश्वर का मंदिर है

रावण की चर्चा है

इस शहर में बहुत बातें हैं,

जिधर भी निकलो

मनुष्य ही मनुष्य हैं

घोड़े भी खड़े हैं, गधे भी रुके हैं

धूप बहुत कड़क है

रामलीला की चहल है।

सुख पर देखो पंख लगे हैं

शब्दों से जब निकल रहा हूँ,

शब्दों में जब संवर रहा हूँ

दुख पर देखो पंख लगे हैं।

पथ पर जैसे कदम बढ़ाये

सीमाओं पर आँख जमायी,

देश के भीतर दूर तक देखा

सुख दुख पर चौड़े पंख लगे थे।

प्यार की बातें कहने को हूँ

जीवन का नया गीत लिखा हूँ,

ज्यों नई कथा पढ़ने को हूँ

सुख दुख की देखो बहस छिड़ी है।

९.

जब जिन्दगी रुकती है

या बर्फ की तरह हो

बेहद ठंडी हो जाती है,

पहाड़ उस में से निकल

आकाश को चूमने लगता है,

तो बातें अंधाधुंध होती हैं।

जब हँसी उससे निकलती है

मुस्कान उसमें रुकती है

प्यार कुछ हटकर होता है

मृत्यु डटकर होती है

तो सांसें अद्भुत निकलती हैं।

जब जिन्दगी को कुछ कहना होता है

वह राहों को टटोलने लगती है

इधर-उधर लोटपोट होने लगती है

सपनों में शाखाएं लगाने लगती है

हजारों शब्दों को युवा बनाने लगती है।

१०.

सुनता दरिद्रता मिट गयी है,

खिलखिलाती जोर की हंसी फूटती है

चंचल आसमान टिमटिमाता

बहुत नजदीक आ जाता है,

और उसे छूना मुक्ति सा लगता है,

ऐसा लगता है जैसे

शान्ति का हर अहसास

मेरे भारत से ही निकलता है।

११.

गीत जो जहां में था,

कोई गुनगुनाता, गंगा हो आता

कोई सुनता, पहाड़ चढ़ जाता

कोई पढ़ता, फिर लिख देता।

जब रुका तो, भाव सा था

जब चला तो, अहसास सा था

जब मिला तो, अविश्वास सा था

जब मिला नहीं ,तो खोज सा था।

जब दिखा तो, साधारण सा था

जब दिखा नहीं, तो असाधारण था,

जब अव्यक्त रहा , तो पहिचान में था

जब व्यक्त हुआ, तो रक्त में था,

गीत तो जहां में था।

१२.

देश की भाषा

देश की पूँजी है,

झंडे उठाती है

देश को बचाती है,

प्यार विस्तृत करती है

जनता को देखती है

गौरव अक्षुण्ण देती है।

१३.

वह गीत सुनने बैठा हुआ है

आवाज दूँ तो सुनता नहीं है

झगड़ता हूँ तो मिलता नहीं है

बोलता हूँ तो कहता नहीं है।

कोई कहता निराकार है वह

कोई कहता पूर्ण है वह

कोई विवादित उसे बनाता

कोई संवाद में उसे चुराता।

मुस्कान लिये वह खड़ा है

खिलखिलाने वह जगा है

स्नेह का आगार लिये है

उत्तर हमारा उसमें लिखा है।

१४.

एक अहसास

इतना लम्बा बन जायेगा

पता नहीं था,

एक कदम

इतनी ऊँचाई दे देगा

जाना नहीं था,

एक मुस्कान

इतनी लम्बी याद बन जायेगी

सोचा नहीं था,

वह मधुरता

इतनी अन्दर पसर जायेगी

कल्पना में नहीं था।

१५.

यह आकाश कुछ कहता नहीं

न झूठ बोलता है

न सच बोलता है

सब चुपचाप देखता रहता है,

कहाँ तक उड़ूँ

कि वह बोलने लगे।

यह धरती कुछ कहती नहीं

न झूठ बोलती है

न सच बोलती है

सब चुपचाप देखती-सुनती रहती है,

कहाँ तक चलूँ

कि वह बातचीत करने लगे।

१६.

कभी मुझे लगा कि

मैं शून्य के साथ दौड़ रहा हूँ,

कभी मुझे लगा कि

मैं प्यार के साथ दौड़ रहा हूँ,

कभी मुझे लगा कि

मैं सबके साथ दौड़ रहा हूँ,

कभी मुझे लगा कि

मैं जहाज के साथ दौड़ रहा हूँ,

कभी मुझे लगा कि

मैं गाड़ियों के साथ दौड़ रहा हूँ,

कभी मुझे लगा कि

मैं अकेला दौड़ रहा हूँ,

कभी मुझे लगा कि

मैं सुख-दुख के साथ दौड़ रहा हूँ,

कभी मुझे लगा कि

मैं हताशा के साथ दौड़ रहा हूँ,

कभी मुझे लगा कि

मैं केवल दौड़ रहा हूँ।

कभी मुझे लगा कि

मैं कहने- सुनने के लिए दौड़ रहा हूँ,

कभी मुझे लगा कि

मैं शान्ति के लिए दौड़ रहा हूँ।

१७.

इतना कमजोर न करना

कि तुम्हें याद न कर सकूं,

इतना छोटा आकाश न बनाना

कि छोटे स्थानों में सिमट जाऊँ,

इतना असुरक्षित न करना

कि भय में कंपकपाता रहूं,

इतना अपवित्र न होने देना

कि दोष भाव बैठ जाय,

इतना स्वार्थी न होने देना

कि दूसरा दिखे ही नहीं,

इतना अकर्मण्य न करना

कि अपराध बोध ठहर जाय,

हे ईश्वर,इतना कमजोर न करना

कि तुम्हें याद न कर सकूं।

१८.

आगरा :

आगरा किले पर रेलगाड़ी से उतरा और होटल के लिए टैक्सी की। टैक्सी ड्राइवर एक सामान पकड़कर तेजी से चल दृष्टि से ओझल हो गया। मैंने समझा लगता है सामान ( सूटकेस) लेकर चला गया है।लेकिन थोड़ीदेर में वह मेरे पास आकर खड़ा हो दूसरा सामान पकड़कर साथ-साथ चलने लगा। आगरा का किला देखा फिर ताजमहल। आगरा फोर्ट में काफी विदेशी पर्यटक दिख रहे थे। किले के बाहर फोन से फोटो खींच रहा था तो एक विदेशी लड़की मेरी ओर देख मुस्करा रही थी, मैंने उसकी फोटो भी ले ली। उसने कुछ नहीं कहा। शायद रूस की थी। ताजमहल तक पहुंचने वाले एक रास्ते में बहुत दुर्गंध का सामना करना पड़ा। ताजमहल पर दृष्टि पड़ी लेकिन मुझे वह उतना आकर्षक नहीं लगा जितना सुना था। फरवरी महिने में प्रायः सूखी यमुना के किनारे उदास दिख रहा था। वैसे भी मुझे प्राकृतिक सौंदर्य अधिक आकर्षित करता है। वह हिमालय, वे पहाड़, गंगा, गंगा सदृश्य नदियां आदि। ताजमहल पर विदेशी लोग गिलहरियों की फोटो ले रहे थे। गिलहरियां यहाँ किसी से डर नहीं रही थीं। दूसरे दिन सुबह छ बजे दिल्ली की ट्रेन थी। सुबह पांच बजे स्टेशन पहुंचा तो देखा कि दिल्ली की मेरी ट्रेन रद्द हो गयी है। फोन पर देखा तो पता चला रात दो बजे संदेश आया है कि ट्रेन रद्द है। असमंजस की स्थिति हो गयी थी।

सभी लोग दुविधा में फंसे थे। इतने में एक कार वाला मेरे पास आया और दिल्ली जाने को वह तैयार बैठा था। यमुना एक्सप्रेस मार्ग से यात्रा करने का यह पहला अनुभव था। इसी पर लड़ाकू विमान सुखोई भी उतरे और उड़ान भरे थे कुछ समय पूर्व। जैसे ही नोएडा पहुंचे कार का आगे वाला शीशा भयंकर आवाज के साथ चूरचूर हो गया। चोट किसी को नहीं आयी। ड्राइवर काफी उदास हो गया था। शीशा साफ कर कार चलाने लगा। तब सुबह की ठंडी हवा शरीर को कंपकपाने लगी थी। मैं फिर नोयडा में ,ओएनजीसी अतिथि गृह चला गया। दिल्ली हवाई अड्डे जाते समय कार कार का ड्राइवर बोला," साहब जीवन में हर दिन बहुत संघर्ष है।" मैंने कहा पंजाब बैंक घोटाले के बारे में कुछ सुने हो। वह बोला," इन्हीं चोरों के बीच रहना है।" मुझे उसकी बात में दार्शनिकता की झलक लगी।

"यात्राएं होती रहेंगी

कभी प्यार के लिए, कभी प्रवास के लिए

कभी युद्ध के लिए, कभी याद के लिए,

कभी जन्म के लिए, कभी जीवन-मृत्यु के लिए,

कभी तीर्थ के लिए, कभी तपस्या के लिए,

जितनी मुस्कान बिखेरी है उधर

उससे अधिक उदासी से देखा है उधर।"

१९.

बता सकते हो

किस डाल पर उल्लू बैठा है,

कहाँ कौवा काँव-काँव कर रहा है

कहाँ कलि बैठे-बैठे लूटपाट मचा रहा है

कहाँ हंस की चाल ढीली है,

फिर प्रश्न उठता है

किस डाल पर उल्लू बैठा है?

फिर सवाल आता है

किस देश में उल्लू उड़ता है।

२०.

तब प्यार मेरे लिए पहाड़ सा था

घने जंगलों से आच्छादित

जीव-जन्तुओं से भरा

जहाँ बर्फ भी गिरती थी

गुनगुनी धूप भी चढ़ती थी,

जिसे चढ़ने में हृदय तेज धड़कता था

उन पगडण्डियों में चलना भर था

जहाँ धूप-छाँव से थे हम,

ठंड के आर पार जाना था

किसी याद को गुनगुना करना था,

उस पढ़ायी में उतरना था

जो पास फेल करती थी,

दो तीन साल बाद सोचा

हमें साथ-साथ चलना था,

लेकिन तब समय के गड्ढे

एक-दो नहीं, अनगिनत हो चुके थे।

२१.

यादें वहीं की वहीं रह गयी

हम आगे बढ़ गये,

नदी वहीं की वहीं रह गयी

हम आगे बढ़ गये,

पहाड़ वहीं के वहीं रह गये

हम आगे बढ़ गये,

प्यार वहीं का वहीं रह गया

हम आगे बढ़ गये,

बचपन वहीं का वहीं रह गया

हम आगे बढ़ गये,

मुस्कान वहीं की वहीं रह गयी

हम आगे बढ़ गये,

फूल वहीं के वहीं रह गये

हम आगे बढ़ गये,

जीवन वहीं का वहीं रह गया

हम आगे बढ़ गये।

२२.

तेरा और मेरा संघर्ष अलग अलग है

तेरा और मेरा घर अलग अलग है

तेरा और मेरे रास्ते अलग अलग हैं

तेरा और मेरा शहर अलग अलग है

पर तेरा और मेरा देश एक है।

तेरा और मेरा लय अलग अलग है

तेरा और मेरा मन अलग अलग है

तेरा और मेरा तीर्थ अलग अलग है

पर तेरा और मेरा देश एक है।

***