चंद्रकांता के दूसरे भाग में तेजसिंह ने सबको बताया कि चंद्रकांता और चपला जीवित हैं, जबकि जो लाशें दिख रही हैं, वे नकली हैं। तेजसिंह ने सबको आश्वस्त किया कि दुश्मनों ने दोनों को चुरा लिया है। महाराज और महारानी तेजसिंह की बात सुनकर चौंक गए और उन्होंने लाशों की जांच की, जिसमें यह साबित हुआ कि वे बनावटी हैं। अब सबको पता चल गया कि चंद्रकांता जीवित है, लेकिन वह दुश्मनों के हाथ में है। तेजसिंह ने कहा कि वह उन्हें खोज निकालेंगे। इस बीच, कुमार वीरेन्द्रसिंह बेहोश हैं और तेजसिंह को उन्हें होश में लाने की चिंता है। कई प्रयासों के बाद, तेजसिंह ने कुमार को उनके कमरे में ले जाकर उन्हें बताया कि चंद्रकांता जीवित है और दुश्मन उसे ले जा रहे हैं। इस सुनकर कुमार ने होश में आकर तेजसिंह से चंद्रकांता के बारे में पूछा। तेजसिंह ने उन्हें बताया कि दुश्मनों ने चंद्रकांता को चुरा लिया है और उनकी जगह नकली लाशें रखी हैं। चंद्रकांता - भाग - 2 by Devaki Nandan Khatri in Hindi Classic Stories 67 20.6k Downloads 42k Views Writen by Devaki Nandan Khatri Category Classic Stories Read Full Story Download on Mobile Description चंद्रकान्ता हिन्दी के शुरुआती उपन्यासों में है जिसके लेखक देवकीनन्दन खत्री हैं। इसकी रचना १९ वीं सदी के आखिरी में हुई थी। यह उपन्यास अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था और कहा जाता है कि इसे पढने के लिये कई लोगों ने देवनागरी सीखी थी। यह तिलिस्म और ऐयारी पर आधारित है और इसका नाम नायिका के नाम पर रखा गया है। कथानक : चन्द्रकान्ता को एक प्रेम कथा कहा जा सकता है। इस शुद्ध लौकिक प्रेम कहानी को, दो दुश्मन राजघरानों, नवगढ और विजयगढ के बीच, प्रेम और घृणा का विरोधाभास आगे बढ़ाता है। विजयगढ की राजकुमारी चंद्रकांता और नवगढ के राजकुमार विरेन्द्र विक्रम को आपस मे प्रेम है। लेकिन राज परिवारों में दुश्मनी है। दुश्मनी का कारण है कि विजयगढ के महाराज नवगढ के राजा को अपने भाई की हत्या का जिम्मेदार मानते है। हांलांकि इसका जिम्मेदार विजयगढ का महामंत्री क्रूर सिंह है, जो चंद्रकांता से शादी करने और विजयगढ का महाराज बनने का सपना देख रहा है। राजकुमारी चंद्रकांता और राजकुमार विरेन्द्र विक्रम की प्रमुख कथा के साथ साथ ऐयार तेजसिंह तथा ऐयारा चपला की प्रेम कहानी भी चलती रहती है। कथा का अंत नौगढ़ के राजा सुरेन्द्र सिंह के पुत्र वीरेन्द्र सिंह तथा विजयगढ़ के राजा जयसिंह की पुत्री चन्द्रकांता के परिणय से होता है। उपन्यास का आकर्षण हैं तिलिस्मी और ऐयारी के अनेक चमत्कार जो पाठक को विस्मित तो करते ही हैं, रहस्य निर्मित करते हुए उपन्यास को रोचकता भी प्रदान करते हैं। क्रूर सिंह के षड्यंत्र एवं वीरेन्द्र विक्रम के पराक्रम का वर्णन अत्यधिक रोचक बन जाता हैं। Novels चंद्रकांता चंद्रकान्ता हिन्दी के शुरुआती उपन्यासों में है जिसके लेखक देवकीनन्दन खत्री हैं। इसकी रचना १९ वीं सदी के आखिरी में हुई थी। यह उपन्यास अत्यधिक लोकप्रिय... More Likes This अल - अमानह : सल्तनत की किस्मत - 1 by Harun Khan सन्यासी -- भाग - 32 by Saroj Verma जादुई आईना - पार्ट 1 by Manshi K मंजिले - भाग 9 by Neeraj Sharma ज्वार या भाटा - भाग 1 by Lalit Kishor Aka Shitiz तेरी मेरी यारी - 5 by Ashish Kumar Trivedi आखेट महल - 1 by Prabodh Kumar Govil More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories