यह कहानी 'हस्तलिखित भित्ति पत्र एवं पत्रिकाएँ' के माध्यम से अभिव्यक्ति की एक नई परंपरा को उजागर करती है। वॉल्टेयर के कथन से शुरुआत करते हुए, लेखक सक्षम द्विवेदी यह बताते हैं कि आज के डिजिटल युग में, जब संचार के आधुनिक साधन प्रगति पर हैं, ऐसे में कुछ युवा हाथ से लिखकर अपने विचारों को दीवारों पर व्यक्त कर रहे हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में कई हस्तलिखित पत्रिकाएँ, जैसे 'इत्यादि', 'संवेग', 'प्रतिरोध', 'वयम्', 'प्रवाह', और 'आरोही', इस प्रयास का हिस्सा हैं। 'संवेग' पत्रिका राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित है, जबकि 'प्रतिरोध' महिलाओं की स्थिति पर ध्यान देती है। सभी पत्रिकाएँ छात्रों की रचनात्मकता को बढ़ावा देती हैं। कुछ लोग इन्हें सकारात्मक मानते हैं, जबकि अन्य का मत है कि आज के डिजिटल युग में ये समय की बर्बादी हैं। फिर भी, संपादिका साक्षी का कहना है कि मु़द्रत माध्यमों का महत्व अब भी बना हुआ है, जो इस परंपरा को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। यह कहानी विचारों की अभिव्यक्ति के विभिन्न रूपों के बीच संवाद स्थापित करती है। हस्तलिखित भित्ति पत्र एवं पत्रिकाएँ by saksham dwivedi in Hindi Magazine 4 5.7k Downloads 31.2k Views Writen by saksham dwivedi Category Magazine Read Full Story Download on Mobile Description आज जबकि सोशल नेटवर्किंग का दौर है लोगों के हाथों में टैबलेट्स,मोबाईल,गैजेट्स,लैपटॉप सहित अन्य आधुनिक उपकरणों ने संचार की गति को अत्यधिक तीव्रता प्रदान की है। मीडिया कर्न्वजेंस ने आज दैनिक समाचार पत्र जैसे पारंपरिक मुद्रित माध्यम के किसी भी क्षेत्रीय अंक को भी लोगों के एनराइड सेट्स तक पंहुचा दिया मोबाईल में उपलब्ध एफ0एम0 व विविध भारती ने रेडियो को स्मृति चिन्ह के रूप में तब्दील कर दिया। माध्यम के साथ अभिव्यक्ति का स्वरूप और भाष बदलने लगी। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति या समूह बहुत पुराने परंपरागत माध्यम द्वारा हाथ से लिखकर,पृष्ठसज्जा कर,कार्टून व कैरिकेचर बनाकर शिद्दत के साथ अलग-अलग दीवारों पर जाकर अपने विचारों को अभिव्यक्त करे तो निश्चित ही एक उत्सुकता का विषय बनता है। आखिर ये युवा ऐसा कर क्यों रहें हैं तमाम अत्याधुनिक संचार माध्यमों को छोड़कर इस प्रकार से विचारों की अभिव्यति का क्या उद्देश्य हो सकता है ऐसे तमाम सवाल जेहन में बरबस ही उमड़ पड़तें है जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय,पुस्कालय,छात्रावासों सहित तमाम अन्य शैक्षणिक संस्थाओं की दीवारों पर लोगों की नजर जाती है यहां पर कुछ पाक्षिक,मासिक व अन्य समयावधि के पत्र-पत्रिकाएं दिखाईं देतीं हैं। जहां एक बड़ा हिस्सा इनको नजरअंदाज करता हुआ आगे बढ़ जाता है वहीं कुछ लोग अपनी आंखे कुछ देर इस पर टिकाकर कुछ समझते नजर आते हैं। इलाहाबाद में ‘इत्यादि’,‘संवेग’,‘प्रतिरोध’,‘वयम’,‘प्रवाह’,‘आरोही’ सहित कुछ अन्य हस्तलिखित भित्ति पत्र-पत्रिकाएं प्रमुख हैं। More Likes This कल्पतरु - ज्ञान की छाया - 1 by संदीप सिंह (ईशू) नव कलेंडर वर्ष-2025 - भाग 1 by nand lal mani tripathi कुछ तो मिलेगा? by Ashish आओ कुछ पाए हम by Ashish जरूरी था - 2 by Komal Mehta गुजरात में स्वत्तन्त्रता प्राप्ति के बाद का महिला लेखन - 1 by Neelam Kulshreshtha अंतर्मन (दैनंदिनी पत्रिका) - 1 by संदीप सिंह (ईशू) More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories