यह कहानी "परीक्षा-गुरु" के पहले प्रकरण "सौदागर की दुकान" के बारे में है। इसमें लाला मदनमोहन और उनके साथी लाला ब्रजकिशोर, मुन्शी चुन्नीलाल, और मास्टर शिंभूदयाल एक अंग्रेजी सौदागर की दुकान में नए फाशन के अस्बाब देख रहे हैं। लाला मदनमोहन एक काच की जोड़ी पसंद करते हैं, जिसकी कीमत तीन हजार रुपये है, लेकिन सौदागर उन्हें चार सौ रुपये की छूट देने की पेशकश करता है। इस पर उनके साथी काच की कारीगरी की तारीफ करते हैं। लाला ब्रजकिशोर और अन्य चर्चा करते हैं कि कैसे लोगों का मन खेल तमाशे की चीजों की ओर ललचाता है, और बुद्धिमान लोग केवल ज़रूरी चीजों पर ध्यान देते हैं। कहानी में यह भी बताया गया है कि मनुष्य चित्त की प्रसन्नता के लिए कार्य करते हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं कि जो चीजें उन्हें प्रसन्न करती हैं, वे आवश्यक हों। लाला ब्रजकिशोर का कहना है कि मुनासिब रीति से थोड़े खर्च में सुख प्राप्त किया जा सकता है और जब अनावश्यक चीजों पर अधिक खर्च होता है, तो आवश्यक कार्यों में कठिनाई आती है। अंत में, सौदागर बताता है कि ये काच फ्रांस से आए हैं और उनकी विशेषता के कारण हमेशा भीड़ रहती है। लाला मदनमोहन इनकी कीमत लिखवाने और उन्हें अपने पास मंगवाने का निर्णय लेते हैं। कहानी में विभिन्न पात्रों के विचार और दृष्टिकोण के माध्यम से खर्च, आवश्यकता, और प्रसन्नता के बीच के संबंध को दर्शाया गया है। परीक्षा-गुरु - प्रकरण-1 by Lala Shrinivas Das in Hindi Short Stories 5 6.9k Downloads 16.3k Views Writen by Lala Shrinivas Das Category Short Stories Read Full Story Download on Mobile Description लाला मदनमोहन एक अंग्रेजी सौदागर की दुकानमैं नई, नई फाशन का अंग्रेजी अस्बाब देख रहे हैं. लाला ब्रजकिशोर, मुन्शी चुन्नीलाल और मास्टर शिंभूदयाल उन्के साथ हैं. मिस्टर ब्राइट ! यह बड़ी काच की जोड़ी हमको पसंद है. इस्की क़ीमत क्या है ? लाला मदनमोहन नें सौदागर सै पूछा. इस साथकी जोड़ी अभी तीन हजार रुपे मैं हमनें एक हिन्दुस्थानी रईस को दी है लेकिन आप हमारे दोस्त हैं आपको हम चारसौ रुपे कम कर दैंगे. निस्सन्देह ये काच आपके कमरेके लायक है इन्के लगनें सै उस्की शोभा दुगुनी हो जायगी. शिंभूदयाल बोले. Novels परीक्षा-गुरु लाला मदनमोहन एक अंग्रेजी सौदागर की दुकानमैं नई, नई फाशन का अंग्रेजी अस्बाब देख रहे हैं. लाला ब्रजकिशोर, मुन्शी चुन्नीलाल और मास्टर शिंभूदयाल उन्के... More Likes This नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 1 by Shailesh verma पायल की खामोशी by Rishabh Sharma सगाई की अंगूठी by S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 by anmol sushil काली किताब - भाग 1 by Shailesh verma Silent Desires - 1 by Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 by Akshay Tiwari More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories