वाह साहब ! - 2 Yogesh patil द्वारा Fiction Stories में हिंदी पीडीएफ

Waah Sahab by Yogesh patil in Hindi Novels
रात के करीब नौ बजे थे। सड़कें हल्की पीली रोशनी में डूबी हुई थीं और शहर की हवा में सर्दी की नमी घुली थी। विशाल, हल्के नशे में भी अपनी गाड़ी संभालने की...