अनया की निगाह भीड़ के पीछे खड़े एक अनजान शख्स पर पड़ी —जिसके हाथ में लाल रंग की छतरी थी… और जो बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया।---आश्रम के उस कविता-संध्या के बाद बहुत कुछ बदल गया था,लेकिन अनया के मन में अब एक नया सवाल अंकुरित हो चुका था —वो लाल छतरी वाला आदमी कौन था?**अगली सुबह, अनया अकेले आश्रम की पीछे वाली बगिया में टहल रही थी,जहाँ कभी आर्या और नीरव की">

खामोश ज़िंदगी के बोलते जज़्बात - 6 Babul haq ansari द्वारा Love Stories में हिंदी पीडीएफ

Khamosh jindagi ke bolate jajbat by Babul haq ansari in Hindi Novels
सड़कों पर रोज़ की तरह भीड़ दौड़ रही थी।

हर कोई कहीं पहुंचने की जल्दी में था।

लेकिन उन्हीं चेहरों के बीच एक चेहरा ऐसा भी था, जो न दौड़ रहा था, न...