अनया की निगाह भीड़ के पीछे खड़े एक अनजान शख्स पर पड़ी —जिसके हाथ में लाल रंग की छतरी थी… और जो बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया।---आश्रम के उस कविता-संध्या के बाद बहुत कुछ बदल गया था,लेकिन अनया के मन में अब एक नया सवाल अंकुरित हो चुका था —वो लाल छतरी वाला आदमी कौन था?**अगली सुबह, अनया अकेले आश्रम की पीछे वाली बगिया में टहल रही थी,जहाँ कभी आर्या और नीरव की">