"कुछ लोग पहली बार में दिल में बस जाते हैं,और फिर हर लम्हा... उन्हीं से मुलाक़ात होती रहती है।"---लखनऊ यूनिवर्सिटी की वो गुलाबी सर्दियां थीं, जब धूप सिर्फ़ तन को नहीं, दिल को भी छूती है।कॉलेज की लाइब्रेरी की सीढ़ियों पर बैठी ज़ारिन अपने जज़्बातों से लड़ रही थी।एक तरफ उसकी किताबें थीं, दूसरी तरफ वो चेहरा… जो उसकी सोच से निकल ही नहीं रहा था—आरिज़।--- "तू फिर से खो गई…"नीलोफ़र, उसकी सबसे क़रीबी दोस्त, उसे गौर से देख रही थी।"ज़ारिन, तू क्लास में भी गुम रहती">