शब्दों का बोझ - 2 DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR द्वारा Spiritual Stories में हिंदी पीडीएफ

Shabdo ka Boj by DHIRENDRA SINGH BISHT DHiR in Hindi Novels
जब कोई चीज़ को बार-बार बोलना पड़े, फिर इन सब का मतलब शून्य हो जाता है।

कई बार लगता है कि मैं शब्दों का गुलाम हूँ। हर भावना को, हर चोट को, हर उम्मीद...