"कल" एक ऐसा शब्द है जिसका वास्तविकता में कोई अस्तित्व है या नहीं, यह कहना मुश्किल है। हर व्यक्ति अपने कल को बेहतर बनाने की सोच में लगा रहता है, लेकिन असल में वह कल कभी आता नहीं, सब कुछ आज में ही समाहित हो जाता है। ज्यादातर लोग अपनी वर्तमान को छोड़कर भविष्य की चिंता में लगे रहते हैं, जबकि कुछ लोग वर्तमान में जीने में विश्वास रखते हैं। विभिन्न दार्शनिकों और बुद्धिजीवियों ने बेहतर कल के बारे में विचार दिए हैं, और प्रगतिशील मानव ने विज्ञान का सहारा लिया है। लेकिन क्या किसी ने उस कल को देखा है जिसके लिए हम अपने आज को खोते जा रहे हैं? केवल कल की चिंता में अपने वर्तमान को बर्बाद करना मूर्खता है। जब हम किसी कार्य को कल पर टालते हैं, तब हमारे आज का दुरुपयोग होता है, जिससे चिंता और दुख पैदा होते हैं। शिक्षा का उद्देश्य भी वर्तमान को सिखाना होना चाहिए, न कि सिर्फ बेहतर कल की तैयारी में अपने बच्चों को उसी दलदल में धकेलना। वास्तव में, यदि हम आज को बेहतर बनाने पर ध्यान दें, तो कल अपने आप बेहतर हो जाएगा। मानव जीवन भर बेहतर कल के लिए मेहनत करता है, लेकिन कभी भी उसका कल नहीं आता। इसलिए, हमें केवल कल के बारे में सोचने के बजाय अपने आज को जीने की आवश्यकता है, क्योंकि यही सही जीवन है। अन्य जीव केवल आज में जीते हैं और वे बेहतर जीवन जीते हैं। अगर हम अपने कार्यों को कल के लिए नहीं, बल्कि आज के लिए करें, तो हमारा कल स्वतः ही बेहतर हो जाएगा। बेहतर कल by Rajesh Kumar in Hindi Philosophy 4 2.4k Downloads 10.1k Views Writen by Rajesh Kumar Category Philosophy Read Full Story Download on Mobile Description "कल" वो शब्द है जिसका अस्तित्व है या नही कहा नही जा सकता। "कल" हर व्यक्ति के दिलों दिमाग में रहता है और हर दिन सोचता है कि उसका कल बेहतर हो लेकिन वही कल जिसके लिए आज को खपाया जाता है कभी आता ही नही सब आज में ही परिवर्तित हो जाता है। दुनिया में चंद लोग होते हैं जो आज को जीने में विश्वास करते है लेकिन 99.99% लोग कल को बेहतर बनाने पर लगे हुए है। बड़े बड़े दार्शनिक,ज्ञानी, बुद्धिजीवी लोगों ने कल को बेहतर कैसे बनाएं अपना अपना विचार दिया। प्रगतिशील मानव ने विज्ञान का सहारा More Likes This Successful MAD Tips by Ashish भय - भाग 1 by नंदलाल मणि त्रिपाठी सबा - 1 by Prabodh Kumar Govil चुप्पियों का कथाकार - अर्नेस्ट हेमिंग्वे by Dr Jaya Shankar Shukla जागृति आवाहन by Rudra S. Sharma जीवन कैसे जिएं? - 1 by Priyanshu Jha VIRUS by ANKIT YADAV More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories