"व्यंग्य: धंधा धरम का" यशवंत कोठारी द्वारा एक तीखा और विचार-provoking लेख है जिसमें धर्म और spirituality के व्यापार के प्रति व्यंग्य किया गया है। लेखक बताता है कि कैसे लोग साधू और बाबा बनकर लाभ कमाने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। कहानी में यह बताया गया है कि एक साधू बनने के लिए केवल कुछ साधारण वस्तुएं और श्लोकों की आवश्यकता होती है। इसके बाद, असफलता के बावजूद, साधू लोग गाँव के बाहर आश्रम या डेरे खोलकर काम करने लगते हैं। लेखक यह भी दर्शाता है कि कई बाबा जेल में हैं या जेल जाने की तैयारी कर रहे हैं, और वे अपनी सम्पत्ति को छुपाने के लिए अपने ट्रस्ट का सहारा लेते हैं। लेख में यह भी बताया गया है कि आजकल के साधू और संत खुद को राजा बना चुके हैं और धर्म के धंधे में कभी घाटा नहीं होता। दुखी लोग इन बाबाओं के पास आते हैं, जो उन्हें सपने दिखाते हैं और उनके दुख दूर करने का वादा करते हैं। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि कई बाबाओं ने राजनीति में भी घुसपैठ की है और बड़े लाभ हासिल किए हैं, जबकि वास्तविक धर्म का उद्देश्य कहीं खो गया है। लेख में एक मठ के द्वारा दिए गए नारे और बाबाओं की काली करतूतों का भी जिक्र किया गया है। आखिर में, लेखक आशंका जताता है कि जब समाज में असामान्य स्थिति है, तो साधू और ओझा जैसे लोग आम लोगों की शरण में आते हैं, और इस तरह धर्म और अध्यात्म का व्यवसाय बन गया है, जो भोली भाली जनता को अपने जाल में फंसा लेता है। इस प्रकार, यह लेख धर्म को व्यवसाय के रूप में प्रस्तुत करता है और समाज में इसके प्रभावों पर सवाल उठाता है। अफसर का अभिनन्दन - 24 by Yashvant Kothari in Hindi Comedy stories 3 2.7k Downloads 7.6k Views Writen by Yashvant Kothari Category Comedy stories Read Full Story Download on Mobile Description व्यंग्य धंधा धरम का यशवंत कोठारी आजकल मैं धरम-करम के धंधे में व्यस्त हूँ.इस धंधे में बड़ी बरकत है,बाकी के सब धंधे इस धंधे के सामने फेल हैं.लागत भी ज्यादा नहीं,बस एक लंगोटी,एक कमंडल,कुछ रटे रटाये श्लोक ,कबीर ,तुलसी के कुछ दोहे.बस काम शुरू.हो सके तो एक चेली पाल लो बाद में तो सब दोडी चली आएगी.जिस गाँव में असफल रहे हैं वहीं उसी गाँव के बाहर जंगल में धुनी ,अखाडा,आश्रम.डेरा खोल्दो.काम शुरू.लेकिन डर भी लग रहा है.इन दिनों बाबाओं की जो हालत हो रही है वो किसी से छिपी हुई नहीं हैं.कई बाबा जेल में है कई जेल Novels अफसर का अभिनन्दन कामदेव के वाण और प्रजातंत्र के खतरे यशवन्त कोठारी होली का प्राचीन संदर्भ ढूंढने निकला तो लगा कि बसंत के आगमन के साथ ही चारों तरफ कामदेव अपने वा... More Likes This मोहब्बत की दास्तान - 1 by Vishal Saini शोसल मीडिया और भगवत प्रसाद - 1 by saif Ansari हास्यास्त्र भाग–१ by Bhaveshkumar K Chudasama थ्री बेस्ट फॉरेवर - 1 by Kaju मैं मंच हूँ by Dr Mukesh Aseemit प्यार बेशुमार - भाग 8 by Aarushi Thakur राज घराने की दावत..... - 1 by puja More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories