यह कहानी "बिटिया थोड़ी बड़ी हो गयी है" में राजनीति, जीवन, प्यार और समाज के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया गया है। 1. **राजनीति की भूमिका**: कवि राजनीति से अपील करता है कि वह किसानों, युवाओं और बेरोजगारों के लिए कुछ सकारात्मक करे। राजनीति को चक्रव्यूह या बाधा नहीं, बल्कि विकास का साधन बनना चाहिए। इसमें सड़कें, बिजली, विद्यालय, और अस्पताल बनाने की बात की गई है, ताकि समाज में एकता और प्रगति हो। 2. **जीवन का सफर**: जीवन के अनुभवों को दर्शाते हुए बताया गया है कि कैसे जीवन बिना किसी पूर्व सूचना के आगे बढ़ता है। यह प्यार, ज्ञान और अनुभवों के माध्यम से जीवन की जटिलताओं को उजागर करता है। 3. **प्यार की परिकल्पना**: प्यार को स्थिर नहीं, बल्कि गतिशील बनाए रखने की सलाह दी गई है। प्यार को स्वतंत्रता दी जाए ताकि वह फल-फूल सके। 4. **आत्ममंथन**: कवि अपनी भावनाओं के प्रति सजग है और लिखते समय अपने मन की स्थिति को व्यक्त करता है। वह खुशी का अनुभव करता है, जो उसके जीवन के छोटे-छोटे पलों में छिपी है। 5. **पर्यावरण और समाज की स्थिति**: अंत में, कवि प्राकृतिक और सामाजिक समस्याओं का जिक्र करता है, जैसे कि बर्बाद होती खुशियाँ, नष्ट होती संस्कृतियाँ, और विभाजित होते देश। यह सभी मुद्दे समाज में व्याप्त उदासी और भ्रष्टाचार को भी उजागर करते हैं। कुल मिलाकर, यह कहानी समाज के विभिन्न पहलुओं को छूते हुए एक गहरी सोच और संवेदनशीलता को दर्शाती है। बिटिया थोड़ी बड़ी हो गयी है (अप्रैल २०१९) by महेश रौतेला in Hindi Poems 948 2k Downloads 9.9k Views Writen by महेश रौतेला Category Poems Read Full Story Download on Mobile Description बिटिया थोड़ी बड़ी हो गयी है(अप्रैल २०१९)१.थोड़ा बड़ा कर दो राजनीतिकि ठंडी ,बेहद ठंडी रातों मेंकिसान उसे ताप सकें।जवान उसे जी सकेंबेरोजगार उसे पा सकें,शिक्षा उसे माप सके।ओ राजनीति चक्रव्यूह न बनगीत का संगीत बन,राह की कीचड़ न बन।कहीं सड़क बना दे,कहीं बिजली जला दे,कहीं पेड़ लगा दे,कहीं विद्यालय खुला दे,अस्पताल की नींव सजा दे,देश पर प्रहार न कर,लोगों को विभक्त न कर।२.जिन्दगी कहाँ से कहाँ निकल जाती है,बिना पूछे,आवाज देती है,पूछो तो चुप रहती है।कहासुनी जो होती हैविचार-विमर्श जो रहता है,ज्ञान-विज्ञान जो चलता है,जिन्दगी के इर्दगिर्द नाचता है।प्यार का सपना बनता है,बनकर टूट जाता है,बातें छोटी-बड़ी होती हैं,और जिन्दगी More Likes This जिंदगी संघर्ष से सुकून तक कविताएं - 1 by Kuldeep Singh पर्यावरण पर गीत – हरा-भरा रखो ये जग सारा by Poonam Kumari My Shayari Book - 2 by Roshan baiplawat मेरे शब्द ( संग्रह ) by Apurv Adarsh स्याही के शब्द - 1 by Deepak Bundela Arymoulik अदृश्य त्याग अर्धांगिनी - 1 by archana ग़ज़ल - सहारा में चल के देखते हैं - प्रस्तावना by alka agrwal raj More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories