यह कहानी बेगवती नामक एक महिला के जीवन की है, जो अपने दो सफल बेटों और एक संवेदनशील बेटी की माँ है। उसकी ज़िंदगी में एक समय ऐसा आया जब वह अकेलेपन का सामना करती है और मानसिक रूप से अस्वस्थ हो जाती है। उसका बड़ा बेटा जयन्त एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता है और शहर में रहता है, जबकि बेटी अर्चिता अपनी ससुराल में खुश है। इसके विपरीत, उसका छोटा बेटा अचानक गायब हो जाता है, जिससे परिवार में और भी तनाव बढ़ जाता है। बेगवती के घर में शांति का माहौल है, लेकिन उसकी जेठानी फूलवती के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं। दोनों के बीच द्वेष और अहंकार की भावना है, जो समय के साथ बढ़ती गई है। फूलवती एक मेहनती और भोली-भाली महिला है, जो अपने सास-ससुर की प्रिय बहू रही है। उसने परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने में हमेशा तत्परता दिखाई है, जिससे उसे समाज में सम्मान मिला है। कहानी में यह भी बताया गया है कि फूलवती के देवर खेती में काम करते हैं, लेकिन परिवार में शिक्षा को लेकर दृष्टिकोण में भिन्नता है। कहानी इस बात को उजागर करती है कि कैसे परिवारों में संबंधों के उतार-चढ़ाव और व्यक्तिगत संघर्षों का सामना करना पड़ता है। बोए पेड़ बबूल के by Dr kavita Tyagi in Hindi Short Stories 2.5k 4.1k Downloads 26.7k Views Writen by Dr kavita Tyagi Category Short Stories Read Full Story Download on Mobile Description वर्तमान समय की भोगवादी-बाजारवादी संस्कृति में, गांव हो अथवा शहर, प्रत्येक व्यक्ति अर्थ के पीछे भागमभाग है । इस भागमभाग में स्वार्थ प्रबल है तथा संबंध दुर्बल होते जा रहे हैं । परंतु आज जो यह पुष्पित-पल्लवित वृक्ष के रूप में दिखाई पड़ रहा है, इसका बीज कई पीढ़ियों पहले पड़ गया था । प्रस्तुत कहानी इसी मर्म को आधार बनाकर सृजित की गई है कि जिन बच्चों के समक्ष माता-पिता बच्चों के लिए अथवा अपने किसी स्वार्थ के लिए अपने कर्तव्य से विमुख होते हैं, उन बच्चों के अबोध बाल मन रूपी कोरी स्लेट पर वह सब अंकित हो जाता है और उनका उसी प्रकार का चरित्र बन जाता है । उनकी बढ़ती आयु के साथ-साथ वह रंग गहरा और चमकदार होता जाता है । बोए पेड़ बबूल के कहानी में इसी तथ्य को दर्शाया गया है कि जिन माता-पिता के बच्चे माता-पिता को कर्तव्य पथ पर चलते देखते हैं, कष्टकारक जीवन जीते हुए भी उनमें मानवता का हास नहीं होता है, जबकि....। More Likes This यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) by Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 by Soni shakya शनिवार की शपथ by Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई by Devendra Kumar Age Doesn't Matter in Love - 23 by Rubina Bagawan ब्रह्मचर्य की अग्निपरीक्षा - 1 by Bikash parajuli Trupti - 1 by sach tar More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories