अधूरी हवस

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(1)पार्ट प्यार बारे मे कई ग्रंथ लिखे गए, हर ग्रंथ मे प्यार को अलग एंगल से देखा गया, ओर पढ़ने वालो ने भी अपनी अपनी सुहलयत से उसे अपनाया, कई रिश्तों मे प्यार विवाहिक जीवन के बाद हुवा तो कोई, शादी से पहेले वाला प्यार, पर प्यार कभी किसीका पूरा नहीं हुवा, अधूरा ही रहा तभी तो प्यार का शब्द हो ही अधूरा लिखा है, कुछ ऎसी ही कहानी मे आज लाया हू समाज के हिसाब से ये शायद सावधान इंडिया का एपिसोड बन सकता है, या एक अधूरी प्रेम कहानी ये आपकी सोच पे निर्भर करता है...

Full Novel

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अधूरी हवस

(1)पार्ट प्यार बारे मे कई ग्रंथ लिखे गए, हर ग्रंथ मे प्यार को अलग एंगल से देखा गया, ओर वालो ने भी अपनी अपनी सुहलयत से उसे अपनाया, कई रिश्तों मे प्यार विवाहिक जीवन के बाद हुवा तो कोई, शादी से पहेले वाला प्यार, पर प्यार कभी किसीका पूरा नहीं हुवा, अधूरा ही रहा तभी तो प्यार का शब्द हो ही अधूरा लिखा है, कुछ ऎसी ही कहानी मे आज लाया हू समाज के हिसाब से ये शायद सावधान इंडिया का एपिसोड बन सकता है, या एक अधूरी प्रेम कहानी ये आपकी सोच पे निर्भर करता है, राज ...Read More

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अधूरी हवस - 2

(2)पार्ट सबसे पहेले मे आप सब पढ़ने वालो का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हू, आप ने मेरी कहानी को इनता प्रतिसाद दिया. ?????????????________________________________________ आगे आपने पढ़ा की राज ओर मिताली की मुलाकात के बारे मे केसे दोनों मिले, ओर हम कहानी को आगे बढ़ाएंगे राज अपनी फेक्टोरी पे कुछ कम निपटाता है पूरे दिन नहीं आने की वजह से काम का लोड बढ़ गया था, देर रात होने के वजह से थक भी गया था, राज ने ऑफिस मे ही रेस्ट रूम बनाया हुवा था तो वोह तो बेड पे फेल गया मोबाइल चार्ज ...Read More

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अधूरी हवस - 3

राज अपने अतीत के पन्ने खोलता हे मिताली के सामने ओर मिताली को भी बड़ी उत्सुकता होती ही जानने अखिर ऎसा क्या राज हे राज की लाइफ मे जो लोग उसे हवस का पुजारी मानते हे, पर राज मे अकेला जिम्मेदार नहीं हु कुछ कमाल तो आप मोहतरमाओ का भी हे कहे रहा था तो जानते हे आगे की कहानी राज ओर मिताली की राज ने कहा हर बार भंवरे पर ही क्यो हाथ उठाया जाता है, फुलो को मासूमियत से ही देखा जाता है, दोष फूल का होता हे फिरभी दगा बाज भँवरे ही हुवा, एक कली को ...Read More

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अधूरी हवस - 4

(4) जब इंसान प्यार मे होता है तो उसे पूरी दुनिया मेघधनुष की तरह सप्‍टरंगी लगती है, पर जेसे वो प्यार कही खो जाता है, तो पूरी दुनिया उन्हे दुश्मन लगती है, कई तो अपने आप को ही बर्बाद करने मे जुट जाते हे, परिस्थियो मे अपना आपा खो देते हैं, बहुत कम लोग खुद को समजदारी से बाहर निकल पाते हैं, कुछ ऎसा ही राज का नेचर हो गया था तो, आओ देखे कहानी आगे कहा जाती हे हमे लेके. राज :हा मेरी खुशी मेरी ...Read More

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अधूरी हवस - 5

राज को पता चलता है कि खुशी पहेले से ही शादी शुदा है तो, राज के पेर तले से खिसक जाती है, जेसे किसीने उसका कत्ल कर दिया हो वैसी स्थिति हो जाती है पर जेसे तेसे कर के अपने आप को संभालता है और खुशी की बात सुनता, तो चले आगे बढ़ते हैं कहानी मे राज आखिर क्या फेसला करता है खुशी : हा तुमने सही सुना मेरी शादी को पूरे ૪ साल हो गये हैं, आकाश के साथ मध्यम परिवार मे मेरी शादी हुई है, बहोत ...Read More

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अधूरी हवस - 6

(6) आपने आगे कहानी मे पाढा की खुशी ने राज से पूरी सच्चाई बताई की वोह कौनसी वजह से को बताये बिना चली गई थी और और अब राज भी कुछ भी बोले बिना खुशी के पास से चला गया ये बात मिताली को बताता है , मिताली :क्या तुम ऎसे ही वहा से चले आए? कुछ देर रुक कर खुशी खुशी से वहा से नहीं निकल सकते थे? तुम जेसे लोग वेसे भी पत्थर दिल ही होते हैं रिस्तों को आधे मोड़ पे छोड़ कर ...Read More

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अधूरी हवस - 7

(7) राज मिताली के फोन के बाद सोचता है, अखिर कर मिताली मुजसे क्यू मिलना चाहती है?, ए भी की तरह पहेले भाव खाती है बाद मे अपने असली रंग दिखाती है एसी ही लगता हे, जो हर एक लड़की को चाहिए प्यार के नाम से शुरू करके जिस्म को खुश किया करते हैं, और इल्ज़ाम मुहोबत मे बेवफाई को मिलता है हर बार, अगर जिस्म पाना ही मुहोबत होती तो राधा श्याम की गाथा नहीं गाई जाती, मुहोबत सबको उसके जेसी चाहिए तो सही पर बिस्तर पर खत्म हो क्यू जाती है, राज के फोन की घंटी बजती ...Read More

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अधूरी हवस - 8

(8) प्यार पाने के लिए अपनी एक पात्रता होती है और यह पात्रता आप अर्जित नही कर सकते इसको डेस्टनी निर्धारित करती है। अंक भर स्नेह को समेटने के लिए असीमित आकाश सा मन और जल सी तरलता चाहिए होती है। दुनिया मे बहुत सा प्यार पात्रता के अभाव में यूं ही अनिच्छा के पतनालों से बह जाता है वो ना ही धरती की प्यास बुझाता है और न समन्दर का जलस्तर बढ़ा पाता है। राज तय की गई जगह पर पहुंच जाता है, जेसे ही कार पार्क करता बाहर निकालता है, सामने से मिताली आती हुई नज़र ...Read More

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अधूरी हवस - 9

(9) (आगे आप सब ने कहानी मे देखा कि मिताली राज के साथ रिश्ता रखने वाली लड़की से बात हैं और उसे दुनिया की एक कड़वी सच्चाई सामने आती है, और अचम्भे मे रहे जाती है, राज भी उसे और लड़कीयों के नंबर दे जाता है बात करके तसल्ली के लिए अब आगे ) राज ओर मिताली के बीच मे तीन चार दिन बात नहीं होती है, इधर राज मिताली को याद करता है कि बात करू या ना करू मिताली से राज को मिताली जब मिलने आयी थी तब का वोह दृश्य बार बार सामने आ जाता था ...Read More

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अधूरी हवस - 10

(10) दूसरे दिन सुबह मिताली का एसएमएस की जगह फोन ही आ गया राज की आंख मिताली की आवाज ही खुली, राज ने बिना देखे ही फोन उठा लिया था, मिताली : ओह अभी तक बेड मे पड़े हुवे हो कोई जगाने वाला नहीं है तो कुम्भ कर्ण की तरह पड़े हुवे हो उठो काम पर नहीं जाना, (राज को मिताली की आवाज सुनते ही होठों पे मुस्कान की लहरे दोड़ उठी) राज : क्या बात है इतनी सुबह सुबह सीधा कोल? मिताली : सुबह नहीं है उठो देखो दोपहर होने को आई है, रोज का यह ही टाईम ...Read More

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अधूरी हवस - 11

(11) मिताली राज को गले लग के रोने लगती है और राज को कुछ भी समज ही नहीं आता हो रहा है, और मिताली क्यू ऎसा कर रही है, राज मिताली को कहता है सब देख रहे हैं यहा, क्या हुवा मुजे बताओ क्यू रो रही हो,? राज की बातों का कुछ असर मिताली पर नहीं पड़ता वोह रोये जा रही थी और और बाहों का घेरा और मजबूत किया जा रही थी, राज ने हार कर मिताली के माथे पे अपना हाथ पसारते हुवे सहला ने लगा, मिताली तो मानो छोटी बच्ची के माफी रो रही थी, उस ...Read More

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अधूरी हवस - 12

(12) वास्तविक प्रेम कर पाना बहुत कठिन होता है जब आप दूसरी बार प्रयास कर रहे हो...! या यूं असंभव... *********************************** मिताली अपने गाव पहूँच जाती है, जेसे ही घर पर पहुँचती है, पहेले कॉल राज को ही करती है. मिताली : पहुच गई हू ठीक से. राज : ठीक है आराम करो सफर मे थक चुकी होगी. मिताली : हा बहोत ही वेसे तो स्लीपर थी पर नीद पूरी नहीं हुई. राज : क्यू नहीं हुई? मिताली : आपकी वजह से. राज : मेरी वजह से केसे? मेंने अब क्या किया? मिताली : सब आपका ही तो किया ...Read More

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अधूरी हवस - 13

(13) राज : ठीक थोड़ी देर चाय कॉफी पीके बाद मे निकलेंगे मिताली : थक गए होंगे ना? राज नहीं तो मुजे आदत है, तो कोई फर्क़ नहीं पड़ता. वेसे भी रास्ता अच्छा है तो पता नहीं चलाता. मिताली : हा तो खामखा हीरो गिरी झाड़ने मे मत रहना रास्ता अच्छा हे तो कर लिमिट मे चलाना, हा तो पता हें मुजे आप कितना तेज चलाते हैं हो इसीलिए मे कहीं भागे नहीं जा रही, यही पर हू इसी लिए बोल रही हू, जरा आकाश भैय्या को फोन दीजिए, राज : क्यू क्या काम हे? मिताली : आप दीजिए ...Read More

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अधूरी हवस - 14

(14) कहानी आगे बढ़ाते हैं, राज और आकाश 600km की सफर करके थके हारे सो जाते हैं, ******* उधर मिताली को कुछ सूज ही नहीं रहा क्या करे राज के मिलन की वोह बावरी हो जा रही है, घर के काम निपटाने की जल्दी हे उसे, घर के रेडियो पे गाना बज रहा है "सजना हे मुजे सजना के लिए......." जेसे उसके दिल की फर्माइश रेडियो वालो को पता चल चुकी हो, ग्यारह कब बजे और कब राज से बात हो, बार बार घड़ी की और देखे जा रही है, एक एक पल सदियों सा लगता है, जेसे घड़ी ...Read More

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अधूरी हवस - 15

(15) राज और आकाश जा रहे होते हैं तभी कार मे छोटा सा हादसा हो जाता है, सड़क भी हे परिंदा भी पर नहीं मारता एसी जगह पर कार खराब हो जाती है, कर के नीचे बड़ा सा पत्थर टकरा जाता है और आकाश कार का बड़ी मुश्किल से कंट्रोल कर ता हे. अब मुस्किल ये थी कि अब क्या करे तभी मिताली का फोन आता है, तब राज सारी बात बताता है, और मिताली की तो साँसे ही रुक जाती है, पर राज उसे बताता है, हमे कुछ भी नहीं हुवा स्वास्थ्य हे तब जाके थोड़ा शांत ...Read More

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अधूरी हवस - 16

(16) रात बारा बजे मिताली का फोन आता है, वेसे तो आखिरी बार बात शाम को हुई थी बाद मे उसका फोन ही बंध आता था, तो बाद मे बात हुई ही नहीं थी. मिताली : आप कल के कल आयेंगे या मे वहा आ रही हू, मे अब यहा रहे ना ही नहीं चाहती. राज : तुम शांत हो जाओ पहेले रोना बंध करो बिल्कुल चुप हो जाओ। मिताली : नहीं पहेले बताये आप आ रहे हैं? या मे वहा आजाऊँ? राज : हा मे आजाता हू पर हुवा क्या? ये तो मुजे बताओ? मिताली : आप को ...Read More

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अधूरी हवस - 17

किसी भी प्रेम का जन्म होता है, बाहरी आकर्षण से, वासनाओ से पर जब हम प्रेम की गहराई में चले जाते है, तब धीरे-धीरे समस्त वासनाये तिरोहित होने लगती है, और हम आत्मीय रूप से इतने सम्पूर्ण हो जाते है की फिर कोई चाह, आकांक्षा, वासना के लिए स्थान ही नही रह जाता। _________________________________ मिताली राज को खुलासा करती है वोह अपनी सारी जिंदगी राज के साथ ही बिताना चाहती है,अब पढ़ेंगे आगे कहानी मे ********************************** मिताली : जब कोई और रास्ता ही निकाल रहे हो तो मेरे पास कोई विकल्प ही नहीं बचता. राज : जब एक रास्ता ...Read More

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अधूरी हवस - 18

गुस्सा आने की वजह से राज अपना फोन को दीवार पर फेंकता है, और फोन टूट जाता है, उधर राज को बार बार फोन पर फोन ही बंध आने की वजह से परेशानी से अपना आपा खो देती है, आकाश को बोल कर राज से बात करवाने को कहती हैं, आकाश राज के घर दोनों जगह जाके पता करता है,तो पता चलता है वोह तो शहर से बाहर गया हुवा होता है, मिताली ने अपने सभी तरीके से समझाने के बावजूद भी राज मिताली की एक भी बात नहीं मानी ये बात ने मिताली को हिला के रख दिया ...Read More

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अधूरी हवस - 19

तुम्हे क्या लगता है तुम्हारा प्रेमी या प्रेमिका तुमसे प्रेम करते हैं नहीं वह प्रेम तो स्वयं से भी करते फिर भला तुमसे कैसे करेंगे, तुम जिसे प्रेम समझते हो वह अपने भीतर के सूनेपन को भरने की एक क्रियाभर है और तुम उसके लिये एक साधनभर हो। ************************************************* कहानी मे आगे आपने पढ़ा कि मिताली आत्महत्या की कोशिश की .. पर राज टस से मस नहीं होता अखिर राज के दिमाग में क्या चल रहा होता है, राज मिताली से बात करने की कोशिश करता रहता है, पर दो दिन बाद मिताली का कोल लगता है, राज ...Read More

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अधूरी हवस - 20

Part 20 राज ने बडी ही मुश्किल से मिताली की शादी मे जाने का फेसला कर लिया, राज अपनी लेके अकेले ही मिताली के गाव की और रात को ही निकल चला, दूसरे दिन मंडप और संगीत था तो अगली रात को निकले तभी वोह अटेंड कर पाता. पूरी रात ड्राइविंग करके अगली सुबह मिताली के गाव पहुंचा, जेसे ही उसके घर के आगे राज ने अपनी कार खडी की अंदर से किसीने आवाज दी होगी या शायद, मिताली को महसूस हुवा होंगा की राज की आहट का, वोह तुरंत भागते हुवे अपने कमरे से बाहर आई कार के ...Read More

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अधूरी हवस - 21

अलमारी के ऊपर के बर्तन नीचे गिरते हैं, ओर उसकी आवाज से राज ओर कविता दोनों नींद मे से जाते हैं, दोनों को हडबडी मे जागते देख मिताली की जोर से हसी निकल आती हैं, राज : क्या हुवा?.. साथ मे कविता भी क्या हुवा? मिताली : कुछ नहीं बिल्ली रानी थी. राज : तुम जाग रही हो? कितने बजे? आके मुजे जगाने वाली थी जगाया नहीं? मिताली : हा नींद नहीं आ रही थी, चार बजने को आए हैं, और आप अच्छी नींद मे सो रहे तो जगाने का दिल नहीं किया. कविता : अरे तू तो नहीं ...Read More

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अधूरी हवस - 22

राज का नशे मे रहने का अब रोज का हो जाता है, ना अपने दोस्त को भी कुछ है, अपने अंदर ही अंदर सब बाते दबा के रखता है, ऑफिस फैक्ट्री सब जगहों पर जाता तो हे पर काम पर ठीक से ध्यान ही नहीं देता, लाख पूछने पर किसीको कुछ नहीं बताता, उसके दिल मे आता तो किसीकी बात का जबाव देता वर्ना सर के इशारे से मुंडी हिला देता. राज का ऎसा बर्ताव सबको खाए जा रहा था, पर कोई कुछ नहीं कर सकता था, उसने अब डायरी को अपनी सारी बाते बताने लगा था, देर रात ...Read More

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अधूरी हवस - 23

अचानक से दो साल गुजर जाने के बाद मिताली का कोल आता है राज के ऊपर. मिताली :हैलो, केसे (आवाज सुन कर चौक जाता है, वोह तुरंत पहचान जाता है.) राज : हा हैलो, बहोत बढ़िया हू, तुम बताओं? तुम केसी हो, सब ठीकठाक तो हे ना? (हस्ते हुवे) मिताली : हा बाबा सब ठीक ठाक है,आपने तो आपना सेल नंबर ही बदल दिया था? नाता ही तोड़ दिया हमसे क्या इतने बुरे तो हम थे नहीं. राज : नहीं एसी बात नहीं है, उस वक़्त के हालात ऎसे थे जरूरी था. कहा से नंबर मिला? मिताली : बात ...Read More

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अधूरी हवस - 24 - अंतिम भाग

मिताली बहोत ही उत्सुक होती है, डायरी को लेकर पढ़ने ही तलब लगी थी उसे वोह अपने आप को नहीं पाई पल भर के लिए भी और वोह डायरी पढ़ने बेठ जाती है. डियर मिताली.. में ये सारी बाते क्यू और किस लिए लिख रहा हूँ? ये मे खुद भी नहीं जानता, और नहीं पता हें के तुम उन्हें कभी पढ़ भी पाओगी या नहीं? पर जो लावा मेरे सीने मे धधक रहा हे जो कई दिनों से तुम्हें कहे बिना जो कई बाते तुमने मुजसे पूछने पर भी मे खामोश सा रहा था वोह बाते मे ...Read More