काला घोड़ा - रहस्य का दरवाज़ा

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अध्याय 1 : दूसरा जन्म ठंडी हवा गाँव के बाँस के झुरमुटों को चीरती हुई आगे बढ़ रही थी। रात का सन्नाटा इतना गहरा था कि जैसे धरती खुद अपनी साँस रोक कर खड़ी हो। दूर कहीं किसी कुत्ते के भौंकने की आवाज़ आई और फिर अचानक — ठक… ठक… ठक… घोड़े की टापों जैसी आवाज़ गूँजने लगी। गाँव वाले अपनी झोपड़ियों में दुबके हुए थे। कोई दरवाज़ा खोलने की हिम्मत नहीं करता था। सभी को मालूम था कि यह आवाज़ उसी काले घोड़े के स्मारक की तरफ़ से आती है, जहाँ दशकों से कोई भी जाने की हिम्मत नहीं करता था। लेकिन इस जन्म में जिसे सब रानी लिली कहते थे, उसके मन में एक अजीब बेचैनी थी। उसे लगता था कि यह आवाज़ सिर्फ़ उसे ही बुला रही है — जैसे कोई पुराना परिचित उसे पुकार रहा हो।

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काला घोड़ा - रहस्य का दरवाज़ा - भाग 1

काला घोड़ा रहस्य का दरवाज़ा भाग 1अध्याय 1 : दूसरा जन्मठंडी हवा गाँव के बाँस के झुरमुटों को चीरती आगे बढ़ रही थी। रात का सन्नाटा इतना गहरा था कि जैसे धरती खुद अपनी साँस रोक कर खड़ी हो। दूर कहीं किसी कुत्ते के भौंकने की आवाज़ आई और फिर अचानक — ठक… ठक… ठक… घोड़े की टापों जैसी आवाज़ गूँजने लगी।गाँव वाले अपनी झोपड़ियों में दुबके हुए थे। कोई दरवाज़ा खोलने की हिम्मत नहीं करता था। सभी को मालूम था कि यह आवाज़ उसी काले घोड़े के स्मारक की तरफ़ से आती है, जहाँ दशकों से कोई भी ...Read More

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काला घोड़ा - रहस्य का दरवाज़ा - भाग 2

काला घोड़ा — रहस्य का दरवाज़ा (भाग 2)लेखक – राज फुलवरेअंदर का रहस्यलिली जैसे ही नीली रोशनी वाले प्राचीन के पास पहुँची, उसके भीतर एक हल्का कंपन दौड़ गया।दरवाज़ा खुद-ब-खुद धीमी गुर्राहट के साथ खुला—और भीतर बैठा हुआ एक विशाल, चमकती शल्कों वाला साँप प्रकट हुआ।उसकी आँखें अंगारों की तरह चमक उठीं।उसकी आवाज़ गहरी, भारी, और कहीं दूर गूँजती हुई जैसी थी—“बहुत देर से तुम्हारा इंतज़ार था…आओ, पास आओ… मत डरना।मैं तुम्हारे अतीत का रक्षक हूँ।यह मणि छू लो…तुम्हें तुम्हारा पिछला जन्म याद आ जाएगा…”लिली का गला सूख गया, दिल तेजी से धड़क रहा था।वह काँपते हाथ से आगे ...Read More