Pahli Baar..... Tum

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लाइब्रेरी हमेशा से उसकी पनाहगाह थी—एक ऐसी जगह जहाँ किताबों की ख़ामोशी में उसे अपनी धड़कनों की आवाज़ भी धीमी लगने लगती थी, और जहाँ वो अपने डर, अपनी हिचक, और अपनी छोटी-छोटी कमियों को दुनिया से छुपाकर कुछ देर के लिए भूल सकती थी। लेकिन उस दिन… उसकी ये ख़ामोशी अचानक टूट गई। वो ऊपर वाली शेल्फ से अपने नोट्स निकालने की कोशिश कर रही थी। उंगलियाँ पहले ही घबराहट से थरथरा रही थीं, और पन्नों के किनारे उसके हाथों की कंपकंपी को जैसे चुपचाप देख रहे थे। और फिर—

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Pahli Baar..... Tum - Part 1

लाइब्रेरी हमेशा से उसकी पनाहगाह थी—एक ऐसी जगह जहाँ किताबों की ख़ामोशी में उसे अपनी धड़कनों की आवाज़ भी लगने लगती थी, और जहाँ वो अपने डर, अपनी हिचक, और अपनी छोटी-छोटी कमियों को दुनिया से छुपाकर कुछ देर के लिए भूल सकती थी।लेकिन उस दिन… उसकी ये ख़ामोशी अचानक टूट गई।वो ऊपर वाली शेल्फ से अपने नोट्स निकालने की कोशिश कर रही थी।उंगलियाँ पहले ही घबराहट से थरथरा रही थीं, और पन्नों के किनारे उसके हाथों की कंपकंपी को जैसे चुपचाप देख रहे थे।और फिर—धड़ाम…!उसके हाथ से सारी किताबें फिसलकर ज़मीन पर गिर पड़ीं।पूरी लाइब्रेरी में एक पल ...Read More