रात के करीब नौ बजे थे। सड़कें हल्की पीली रोशनी में डूबी हुई थीं और शहर की हवा में सर्दी की नमी घुली थी। विशाल, हल्के नशे में भी अपनी गाड़ी संभालने की पूरी कोशिश कर रहा था। उसकी नज़रें आगे के रास्ते पर थीं, मगर पास की सीट पर बैठी उसकी पत्नी मनु ने उसकी एकाग्रता को जैसे चुनौती दे रखी थी। हंसी और शरारत से भरी मनु , अपने पैरों से विशाल के गालों को हल्के-हल्के छेड़ रही थी। हर बार जब उसका पैर छूता, विशाल की सांसें गहरी हो जातीं और भौंहें सिकुड़ जातीं।
वाह साहब ! - 1
रात के करीब नौ बजे थे। सड़कें हल्की पीली रोशनी में डूबी हुई थीं और शहर की हवा में की नमी घुली थी। विशाल, हल्के नशे में भी अपनी गाड़ी संभालने की पूरी कोशिश कर रहा था। उसकी नज़रें आगे के रास्ते पर थीं, मगर पास की सीट पर बैठी उसकी पत्नी मनु ने उसकी एकाग्रता को जैसे चुनौती दे रखी थी। हंसी और शरारत से भरी मनु , अपने पैरों से विशाल के गालों को हल्के-हल्के छेड़ रही थी। हर बार जब उसका पैर छूता, विशाल की सांसें गहरी हो जातीं और भौंहें सिकुड़ जातीं।“स्टॉप इट, मनु … ...Read More
वाह साहब ! - 2
अगले दिन :सुबह करीब 10 बजे की धूप परदे की दरारों से अंदर झांक रही थी, तभी विशालका फोन और उसकी नींद टूटी। उसने आधी बंद आंखों से फोन उठाया….“हां मयूर … मेरे आज के सारे प्लांस कैंसल करो, आज थोड़ा लेट आऊंगा। मनु को एयरपोर्ट छोड़ना है, वो अपने मम्मी-पापा से मिलने जा रही है। अच्छा ठीक है, ब बाय…”इतना कहकर उसने फोन रख दिया।पास ही मनु अब भी चादर में लिपटी बच्चे की तरह मुस्कुरा रही थी। विशाल उसकी तरफ झुका और बोला….“मैडम, अब उठ जाइए… वरना फ्लाइट निकल जाएगी।”मनु ने आंखें खोलीं और शरारती लहजे में ...Read More