मुझे सूर्यास्त के बाद कभी भी नींद नहीं आती। रात की चादर ओढ़कर बैठ जाना मेरे लिए आसान है। कभी पुराना अखबार लेकर घंटों पढ़ता हु।मेरे मकान की दीवारों पर एक भी तस्वीर नहीं लगी हुई। यानी मेरा कोई भी नहीं है।हो सकता है की मेरा कोई रिश्तेदार कही अस्तित्व में हो, जिसे मैं आजतक कभी मिला नहीं हु। मिलना आसान होता है क्या? किसी ऐसे इंसान को जिसे आप जानते तक नहीं हो।अब मुझे ही देख लीजिए, कहां जानते है आप मुझे। क्या पता है मेरे बारे में; यही न की मैं सूर्यास्त के बाद कभी नहीं सोता |
कुछ यूं हुआ - 1
मुझे सूर्यास्त के बाद कभी भी नींद नहीं आती। रात की चादर ओढ़कर बैठ जाना मेरे लिए आसान है। पुराना अखबार लेकर घंटों पढ़ता हु।मेरे मकान की दीवारों पर एक भी तस्वीर नहीं लगी हुई। यानी मेरा कोई भी नहीं है।हो सकता है की मेरा कोई रिश्तेदार कही अस्तित्व में हो, जिसे मैं आजतक कभी मिला नहीं हु। मिलना आसान होता है क्या? किसी ऐसे इंसान को जिसे आप जानते तक नहीं हो।अब मुझे ही देख लीजिए, कहां जानते है आप मुझे। क्या पता है मेरे बारे में यही न की मैं सूर्यास्त के बाद कभी नहीं सोता या ...Read More
कुछ यूं हुआ - 2
रात के ग्यारह बज चुके हैं।मैं अपने वीरान मकान में बेड पर पड़ा हु। फ़टाके बज रहे हैं। उनकी बहुत तीव्र आवाजे जानवरों को विचलित कर रही हैं।मैं उस खाई से कैसे बचा आप लोगों को नहीं बताऊंगा। क्योंकि आपने मुझे इतना चिल्लाने पर भी हाथ नहीं दीया था।जानते हैं कितनी गंभीर बाब थी ये। अरे मैं उस गहरी खदान में समा भी सकता था। अकेला किसी को पता भी न चलता, सिवाय आपके।लेकिन आप को क्या। बस हादसे चाहिए, कोई भी आम आदमी वहां मर सकता था। मर सकता था, पर क्या मैं मर सकता हु?मेरा बस इतना ...Read More