मुंबई की शाम हमेशा किसी फिल्म के सेट जैसी लगती थी। ऊँची बिल्डिंग्स की चमकती खिड़कियाँ, गाड़ियों का लगातार शोर, और बीच-बीच में समुद्र की आवाज़। उसी समुद्र किनारे खड़ी थी आयरा मेहता। उसके हाथ में एक छोटी सी डायरी थी, जिसमें वो अपनी अधूरी कहानियाँ लिखती थी। हर पन्ने पर अधूरे ख्वाब, अधूरी बातें और वो सबकुछ जिसे वो कह तो नहीं सकती थी, मगर लिख सकती थी। बारिश की हल्की बूँदें उसके बालों से फिसलकर चेहरे पर गिर रही थीं। वो आंखें मूँदकर उस एहसास को महसूस कर रही थी। तभी एक काली मर्सिडीज़ उसके पास आकर रुकी।
Whispers in the Dark - 1
मुंबई की शाम हमेशा किसी फिल्म के सेट जैसी लगती थी। ऊँची बिल्डिंग्स की चमकती खिड़कियाँ, गाड़ियों का लगातार और बीच-बीच में समुद्र की आवाज़।उसी समुद्र किनारे खड़ी थी आयरा मेहता। उसके हाथ में एक छोटी सी डायरी थी, जिसमें वो अपनी अधूरी कहानियाँ लिखती थी। हर पन्ने पर अधूरे ख्वाब, अधूरी बातें और वो सबकुछ जिसे वो कह तो नहीं सकती थी, मगर लिख सकती थी।बारिश की हल्की बूँदें उसके बालों से फिसलकर चेहरे पर गिर रही थीं। वो आंखें मूँदकर उस एहसास को महसूस कर रही थी। तभी एक काली मर्सिडीज़ उसके पास आकर रुकी। दरवाज़ा खुला ...Read More
Whispers In The Dark - 2
शहर में दिन का उजाला था, लेकिन अजीब-सी खामोशी फैली हुई थी। अचानक, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और हाइवे के कैमरों पर सीमा का चेहरा दिखने लगा। उसके पीछे का मैसेज साफ था—“शहर अब मेरा है।”अर्जुन और आयरा की सांसें तेज हो गईं। यह अलग-अलग जगहों पर एक साथ होने वाला साइबर-हमला था। सीमा ने अब सिर्फ डेटा सेंटर या बैंक नहीं, बल्कि पूरे शहर की धड़कन को निशाना बनाया था।“ये सामान्य हमला नहीं है,” अर्जुन ने गंभीरता से कहा। “ये जाल है। और ये जाल शहर के हर कोने में फैला है।”आयरा ने कांपते हुए कहा, “तो हम इसे ...Read More