आशिकी.....अब तुम ही हो।

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मां कमरे में बड़बड़ाते हुए दाखिल होती है ....ये लड़की पता नही कब सुधरेगी ...!! वंदना: 8 बज गए है । सूर्य देवता सर पर है ,पर राजकुमारी अभी तक सोई हुई है ( वो खिड़की का परदा हटाते हुए कहती है),.... श्रद्धा उठ जा 8 बज गए है । श्रद्धा (सोते हुए अंगराई लेते हुए) मां ,सोने दो ना, बस थोड़ी देर...!!! वंदना:(उसका हाथ खींचते हुए) श्रद्धा, तू भूल गई श्रीराधाकृष्ण मंदिर ,के पुजारी जी ने बुलाया था तुझे । श्रद्धा:(झट से आंखे खोलती हुई ) अरे! मैं तो भूल ही गई थी!! वंदना: चल उठ ! जल्दी नहा धोकर ...नीचे नाश्ता करने आ जा!!

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आशिकी.....अब तुम ही हो। - 1

My name is Vaishnavi Shukla...And this is my first story ....!!! कोई गलती हो तो माफ कीजियेगा !!!------------------------------------------------------------------परिचय: श्रद्धा ,उम्र २२ साल , हमारी कहानी की नायिका, सुंदर चेहरा ,और उस से भी सुंदर मन । किसी के बारे में बुरा नही सोचती । बेबाक स्वभाव ,गलत किसी भी कीमत पर बर्दास्त नही।पिता: अमृत शर्मा , एक जनरल स्टोर के मालिक , साधारण और शांत स्वभाव।माता:वंदना शर्मा, ग्रहणी। और पार्थ, उम्र १२ वर्ष उसका छोटा भाई ...(मस्ती की दुकान)ये है श्रद्धा की छोटी सी प्यारी सी....मिडिल क्लास फैमिली-----------------------------------------------------------------मां कमरे में बड़बड़ाते हुए दाखिल होती है ....ये लड़की पता नही ...Read More

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आशिकी.....अब तुम ही हो। - 2

अध्याय: २केशवनगर सोसाइटी: जहां श्रद्धा का परिवार रहता है । वहा के लोग भी श्रद्धा से बहुत प्यार करते !और क्यों न करे वो है भी इतनी प्यारी सबका दिल जीत लेने वाली !!!वैसे कुछ लोग ऐसे भी होते है जो आपको हमेशा नापसंद करते है !आप चाहे जितना अच्छा होले।।उनके साथ!!!!केशवनगर सोसाइटी में भी कुछ लोग है जो श्रद्धा से जलते है। आपकी मुलाकात जिनसे आगे होगी!!!(इधर श्रद्धा और प्रीति मंदिर पहुंचती है ! पहले वे राधाकृष्ण जी के दर्शन करती हैं ! फिर पुजारी जी के पास पहुंचती हैं!!)श्रद्धा: हरी काका !(पुजारी जी पीछे मुड़ते है)पुजारी जी: ...Read More

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आशिकी.....अब तुम ही हो। - 3

हमने पिछले अध्याय में देखा की ...पुजारी जी ने श्रद्धा को जन्माष्टमी के कार्यक्रम करने को कहा ...लेकिन श्रद्धा बन ने से इंकार करती है!!!अब आगे...!!!!अध्याय ३प्रीति:(हैरानी से) पर क्यूं?? हमेशा राधा तू ही तो बनती है !!श्रद्धा:प्रीति तू तो जानती है वो सोसाइटी की आंटियां....(कह ही रही होती है..की)प्रीति:(टोकते हुए) अरे...!! वो जलकुकड़िया...उनकी चिंता मत कर!!!श्रद्धा:प्रीति!!प्रीति: जलकुकड़िया ना कहूं तो क्या कहूं! हर समय सिर्फ जलन !वो सब चाहती है उनकी बेटियां राधा बने , जिनकी ना तो शक्ल है राधा जी बनने वाली और न ही हरकते!!..श्रद्धा:बस कर प्रीति ! शांत हो जा!!! (हरी प्रसाद से) काका ...Read More