धर्म और विज्ञान — दोनों ने मनुष्य को समझने की कोशिश की, पर दोनों ने जीवन को अधूरा देखा। विज्ञान ने ऊर्जा को वस्तु बनाया — उसे मापा, बाँधा, इस्तेमाल किया, पर उसकी धड़कन महसूस नहीं की। ऊर्जा उसके लिए शक्ति थी, जीवन नहीं। इसलिए उसकी खोजें उपयोगी तो हुईं, पर मनुष्य को थका गईं — क्योंकि वे गति तो देती हैं, पर दिशा नहीं।
Full Novel
मनुष्य का पुनर्जन्म - धर्म और विज्ञान के बीच - 1
भूमिका — 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲धर्म और विज्ञान —दोनों ने मनुष्य को समझने की कोशिश की,पर दोनों ने जीवन को देखा।विज्ञान ने ऊर्जा को वस्तु बनाया —उसे मापा, बाँधा, इस्तेमाल किया,पर उसकी धड़कन महसूस नहीं की।ऊर्जा उसके लिए शक्ति थी,जीवन नहीं।इसलिए उसकी खोजें उपयोगी तो हुईं,पर मनुष्य को थका गईं —क्योंकि वे गति तो देती हैं,पर दिशा नहीं।धर्म ने चेतना को ऊँचा रखा,पर ऊर्जा को नीचा समझ लिया।उसने कहा — शरीर बंधन है,इच्छा पाप है,ऊर्जा का नियंत्रण ही मुक्ति है।और यहीं उसने जीवन का प्रवाह रोक दिया।जब उसने ऊर्जा को दबाया,तब आनंद, स्वाभाव, और रचनात्मकतासब मुरझा गए।इन दोनों भूलों ...Read More