बदलती दुनिया में हम

(4)
  • 0
  • 0
  • 1.2k

मनुष्य की आर्थिक सम्पत्ति, उसका आचरण ही होता है। यदि आचरण ही मनुष्य से प्रतिछिन्न हो जाएगा , तो उसका जीवन एक कंटक के समान होगा। मुझे वह दिन भुला नहीं जाता जिस दिन मेरी मां कहती थी सो जा अब बहुत रात हो गई है मैं तारों का टिमटिमाना देख रहा था जो बेहद आकर्षक लग रहा था। शायद वह दिन कभी नहीं आएगा, लेकिन उसकी यादें सर्वत्र रहेगी। आज की दृष्टि से देखा जाये, तो वर्तमान समय बड़ा विचित्र लगता है।

Full Novel

1

बदलती दुनिया में हम - 1

️ रचना – बदलती दुनिया में हममनुष्य की आर्थिक सम्पत्ति, उसका आचरण ही होता है। यदि आचरण ही मनुष्य प्रतिछिन्न हो जाएगा , तो उसका जीवन एक कंटक के समान होगा। मुझे वह दिन भुला नहीं जाता जिस दिन मेरी मां कहती थी सो जा अब बहुत रात हो गई है मैं तारों का टिमटिमाना देख रहा था जो बेहद आकर्षक लग रहा था। शायद वह दिन कभी नहीं आएगा, लेकिन उसकी यादें सर्वत्र रहेगी। आज की दृष्टि से देखा जाये, तो वर्तमान समय बड़ा विचित्र लगता है। अगर कोई व्यक्ति हमारे रोम रोम से पूछे की आपका जीवन ...Read More

2

बदलती दुनिया में हम - 2

बदलती दुनिया में हमबचपन की वो गली, जहाँ हम खिलखिलाते थे, आज फिर भी वैसी ही है, पर उसमें बच्चे अब मोबाइल और टैबलेट की स्क्रीन में खोए हुए हैं। वक्त के साथ जो रिश्ते बनाए थे, वो भी धीरे-धीरे बदलने लगे। यही है बदलती दुनिया की सच्चाई, जहां हम भी बदलते जा रहे हैं।रामलाल और मोहन दो अनमोल दोस्त थे। उनके बचपन की यादें अभी भी गाँव की मिट्टी में रची-बसी हैं। वे दोनों स्कूल से लेकर कॉलेज तक साथ-साथ पढ़े, खेलें, हंसे और रोए। वे बिना किसी डिजिटल डिवाइस के भी खुश थे। पेड़ की छांव में ...Read More