कक्षा 9वीं का लड़का आरव अपने मोहल्ले और परिवार के लिए एक सीधा-सादा बच्चा था। माँ उसे हमेशा कहतीं, "बेटा, पढ़ाई में थोड़ा मन लगाया करो।" पापा अक्सर उसकी चुप्पी पर हँसते और कहते, "ये लड़का बड़ा होकर लेखक बनेगा शायद, इतना लिखता ही रहता है।" असल में, आरव लिखता भी था… लेकिन सिर्फ एक नाम के लिए — अनाया।
अनकही मोहब्बत - 1
कक्षा 9वीं का लड़का आरव अपने मोहल्ले और परिवार के लिए एक सीधा-सादा बच्चा था। माँ उसे हमेशा कहतीं, पढ़ाई में थोड़ा मन लगाया करो। पापा अक्सर उसकी चुप्पी पर हँसते और कहते, ये लड़का बड़ा होकर लेखक बनेगा शायद, इतना लिखता ही रहता है। असल में, आरव लिखता भी था… लेकिन सिर्फ एक नाम के लिए — अनाया।---स्कूल की ज़िंदगीआरव स्कूल में सबसे पीछे वाली बेंच पर बैठता था। उसकी एक छोटी-सी टोली थी — मयंक और सौरभ जैसे दोस्त, जो पढ़ाई में उससे अलग थे लेकिन उसकी हँसी के साथी थे।टिफिन टाइम में वे सब मिलकर कैंटीन से ...Read More