"आज कुछ बहुत अपना सा शेयर कर रही हूँ… खुद से जुड़ा, दिल से निकला।" शायद आप सब मुझे मेरी कहानियों, कल्पनाओं, किरदारों के ज़रिए जानते हो... लेकिन आज, जो लिख रही हूँ — वो एक छोटी सी याद है मेरी ज़िंदगी की। एक ऐसा अहसास, जिसे मैंने कभी समझा नहीं, बस वक़्त के साथ महसूस किया। सच कहूँ, थोड़ी नर्वस हूँ। क्योंकि यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि मैं हूँ — मेरी मासूम सोच, बचपन की झलक, और वो अनकहा सा जुड़ाव।
वो जो चुपके से देखा करता था... - भाग 1
....Note to my Parahearts (my readers) "आज कुछ बहुत अपना सा शेयर कर रही हूँ… खुद से जुड़ा, दिल निकला।" शायद आप सब मुझे मेरी कहानियों, कल्पनाओं, किरदारों के ज़रिए जानते हो... लेकिन आज, जो लिख रही हूँ — वो एक छोटी सी याद है मेरी ज़िंदगी की। एक ऐसा अहसास, जिसे मैंने कभी समझा नहीं, बस वक़्त के साथ महसूस किया। सच कहूँ, थोड़ी नर्वस हूँ। क्योंकि यह कोई काल्पनिक कहानी नहीं, बल्कि मैं हूँ — मेरी मासूम सोच, बचपन की झलक, और वो अनकहा सा जुड़ाव। मैं नहीं जानती कि आप क्या सोचोगे, ...Read More
वो जो चुपके से देखा करता था... - भाग 2
वो जो चुपके से देखा करता था..." भाग 2: "वो फिर से मिला... पर अब सब बदल गया "जो दिल को चुपचाप छू जाए, वो अक्सर सबसे अनकहा रिश्ता होता है।" वक़्त बीत चुका था। पाँचवीं की वो कक्षा अब सिर्फ़ तस्वीरों में थी, और वो नज़रों वाला लड़का—एक भूली हुई याद। अब लड़की कॉलेज में थी—नई दुनिया, नए लोग, नए सपने। आज भी याद है उस लड़की को वो दिन जब उसने आखिरी बात उस स्कूल में डांस किया था। वो स्कूल हॉस्टल का हॉल... और वो एक शाम जो हमेशा के लिए ...Read More