रात की यात्रा और एक अनकहा साया

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राहुल ने अपनी कलाई पर बंधी स्मार्टवॉच देखी। रात के ग्यारह बज चुके थे। सूरत के क्लाइंट मीटिंग से अभी-अभी वह फ़्री हुआ था। पूरा दिन दिमाग खपाने वाला रहा था, और अब उसे बस मुंबई अपने आरामदायक फ्लैट में पहुँचना था। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में, उसकी दुनिया कोड, लॉजिक और डेटा के इर्द-गिर्द घूमती थी, जहाँ हर समस्या का एक तार्किक समाधान होता था। लेकिन आज की रात, उसे नहीं पता था कि उसकी तार्किकता की सीमाएँ कहाँ खत्म होने वाली थीं। उसने अपनी चमचमाती सेडान का दरवाज़ा खोला और ड्राइवर सीट पर खुद को ढीला छोड़ दिया। एसी ऑन किया और गाड़ी को बैक किया। "रॉकमैन रॉक" की प्लेलिस्ट लगाई; हल्की, सुकून देने वाली गिटार की धुनें कार के स्पीकर्स में गूँजने लगीं। राहुल ने लंबी साँस ली और स्टीयरिंग पर हाथ रखे, धीरे-धीरे शहर की जगमगाती सड़कों से निकलकर हाईवे की ओर बढ़ने लगा। रात का सफर उसे हमेशा पसंद आता था। सड़कें लगभग खाली होती थीं, ट्रैफिक का शोर नहीं होता था, और उसे अपनी धुन में खोया रह सकता था। कभी वह अपने अगले प्रोजेक्ट की जटिल एल्गोरिदम के बारे में सोचता, तो कभी बस संगीत में लीन हो जाता।

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रात की यात्रा और एक अनकहा साया - 1

राहुल ने अपनी कलाई पर बंधी स्मार्टवॉच देखी। रात के ग्यारह बज चुके थे। सूरत के क्लाइंट मीटिंग से वह फ़्री हुआ था। पूरा दिन दिमाग खपाने वाला रहा था, और अब उसे बस मुंबई अपने आरामदायक फ्लैट में पहुँचना था। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में, उसकी दुनिया कोड, लॉजिक और डेटा के इर्द-गिर्द घूमती थी, जहाँ हर समस्या का एक तार्किक समाधान होता था। लेकिन आज की रात, उसे नहीं पता था कि उसकी तार्किकता की सीमाएँ कहाँ खत्म होने वाली थीं।उसने अपनी चमचमाती सेडान का दरवाज़ा खोला और ड्राइवर सीट पर खुद को ढीला छोड़ दिया। ...Read More