लाल दरवाज़े की रहस्यमयी यात्रा

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बचपन में आदित्य को हमेशा लगता था कि उसके पापा उससे दूर रहते हैं।ना कभी गोद में उठाया, ना कभी स्कूल छोड़ने आए, ना कभी उसके दोस्तों के सामने मुस्कराए। बस एक ही बात कहते थे —"मर्द बनो, रोना बंद करो।" आदित्य ने सोचा, शायद पापा को उससे प्यार नहीं...2. अकेलेपन की दीवार एक रात आदित्य बुखार में तड़प रहा था। माँ हॉस्पिटल में थी।वो रो रहा था, पर चुपचाप। तभी दरवाज़ा खुला। पापा थे। उनके हाथ में अदरक वाली चाय और कांपते हुए हाथों में थर्मामीटर।"बुखार है... मैं हूँ न।"पर अगले दिन वो फिर वैसे ही सख़्त हो गए।

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लाल दरवाज़े की रहस्यमयी यात्रा - 1-2

1: अजनबी बुलावारवि एक आम लड़का था, दिल्ली के जनकपुरी में रहता था। छुट्टियाँ थीं और वह अपनी नानी घर शिमला जाने वाला था, पर आखिरी समय पर नानी की तबीयत बिगड़ गई और प्लान कैंसिल हो गया। मन उदास था, तभी उसके दरवाज़े पर एक अजीब-सी चिट्ठी आई — बिना किसी नाम या पते के।उस पर लिखा था:“अगर तुम असली रोमांच चाहते हो, तो कल सुबह 6:03 पर लाल दरवाज़े वाली ट्रेन में बैठ जाना।”रवि चौंका — ये कौनसी ट्रेन है? उसने दिल्ली मेट्रो, इंडियन रेलवे सब देखा, पर ऐसी कोई ट्रेन लिस्ट में नहीं थी। लेकिन दिल ...Read More

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लाल दरवाज़े की रहस्यमयी यात्रा - 3-4

कहानी वहीं से जारी है जहाँ रहस्य और डर ने करवट ली थी… लाल दरवाज़े की रहस्यमयी यात्रा – 3"रवि और छुपा दरवाज़ा"रवि की नींद तेज़ खड़खड़ाहट से खुली। हवेली की छत से पानी टपक रहा था और बाहर तेज़ बारिश हो रही थी।वो सपना फिर से आया था — लाल दरवाज़ा, अजीब सी आवाजें, और वही फुसफुसाहट –"तुम ही हो जिसे सच्चाई तक पहुँचना है…"रवि अब इस हवेली के रहस्य से दूर नहीं भाग सकता था। पिछले दो दिन से वो यहां था, दादी के पास। और हर रात वो लाल दरवाज़ा उसके ख्वाबों में आ रहा था।सुबह ...Read More