तेरा इंतज़ार अब भी है

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पिछले कुछ महीनों में आरव और मायरा की दोस्ती अब रिश्ते की एक नयी परिभाषा बन चुकी थी। वो दोनों अब सिर्फ प्रोजेक्ट पार्टनर नहीं थे—वो एक-दूसरे की दुनिया बन चुके थे। कॉलेज की छुट्टियाँ अब साथ बिताने का बहाना बन गईं। मायरा के लिए सुबह की शुरुआत आरव के “गुड मॉर्निंग” मेसेज से होती, और दिन का आख़िरी मेसेज भी उसी से होता: "सो जा पगली, तुझे देखे बिना नींद नहीं आती।" आरव के नोट्स अब मायरा के पसंदीदा रंगों में सजते थे, और मायरा के किताबों के पन्नों में छोटे-छोटे प्यार भरे नोट्स छुपे रहते। कभी कोई चॉकलेट, तो कभी कोई शायरी। एक बार दोनों एक किताबों के मेले में गए थे। मायरा ने एक पुरानी डायरी खरीदी थी—सादी, बिना कवर की। उसने कहा था, "इसमें मैं सिर्फ उन्हीं चीज़ों को लिखूंगी जो दिल के बेहद करीब हों।"

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तेरा इंतज़ार अब भी है - 1

पिछले कुछ महीनों में आरव और मायरा की दोस्ती अब रिश्ते की एक नयी परिभाषा बन चुकी थी। वो अब सिर्फ प्रोजेक्ट पार्टनर नहीं थे—वो एक-दूसरे की दुनिया बन चुके थे। कॉलेज की छुट्टियाँ अब साथ बिताने का बहाना बन गईं। मायरा के लिए सुबह की शुरुआत आरव के “गुड मॉर्निंग” मेसेज से होती, और दिन का आख़िरी मेसेज भी उसी से होता: "सो जा पगली, तुझे देखे बिना नींद नहीं आती।" आरव के नोट्स अब मायरा के पसंदीदा रंगों में सजते थे, और मायरा के किताबों के पन्नों में छोटे-छोटे प्यार भरे नोट्स छुपे रहते। कभी कोई चॉकलेट, ...Read More

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तेरा इंतज़ार अब भी है - 2

वक़्त बीत गया… लेकिन यादें नहीं। मायरा अब अमेरिका से लौट चुकी थी। मुंबई में एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी मैनेजर की पोस्ट पर थी। हर चीज़ बाहर से एक परफेक्ट लाइफ का हिस्सा लगती थी—कार, ऑफिस, छुट्टियाँ, सोशल मीडिया पर स्माइलिंग तस्वीरें… लेकिन दिल के एक कोने में अब भी एक "रिक्तता" थी, एक ऐसा स्पेस जहाँ कोई अब भी धड़कता था। आरव। उधर आरव ने दिल्ली में रहकर CAPF की तैयारी शुरू कर दी थी। वो अब पहले जैसा नहीं था—ना वो बेफिक्री, ना शरारतें। दिनभर लाइब्रेरी, कोचिंग, और फिर घर में चुपचाप डायरी में कुछ लिखना—बस यही ...Read More