पहली तस्वीर, पहला सपना

(5)
  • 1.5k
  • 0
  • 546

मुझे सब याद है… मैं अपने घर में थी। वही घर... जहाँ की हर दीवार, हर कोना मुझे पहचानता था। वही सोफ़ा, जिस पर मैंने पहली बार अपनी डायरी खोली थी। वही खिड़की, जिससे मैंने कभी चाँद को देखा था... और कभी खुद को। उस दिन हवा में कुछ अलग था—जैसे ख़ुशी किसी अदृश्य दुपट्टे की तरह उड़ रही हो। हर चीज़ में एक नई चमक थी। सब तैयारी पूरी हो चुकी थी। मम्मी ने मेरा पसंदीदा जीन्स-टॉप निकाला था—वो हल्के नीले रंग वाला, जिसे पहनकर मैं खुद को थोड़ा और "मैं" लगती हूँ।

1

पहली तस्वीर, पहला सपना - भाग 1

मुझे सब याद है…मैं अपने घर में थी।वही घर... जहाँ की हर दीवार, हर कोना मुझे पहचानता था।वही सोफ़ा, पर मैंने पहली बार अपनी डायरी खोली थी।वही खिड़की, जिससे मैंने कभी चाँद को देखा था... और कभी खुद को।उस दिन हवा में कुछ अलग था—जैसे ख़ुशी किसी अदृश्य दुपट्टे की तरह उड़ रही हो।हर चीज़ में एक नई चमक थी।सब तैयारी पूरी हो चुकी थी। मम्मी ने मेरा पसंदीदा जीन्स-टॉप निकाला था—वो हल्के नीले रंग वाला, जिसे पहनकर मैं खुद को थोड़ा और "मैं" लगती हूँ।पापा बार-बार पूछ रहे थे: “सब कुछ ठीक है न?”और मेरा छोटा भाई तो ...Read More

2

पहली तस्वीर, पहला सपना - भाग 2

भाग 2(जहाँ सपने भी सच बन जाते हैं... और चाबी सिर्फ ताला नहीं, रास्ता खोलती है।)उस रात मैं नींद करवटें बदलती रही।लेकिन सुबह जैसे ही आँख खुली, धूप ने मुझे किसी नए फ़ैसले की ओर ढकेल दिया।चाबी अब भी मेरे हाथों में थी… और दिल में एक अजीब सी कसक।जैसे कुछ छूट गया हो, कुछ अधूरा… जिसे अब पूरा करना ज़रूरी था।---और तब मुझे याद आया... आज वही दिन है।वही दिन — जब मेरे ससुराल वाले पहली बार हमारे घर आने वाले हैं।माँ ने फिर से वही हल्के नीले रंग की जीन्स और टॉप निकाल दी।पापा ने पूछा, “सब ...Read More