दिल्ली की सर्द सुबह थी। नवम्बर का महीना। आसमान में बादल गहराए हुए थे और हवा में नमी की वो खास ख़ुशबू थी, जो सिर्फ़ बारिश के आने से पहले महसूस होती है। शहर की गलियों में खामोशी थी, मगर उस खामोशी के बीच भी कहीं न कहीं दिलों में तूफ़ान उठ रहे थे। कॉलेज का पहला दिन था। Meher अपनी दुपट्टे को संभालती हुई, भागती-सी कैंपस में दाख़िल हुई। उसका मन थोड़ा डरा हुआ, थोड़ा उत्साहित था। हर चेहरा नया था, हर मुस्कान में अजनबीयत। वो सोच ही रही थी कि कहाँ बैठे, तभी उसकी नज़र लाइब्रेरी के कोने में बैठे एक लड़के पर पड़ी।
अधूरी सी वो दास्तां - 1
------------------------------------------------------------------भाग 1: पहली बारिश में भीगा प्यार------------------------------------------------------------------दिल्ली की सर्द सुबह थी। नवम्बर का महीना। आसमान में बादल गहराए हुए और हवा में नमी की वो खास ख़ुशबू थी, जो सिर्फ़ बारिश के आने से पहले महसूस होती है। शहर की गलियों में खामोशी थी, मगर उस खामोशी के बीच भी कहीं न कहीं दिलों में तूफ़ान उठ रहे थे।कॉलेज का पहला दिन था।Meher अपनी दुपट्टे को संभालती हुई, भागती-सी कैंपस में दाख़िल हुई। उसका म ...Read More