13वी मंज़िल का दरवाज़ा

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"साहब, इस बिल्डिंग में बारह ही मंज़िलें हैं। तेरहवीं कभी बनी ही नहीं।" वॉचमैन की आवाज़ में न जाने कैसा कंपन था जो विशाल को बेचैन कर गया। सुबह की पहली किरण अभी ठीक से ज़मीन पर आई भी नहीं थी और विशाल कैमरा उठाए इस पुराने अपार्टमेंट की तस्वीरें खींचने में व्यस्त था। बिल्डिंग 40 साल पुरानी थी, और अब तक तीन लोग यहां से रहस्यमय रूप से गायब हो चुके थे। पुलिस से लेकर मीडिया तक सबने हार मान ली थी — लेकिन विशाल, एक खोजी पत्रकार, पीछे हटने वालों में से नहीं था। “मैंने खुद देखा है उस मंज़िल को,” विशाल ने ज़ोर देकर कहा। “और ये देखिए, मैंने कल रात फोटो खींची थी।” उसने मोबाइल स्क्रीन वॉचमैन की ओर किया। तस्वीर में धुंधली सी एक लोहे की चादर जैसा दरवाज़ा दिख रहा था, जिस पर हल्के जंग लगे अक्षरों में लिखा था — 13

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13वी मंज़िल का दरवाज़ा - 1

️ अध्याय 1: पहला क़दम(कहानी: 13वीं मंज़िल का दरवाज़ा)"साहब, इस बिल्डिंग में बारह ही मंज़िलें हैं। तेरहवीं कभी बनी नहीं।"वॉचमैन की आवाज़ में न जाने कैसा कंपन था जो विशाल को बेचैन कर गया।सुबह की पहली किरण अभी ठीक से ज़मीन पर आई भी नहीं थी और विशाल कैमरा उठाए इस पुराने अपार्टमेंट की तस्वीरें खींचने में व्यस्त था। बिल्डिंग 40 साल पुरानी थी, और अब तक तीन लोग यहां से रहस्यमय रूप से गायब हो चुके थे। पुलिस से लेकर मीडिया तक सबने हार मान ली थी — लेकिन विशाल, एक खोजी पत्रकार, पीछे हटने वालों में से ...Read More