‘टन..न...न...न...न’ रोज की तरह सुबह 4 बजे उन्हें लगा कि इस कर्कश ध्वनि से उन के कान के पर्दे फट जायेंगे । लोग तो अपने को भाग्यवान समझते हैं यदि सुबह सुबह उन की आंख पूजा की घंटी से खुले । लेकिन उन्हें पूजा, मंदिर, मूर्ति पूजा की घंटी के नाम से ही चिढ़ होने लगती थी । कभी कभी उन्हें लगता था यदि भगवान का नाम न होता तो कितना अच्छा होता । न लोग भगवान के नाम पर मंदिर बनाते, न पूजा करते, न घंटी टनटनाते और न ही उन का अपना जीवन उजाड़ रेगिस्तान बनता । किस तरह नीति ने अपने व्यक्तित्व के सारे आभासों के डैने समेट कर अपने पूजा में डुबो कर रख दिया था । उन्हें याद नहीं पड़ता था कि उस के साथ उन्होंने कभी कुछ भावुक क्षण बिताए हों । मीता व मनु उन की जबरदस्ती की ही पैदाइश थे । सुना था कि आध्यात्म पूजा से तनमन पवित्र होता है, आत्मा शांत होती है पर उन्हें लग रहा था कि यह घंटी की आवाज उन्हें गढ्ढे में धकेलती जा रही है । वह करवट ले कर तकिये पर अपना सिर दबाते जिससे कि कान के पर्दे पर पर्दा पड़ जाये । फिर वह दूसरे हाथ से दूसरे कान का पर्दा दबा कर सोने का प्रयास करने लगते थे ।
चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 1
नीलम कुलश्रेष्ठ एपीसोड -1 ‘टन..न...न...न...न’ रोज की तरह सुबह 4 बजे उन्हें लगा कि इस कर्कश ध्वनि से उन कान के पर्दे फट जायेंगे । लोग तो अपने को भाग्यवान समझते हैं यदि सुबह सुबह उन की आंख पूजा की घंटी से खुले । लेकिन उन्हें पूजा, मंदिर, मूर्ति पूजा की घंटी के नाम से ही चिढ़ होने लगती थी । कभी कभी उन्हें लगता था यदि भगवान का नाम न होता तो कितना अच्छा होता । न लोग भगवान के नाम पर मंदिर बनाते, न पूजा करते, न घंटी टनटनाते और न ही उन का अपना जीवन उजाड़ ...Read More
चंदन के टीके पर सिंदूर की छाँह - 2
एपीसोड -2 “क्या?” वह भी चौंक उठे थे, पर वह इस रात की मधुरता को खोना नहीं चाहते थे बोले, “ख़ैर , अब तो शादी तो हो ही गई है । मैं वादा करता हूँ कि 5-6 वर्षों में विभागीय परीक्षा पास कर के तुम्हें अफ़सर बन कर दिखा दूंगा ।” “लेकिन जो सीधे अफ़सर बनते हैं उनकी बात ही कुछ और होती है । 5-6 वर्षों तक तो तुम क्लर्क ही रहोगे,” नीति ने घृणा से मुंह सिकोड़ा, “मैं अपने रिश्तेदारों व सहेलियों को क्या मुंह दिखाऊंगी?” कह कर वह फूलों के बिस्तर पर पड़ी रात भर सिसकती ...Read More