आज काव्या का पहला इंटरव्यू था । जिंदगी के पहले सपने की दस्तक । “काव्या, चलो,” उसके चचेरे भाई ने पुकारा। वह उसी स्कूल में शिक्षक था। उसके पीछे-पीछे, बिना कुछ बोले, काव्या उस अजनबी इमारत में दाख़िल हो गई — जैसे अनजानी ज़िंदगी की ओर पहला कदम।स्टाफ़रूम के बाहर कुछ महिला शिक्षिकाएँ बैठी थीं। “सर, ये कौन हैं?” एक ने पूछा। “मेरी बहन है,” भाई ने सहजता से जवाब दिया।काव्या ने हल्की मुस्कान के साथ सबका अभिवादन किया। पहली बार वह एक ऐसी दुनिया में थी जहाँ हर चेहरा नया था, और हर मुस्कान — एक अनसुलझी पहेली।
पहली दस्तक - 1
आज काव्या कापहला इंटरव्यू था । जिंदगी के पहले सपने की दस्तक ।“काव्या, चलो,” उसके चचेरे भाई ने पुकारा। उसी स्कूल में शिक्षक था। उसके पीछे-पीछे, बिना कुछ बोले, काव्या उस अजनबी इमारत में दाख़िल हो गई — जैसे अनजानी ज़िंदगी की ओर पहला कदम।स्टाफ़रूम के बाहर कुछ महिला शिक्षिकाएँ बैठी थीं। “सर, ये कौन हैं?” एक ने पूछा। “मेरी बहन है,” भाई ने सहजता से जवाब दिया।काव्या ने हल्की मुस्कान के साथ सबका अभिवादन किया। पहली बार ...Read More
पहली दस्तक - 2
ज़िंदगी में जब भी हम किसी नई चीज़ की शुरुआत करते हैं, तो मन में कहीं न कहीं एक जरूर रहता है। जैसे बचपन में जब पहली बार स्कूल जाना होता था, तो एक अजीब सी घबराहट और डर का एहसास होता था। बड़े होकर जब नौकरी की शुरुआत करते हैं, तब भी वही सवाल उठते हैं —“क्या मैं इसमें सफल हो पाऊंगा? कैसे लोग होंगे? किन मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा?”ये सवाल और डर हर इंसान के मन में स्वाभाविक हैं।नव्या भी ऐसे ही सवालों के घेरे में थी। वह चिंतित थी, खासकर तब जब कुछ टीचर्स अजीब ...Read More