13वां दरवाज़ा

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गांव का नाम था भैरवपुर। चारों ओर ऊँचे पेड़ों से घिरा, एक ऐसा गांव जहां शाम ढलते ही लोग अपने दरवाज़े बंद कर लेते थे। गांव के बाहर एक पुरानी, टूटी-फूटी हवेली थी — राय हवेली। गांववालों का मानना था कि वहां कुछ "अनदेखा" रहता है। कोई आत्मा, कोई साया... या शायद कुछ और। आरव, एक नवोदित पत्रकार, शहर से भैरवपुर इसी कहानी की तह तक पहुँचने आया था। दादी बचपन में हवेली की कहानियाँ सुनाया करती थीं — "उस हवेली में बारह दरवाज़े हैं, पर तेरहवां दरवाज़ा कभी मत खोलना। वो जो एक बार खुला, फिर कभी बंद नहीं हुआ..." “सिर्फ एक कहानी है,” आरव ने खुद से कहा। “मैं पत्रकार हूँ, मुझे सच्चाई चाहिए। डर नहीं।”

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13वां दरवाज़ा - 1

एपिसोड 1: पहला कदम गांव का नाम था भैरवपुर। चारों ओर ऊँचे पेड़ों से घिरा, एक ऐसा गांव जहां ढलते ही लोग अपने दरवाज़े बंद कर लेते थे। गांव के बाहर एक पुरानी, टूटी-फूटी हवेली थी — राय हवेली। गांववालों का मानना था कि वहां कुछ "अनदेखा" रहता है। कोई आत्मा, कोई साया... या शायद कुछ और। आरव, एक नवोदित पत्रकार, शहर से भैरवपुर इसी कहानी की तह तक पहुँचने आया था। दादी बचपन में हवेली की कहानियाँ सुनाया करती थीं — "उस हवेली में बारह दरवाज़े हैं, पर तेरहवां दरवाज़ा कभी मत खोलना। वो जो एक बार खुला, ...Read More

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13वां दरवाज़ा - 2

एपिसोड 2: आईना जो झूठ नहीं बोलता अंधेरा। ठंड। और एक ऐसा सन्नाटा, जिसमें साँसों की आवाज़ भी भारी है। आरव नीचे बने उस रहस्यमयी कमरे में फँस चुका था। दीवारों पर बड़े-बड़े शीशे लगे थे। लेकिन उनमें सिर्फ़ उसका प्रतिबिंब नहीं था — उनमें वो दृश्य दिखाई दे रहे थे जो कभी घटे ही नहीं थे, या शायद होने वाले थे। वो पीछे मुड़ा तो सीढ़ियों का रास्ता गायब था। तेरहवाँ दरवाज़ा अब पत्थर बन चुका था। आईनों की दुनियाएक-एक कर वो सभी आईनों को देखने लगा। पहला आईना — उसका अतीत दिखा रहा था। वो बच्चा बना ...Read More

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13वां दरवाज़ा - 3

एपिसोड 3: जिस्म तो मेरा है... पर आवाज़ किसकी है? उस रात हवेली की दीवारों ने कुछ नया देखा एक लड़का, जिसका चेहरा आरव का था, लेकिन उसकी आँखों में इंसानियत नहीं थी। हवेली के उस तहखाने में, जहाँ आईने बोलते थे और दीवारें साँस लेती थीं, आरव की रूह अब अकेली नहीं थी। कुछ उसके अंदर उतर आया था। वो चल तो आरव की तरह रहा था, पर उसकी चाल में अजीब सी थिरकन थी — जैसे किसी और की डोरियों पर चल रहा हो। भीतर की आवाज़आरव ने अपने हाथों को देखा। सब कुछ ठीक था... लेकिन ...Read More

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13वां दरवाज़ा - 4

एपिसोड 4: हवेली अब मेरे सपनों में आती है... आरव अब हवेली से बाहर था। उसका शरीर सामान्य दिख था, लेकिन कुछ ऐसा था जो पहले जैसा नहीं रहा। उसकी आँखों में हर वक़्त एक अदृश्य डर तैरता था — जैसे कुछ अब भी उसके साथ चल रहा हो। शिवा उसे अपने गाँव के बाहर बने एक पुराने फार्महाउस में ले गया। दूर जंगलों के बीच, लोगों से कटकर, वह जगह सुरक्षित लग रही थी। पर आरव जानता था — जो उसके भीतर घुस चुका है, वो अब कहीं नहीं जाएगा। सपनों की शुरुआतउस रात आरव पहली बार आराम ...Read More