चाय के किस्से

(2)
  • 735
  • 0
  • 180

"कहानी शुरू करने से पहले एक छोटी-सी गुज़ारिश — अगर ये कहानी आपको पसंद आए, तो मुझे फॉलो करना न भूलें, इसे लाइक करें, और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया ज़रूर दें। आपकी राय मेरे लिए बहुत खास है!" देवगढ़ एक छोटा-सा कस्बा था, ना ज़्यादा शहरी, ना पूरी तरह ग्रामीण। वहाँ की गलियाँ धूलभरी थीं। बच्चे नंगे पाँव दौड़ते, बूढ़े चौपाल पर बैठकर ताश खेलते और औरतें आंगन में एक-दूसरे को अपने दुःख-सुख सुनातीं। सबके पास समय था—सुनने का, मुस्कुराने का, और सबसे बढ़कर, जुड़ने का। उस दिन बारिश हो रही थी। हल्की, रुक-रुक कर गिरती बूँदें, जैसे किसी बूढ़ी दादी की उंगलियाँ सिर पर प्यार से फिर रही हों। ना ज़्यादा तेज़, ना ज़्यादा धीमी। बस इतनी कि पुराने ज़ख़्मों को बहा ले जाए, बिना शोर किए। मौसम में एक अजीब-सी उदासी थी, और उसी उदासी में था, एक मीठा-सा सुकून।

1

चाय के किस्से - 1

मुन्ना की चाय"कहानी शुरू करने से पहले एक छोटी-सी गुज़ारिश — अगर ये कहानी आपको पसंद आए, तो मुझे करना न भूलें, इसे लाइक करें, और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया ज़रूर दें। आपकी राय मेरे लिए बहुत खास है!"देवगढ़ एक छोटा-सा कस्बा था, ना ज़्यादा शहरी, ना पूरी तरह ग्रामीण। वहाँ की गलियाँ धूलभरी थीं। बच्चे नंगे पाँव दौड़ते, बूढ़े चौपाल पर बैठकर ताश खेलते और औरतें आंगन में एक-दूसरे को अपने दुःख-सुख सुनातीं। सबके पास समय था—सुनने का, मुस्कुराने का, और सबसे बढ़कर, जुड़ने का।उस दिन बारिश हो रही थी। हल्की, रुक-रुक कर गिरती बूँदें, जैसे किसी बूढ़ी दादी ...Read More