सर्वथा मौलिक चिंतन

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मित्रों उपनिषद कहता है सर्व खल्विदं बृम्ह,सबकुछ परमात्मा है मै ऐक पुजारी खानदान मे पैदा हुआ,मेरा परिवार घोर रूढिवादी रहा है । किंतु मैने पोटग्रेजुऐशन साईंस मेथ्स से किया है अतः मुझमें हर विचार को तर्क की दृष्टि से देखने की पृवृत्ति है। मैने उपनिषद व वेदान्त का अध्ययन बचपन मे ही कर लिया था । मैने आज से 60 वर्ष पूर्व ऐक दिन जब जे कृष्णमूर्ति को पढ़ा तो मै उनके मौलिक विचारों को पढ़कर दंग रह गया । मेरी समस्त मान्यताएँ पूर्णतया हिल गई, मेरी ही नही वे सम्पूर्ण मानव जाति की आज तक की सभी सहस्रों वर्षों से चली आ रही मान्यताओं पर प्रश्न चिन्ह लगाते हैं । फिर भी वे पृकृति की किसी वस्तु जैसे पहाड़, नदी, व्रक्ष, पक्षी, समंदर या महिला को देखकर समाधिस्थ होता जाते थे ।

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सर्वथा मौलिक चिंतन - भाग 1

भूमिका मित्रों उपनिषद कहता है सर्व खल्विदं बृम्ह,सबकुछ परमात्मा है मै ऐक पुजारी खानदान मे पैदा हुआ,मेरा परिवार घोर रहा है । किंतु मैने पोटग्रेजुऐशन साईंस मेथ्स से किया है अतः मुझमें हर विचार को तर्क की दृष्टि से देखने की पृवृत्ति है। मैने उपनिषद व वेदान्त का अध्ययन बचपन मे ही कर लिया था । मैने आज से 60 वर्ष पूर्व ऐक दिन जब जे कृष्णमूर्ति को पढ़ा तो मै उनके मौलिक विचारों को पढ़कर दंग रह गया । मेरी समस्त मान्यताएँ पूर्णतया हिल गई, मेरी ही नही वे सम्पूर्ण मानव जाति की आज तक की सभी सहस्रों ...Read More

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सर्वथा मौलिक चिंतन - भाग 2

22 पलायन हम हमेशा इस या उस गतिविधियों मे व्यस्त रहते हैं। कभी किताब पढ़ते हैं ,कभी बातों मे रहते हैं ,कभी मूवी ऐंटरमेंट मे मजे लेते रहते हैं । व्यस्त रहना ,माइंड को खाली न रखना ऐक आदर्श सराहनीय कार्य माना जाता है । किंतु हम खाली क्यों नही रहते । हम जैसे हैं, जो हैं, उसके साथ क्यों नहीं रहते । हमारा असली रूप हमें असहनीय क्यों लगता है । हम स्वयं से बुक के द्वारा ,मूवी ऐंटरमेंट ,कथा वार्ता ,और न जाने क्या क्या जरिये से भागते रहते हैं। हम स्वयम् को दुनिया भर की चीजों ...Read More