अंधकार का देवता

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दिल्ली कनॉट प्लेस शाम का समय शाम के लगभग छह बज रहे थे। सूरज क्षितिज की ओर धीरे-धीरे ढल रहा था, और आसमान नारंगी और बैंगनी रंगों में घुलता जा रहा था। हल्की-हल्की ठंडी हवा बह रही थी, जो दिन भर की गर्मी को शांत कर रही थी। हवा में एक अजीब-सी महक थी। जैसे ताज़े पानी से भीगी मिट्टी की या किसी दूर की गली से आती चाय और पकौड़ों की सुगंध। सड़कों पर हलचल थी, लेकिन इसमें कोई हड़बड़ी नहीं थी। हर कोई अपने-अपने दिन के अंतिम सफर में था।

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अंधकार का देवता - 1

दिल्ली कनॉट प्लेस शाम का समयशाम के लगभग छह बज रहे थे। सूरज क्षितिज की ओर धीरे-धीरे ढल रहा और आसमान नारंगी और बैंगनी रंगों में घुलता जा रहा था। हल्की-हल्की ठंडी हवा बह रही थी, जो दिन भर की गर्मी को शांत कर रही थी। हवा में एक अजीब-सी महक थी। जैसे ताज़े पानी से भीगी मिट्टी की या किसी दूर की गली से आती चाय और पकौड़ों की सुगंध। सड़कों पर हलचल थी, लेकिन इसमें कोई हड़बड़ी नहीं थी। हर कोई अपने-अपने दिन के अंतिम सफर में था।पर इस खूबसूरत शाम के बीच, एक आदमी सड़क के ...Read More

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अंधकार का देवता - 2

नीले कांच की 12-मंजिला ऊँची इमारत के सामने पहुंचकर वह रुका। यह वही जगह थी, जहाँ उसे अपमानित किया था। जहाँ उसकी मेहनत को कुचला गया था। जहाँ उसे धक्का देकर बाहर फेंक दिया गया था।उसके झुलसे हुए हाथों को देखकर लोग और भी ज्यादा डर गए। कुछ लोगों ने अपनी आँखें फेर लीं, कुछ अपनी जगह से पीछे हट गए, और कुछ वहीं खड़े रह गए जैसे उनकी आँखों के सामने कोई भूत खड़ा हो।फिर पहला चीख़ सुनाई दी।"भ—भूत!!"भीड़ में अफ़रा-तफ़री मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे। कुछ मोबाइल निकालकर वीडियो बनाने लगे। कुछ चिल्ला रहे थे, कुछ ...Read More

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अंधकार का देवता - 3

"अब खेल शुरू होगा..." आदमी ने बुदबुदाया।फिर, एक फाइटर की तरह, उसने दोनों हाथों की मुट्ठी भींची और उन्हें में टकराया।लिफ्ट की घंटी बजी।दरवाजे खुले।आदमी बाहर निकला, उसकी आँखों में वही सुलगती हुई आग थी। जैसे ही उसने रिसेप्शन की ओर कदम बढ़ाया, वहाँ खड़े दो कर्मचारी उसे देखकर घबरा गए। उनमें से एक आदमी हड़बड़ा कर पीछे हट गया और बुदबुदाया, "ये... ये क्या हो रहा है? उसके हाथ... जल रहे हैं?"प्रिया, जो अब तक अपनी सीट पर बैठी थी, खड़े होते ही ठिठक गई। उसकी नज़र सीधे उस आदमी के हाथों पर पड़ी, जो अब भी सुर्ख ...Read More