चिंगारी: जो बुझी नहीं

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प्रस्तावना:हर किसी के भीतर कुछ जलता है...कभी सपना, कभी पीड़ा, कभी अधूरा प्यार,और कभी एक ऐसी उम्मीद —जो ज़िन्दगी की राख से भी खुद को फिर जला लेती है।उत्तराखंड के एक छोटे से पहाड़ी गाँव का लड़का, आरव, जिसने बचपन से पहाड़ों की छांव में रंगों और लफ़्ज़ों से दोस्ती कर ली थी।वो मिट्टी में रंग मिलाकर पेड़ों को कैनवस बनाता, और दीवारों पर अपनी कविताएं लिख देता था।पर गाँव में ऐसे "हुनर" को बेवकूफी कहा जाता था।“ये सब शहरों में चलता है बेटा, यहाँ नहीं। यहाँ तो खेत, फावड़ा और सरकारी नौकरी चलती है।

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चिंगारी: जो बुझी नहीं - 1

प्रस्तावना:हर किसी के भीतर कुछ जलता है...कभी सपना, कभी पीड़ा, कभी अधूरा प्यार,और कभी एक ऐसी उम्मीद —जो ज़िन्दगी राख से भी खुद को फिर जला लेती है।उत्तराखंड के एक छोटे से पहाड़ी गाँव का लड़का, आरव, जिसने बचपन से पहाड़ों की छांव में रंगों और लफ़्ज़ों से दोस्ती कर ली थी।वो मिट्टी में रंग मिलाकर पेड़ों को कैनवस बनाता, और दीवारों पर अपनी कविताएं लिख देता था।पर गाँव में ऐसे "हुनर" को बेवकूफी कहा जाता था।“ये सब शहरों में चलता है बेटा, यहाँ नहीं। यहाँ तो खेत, फावड़ा और सरकारी नौकरी चलती है।”पिता की आँखों में सिर्फ बोझ ...Read More